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Bihar Politics: नीतीश का विधायकों को पटना में ही रहने का फरमान, RCP के बागी तेवर की आशंका से सियासी हलचल तेज

Bihar Politics: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू (JDU) के विधायकों को अगले 72 घंटे तक पटना में ही बने रहने का फरमान जारी किया है। इस फरमान के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 23 May 2022 12:33 PM GMT
Caste Census In Bihar: बिहार में जातीय जनगणना का रास्ता साफ, सर्वदलीय बैठक में हुआ फैसला
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

New Delhi: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar Chief Minister Nitish Kumar) के नए फरमान के बाद राज्य में सियासी हलचल काफी तेज हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू (JDU) के विधायकों को अगले 72 घंटे तक पटना में ही बने रहने का फरमान जारी किया है। इस फरमान के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। इसे राज्य में राज्यसभा चुनाव की सियासत से जोड़कर भी देखा जा रहा है। दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) का टिकट काटने का फैसला कर चुके हैं। ऐसे में आरसीपी के बागी तेवर की आशंका से विधायकों को एकजुट रखने के लिए नीतीश के इस फरमान की बात बताई जा रही है।

वैसे हाल के दिनों में नीतीश और राजद के नेता तेजस्वी यादव की नजदीकी बढ़ने की खबरें भी आती रही हैं। जातीय जनगणना के मुद्दे पर तेजस्वी से चर्चा के बाद नीतीश ने 27 मई को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस फरमान को इस बैठक की तैयारी से जोड़कर भी देखा जा रहा है। नीतीश के इस फरमान पर भाजपा ने चुप्पी साध रखी है तो दूसरी ओर जदयू के नेता इसे महज अफवाह बताने में जुटे हुए हैं।

आरसीपी सिंह का टिकट कटना तय

बिहार में राज्यसभा की पांच सीटों के लिए चुनाव (Rajya Sabha elections in Bihar) होने वाला है। विधानसभा में विभिन्न दलों की ताकत को देखते हुए राजद और भाजपा के दो-दो सदस्य चुनाव जीतने की स्थिति में है जबकि जदयू का एक ही उम्मीदवार चुनाव जीतने में सक्षम है। जदयू के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का कार्यकाल 7 जुलाई को समाप्त हो रहा है। जदयू ने अभी तक राज्यसभा के लिए अपने एकमात्र उम्मीदवार को लेकर अपना पता नहीं खोला है। जानकार सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार आरसीपी सिंह को उम्मीदवार बनाने के इच्छुक नहीं हैं।

आरसीपी के बागी तेवर की आशंका

दूसरी ओर आरसीपी सिंह कई दिनों से पटना में डेरा डाले हुए हैं और वे अपनी दावेदारी छोड़ने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं। टिकट कटने की स्थिति में आरसीपी के बागी तेवर अपनाने की आशंका भी जताई जा रही है। जानकारों का कहना है कि अपने खेमे के विधायकों के साथ मिलकर आरसीपी जदयू को तोड़ने की कोशिश कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में नीतीश जदयू कोटे के मंत्रियों और विधायकों से लगातार चर्चा करने में जुटे हुए हैं और विधायकों को 72 घंटे तक पटना में ही बने रहने का फरमान सुनाया गया है।

नीतीश की राजद से बढ़ रही नजदीकी

वैसे बिहार में पिछले एक महीने से सियासी गतिविधियां काफी तेज दिख रही हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद नेता तेजस्वी यादव के बीच हुई मुलाकात के बाद ही सियासी अटकलों में काफी तेजी आ गई थी। पहले नीतीश कुमार तेजस्वी की इफ्तार दावत में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे तो बाद में तेजस्वी ने भी जदयू की इफ्तार दावत में हिस्सा लिया था।

इस दौरान दोनों नेताओं के बीच बातचीत भी हुई थी। बाद में तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर भी नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। नीतीश ने तेजस्वी को जल्दी ही जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक बुलाने का आश्वासन दिया था और अब उन्होंने अपने वादे को पूरा करते हुए 27 मई को सर्वदलीय बैठक बुला ली है।

जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक

नीतीश के विधायकों को पटना में ही जने रहने के फरमान को जातीय जनगणना के मुद्दे पर होने वाली सर्वदलीय बैठक से भी जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल जातीय जनगणना के मुद्दे पर राजद और जदयू एक सुर में बोल रहे हैं जबकि भाजपा की ओर से इसका विरोध किया जा रहा है। केंद्र सरकार की ओर से पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि वह जातीय जनगणना कराने के पक्ष में नहीं है।

अब 27 मई को होने वाली सर्वदलीय बैठक पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। इस बैठक में भाजपा की ओर से प्रस्ताव का विरोध किए जाने की पूरी संभावना है। कहा जा रहा है कि इस बैठक से पहले ही नीतीश सियासी समीकरण को अपने पक्ष में कर लेने की कोशिश में जुटे हुए हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव इन दिनों एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए लंदन गए हुए हैं और उनकी वापसी का इंतजार किया जा रहा है।

भाजपा बोली-सरकार को खतरा नहीं

जदयू विधायकों को पटना में ही जमे रहने के फरमान पर भाजपा (BJP) नेताओं की ओर से खुलकर कोई बात नहीं कही जा रही है। भाजपा नेता सिर्फ इतना ही कह रहे हैं कि पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि यह पूरी तरह जदयू का आंतरिक मामला है। भाजपा नेताओं का कहना है कि बिहार में एनडीए की सरकार को किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है और इस बारे में सभी को आश्वस्त रहना चाहिए।

दूसरी ओर जदयू की ओर से विधायकों को पटना में ही रहने के फरमान को पूरी तरह निराधार बताया जा रहा है। नीतीश कुमार के एक करीबी नेता का कहना है कि पार्टी की ओर से ऐसा कोई निर्देश नहीं जारी किया गया है। जदयू नेता के मुताबिक पार्टी के कई विधायक अभी भी राजधानी से बाहर हैं। जदयू नेता ने कहा कि मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए गलत बातें प्रसारित की जा रही हैं।

अब नीतीश के कदम पर टिकीं निगाहें

बिहार की सियासत में नीतीश कुमार को सियासी अखाड़े का सबसे मजबूत पहलवान माना जाता है। हर तरीके के दांवपेच में माहिर नीतीश को सियासी समीकरण साधने में गजब की महारत हासिल रही है और इसी दम पर वे लंबे समय से बिहार के मुख्यमंत्री बने हुए हैं।

नीतीश कल राजगीर का दौरा करने वाले हैं और बिहार का इतिहास रहा है कि नीतीश के राजगीर दौरे के बाद हमेशा कोई न कोई राजनीतिक भूचाल आता रहा है। ऐसे में अगले दो-तीन दिनों के दौरान बिहार में किसी बड़े सियासी घटनाक्रम की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

Shashi kant gautam

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