Bihar Caste Census: बिहार में 7 जनवरी से होगी जातिगत जनगणना, दो चरणों में पूरी होगी प्रक्रिया

Bihar Caste Census: बिहार में बहुप्रचारित जाति आधारित जनगणना 7 जनवरी से शुरू होगी। यह अभ्यास दो चरणों में होगा। पहले चरण में प्रदेश के सभी घरों की गिनती की जाएगी।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 5 Dec 2022 7:43 AM GMT
Caste census will be held in Bihar from January 7, the process will be completed in two phases
X

 बिहार में 7 जनवरी से होगी जातिगत जनगणना: Photo- Social Media

Bihar Caste Census: बिहार में बहुप्रचारित जाति आधारित जनगणना (Caste census In Bihar) 7 जनवरी से शुरू होगी। यह अभ्यास दो चरणों में होगा। पहले चरण में प्रदेश के सभी घरों की गिनती की जाएगी। दूसरे चरण में मार्च से शुरू होकर सभी जातियों और उपजातियों और धर्मों के लोगों से संबंधित डेटा एकत्र किया जाएगा। सभी लोगों की वित्तीय स्थिति के बारे में भी जानकारी दर्ज की जाएगी।

जातिगत आबादी के आधार पर राज्य सरकार उनकी जनसंख्या और आर्थिक स्थिति (economic condition) को देखते हुए नीतियां बनाएगी। राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, जनगणना का पहला चरण 21 जनवरी तक पूरा हो जाएगा। इसके लिए 15 दिसंबर से गिनती करने वालों यानी प्रगणकों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

जाति आधारित गिनती

बिहार कैबिनेट ने राज्य में जाति आधारित गिनती की कवायद को पूरा करने की समय सीमा तीन महीने बढ़ाकर मई 2023 कर दी है। राज्य सरकार इस कवायद के लिए अपने आकस्मिक कोष से 500 करोड़ खर्च करेगी। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा जुलाई 2021 में लोकसभा में स्पष्ट किया गया था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को छोड़कर कोई भी जाति-वार जनगणना आयोजित नहीं की जाएगी। इसके बाद बिहार में जाति-आधारित जनगणना का मुद्दा एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन गया था।

आजादी के बाद अब तक हुई सात जनगणनाओं में केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबंधित आंकड़े प्रकाशित किए गए हैं। अन्य जातियों से सम्बन्धित आँकड़ों के अभाव में ओबीसी की जनसंख्या का सही अनुमान लगाना कठिन हो जाता है। ओबीसी को आरक्षण देने वाली पूर्व वीपी सिंह सरकार ने भी 1931 की जनगणना के आधार पर उनके लिए आरक्षण का कोटा तय किया था, जो देश की आखिरी जाति आधारित जनगणना थी।

1931 की जनगणना में ओबीसी की आबादी 52 फीसदी आंकी गई थी। केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना कराई थी, लेकिन जाति के आंकड़े जारी नहीं किए गए थे। राज्य विधानमंडल ने जाति-आधारित गणना के पक्ष में 2018 और 2019 में दो सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किए थे।

जाति आधारित जनगणना क्यों

जाति आधारित जनगणना की मांग करने वालों का तर्क है कि एससी और एसटी को उनकी आबादी के आधार पर आरक्षण का लाभ दिया गया था, लेकिन ओबीसी के लिए आरक्षण कोटा इसी तरह तय नहीं किया गया। उनका तर्क है कि जाति-आधारित जनगणना के निष्कर्षों के आधार पर, ओबीसी के लिए निर्धारित आरक्षण कोटे को तदनुसार संशोधित किया जा सकता है।

1 जून 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक में जातिगत जनगणना के मुद्दे पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि बिहार में सभी धर्मों की जातियों और उपजातियों की गणना की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि जाति आधारित गणना कराने का मकसद लोगों को आगे बढ़ाना है ताकि राज्य में किसी की उपेक्षा न हो।

Shashi kant gautam

Shashi kant gautam

Next Story