TRENDING TAGS :
Bihar: CM नीतीश ने वज्रपात की घटनाओं पर की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक, कहा- निचले स्तर तक निरंतरता जरूरी
वज्रपात को लेकर हुए बैठक में सचिव आपदा प्रबंधन विभाग संजय कुमार अग्रवाल ने बताया,'बिहार में बीते 5 वर्षों की तुलना में इस वर्ष वज्रपात से होने वाली मौतों में कमी देखने को मिली है।'
Bihar News : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) की अध्यक्षता में राज्य में हो रही वज्रपात (Thunderclap) की घटनाओं पर शुक्रवार को उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक (High Level Review Meeting) की गई। राजधानी पटना के 'एक अणे मार्ग' स्थित 'संकल्प' में हुई इस समीक्षात्मक बैठक में वज्रपात के संभावित खतरों के प्रति अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करने एवं वज्रपात से होनेवाली मौत की घटनाओं में कमी लाने पर गहन विमर्श किया गया।
इस साल अब तक वज्रपात से 74 लोगों की जान गई
इस बैठक में सचिव आपदा प्रबंधन विभाग संजय कुमार अग्रवाल (Sanjay Kumar Agarwal) ने बताया कि, 'बिहार में पिछले 5 वर्षों की तुलना में इस वर्ष वज्रपात से होने वाली मौत की घटनाओं में कमी देखी गई है। उन्होंने बताया कि जून 2020 में वज्रपात से बिहार में कुल 144 लोगों की मौत हुई थी, वहीं जून 2021 में यह संख्या 92 थी। जबकि, इस साल यह संख्या घटकर 74 हो गई है।' संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि, जुलाई 2020 में वज्रपात से हुई मौत की कुल संख्या 158 थीं। जुलाई 2021 में वज्रपात से 70 व्यक्तियों की मौत हुई थी, जबकि इस वर्ष अब तक जुलाई माह में कुल 39 लोगों की वज्रपात से मृत्यु हो चुकी है।
वज्रपात को लेकर एडवाइजरी जारी
उन्होंने बताया कि, राज्य सरकार द्वारा लोगों के बीच संभावित वज्रपात की पूर्व सूचना एवं उसके खतरों के प्रति लोगों को आगाह करने हेतु बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके मद्देनजर एडवाइजरी भी जारी की गई है कि वज्रपात के समय क्या करें और क्या न करें। एडवाइजरी के जरिए लोगों को सचेत किया जा रहा है कि संभावित वज्रपात के समय खुले मैदान में खड़ा ना रहें और किसी पेड़ के नीचे शरण न लें। ऐसी विपरीत परिस्थिति में आसपास के पक्के भवन में ही शरण लेना सुरक्षित रहेगा।
मौत की घटनाओं में कमी आई
आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बताया, किं वज्रपात के संबंध में लोगों के बीच जारी की गयी एडवाइजरी और राज्य में निचले स्तर तक बड़े पैमाने पर चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के कारण वज्रपात से होने वाली मृत्यु की घटनाओं में बिहार में कमी आई है। इसके अलावा, विभिन्न माध्यमों से संभावित वज्रपात की सूचनाएं भी समय पर लोगों तक 'इंद्रवज एप्प', रेडियो, मोबाइल, एसएमएस, सोशल मीडिया, टेलीविजन सहित अन्य माध्यमों से पहुंचाई जाती है।
भागलपुर में सबसे ज्यादा मौतें
इस वर्ष अब तक वज्रपात की हुई घटनाओं से संबंधित जिलावार प्रतिवेदन की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि 5 जिलों को छोड़कर अन्य सभी जिलों में वज्रपात से मृत्यु हुई है। इस वर्ष अब तक भागलपुर में वज्रपात से सबसे अधिक 13 लोगों की मौत हुई है जबकि गया में 10 लोगों की वज्रपात से मौत हुई है। वर्ष 2020 में वज्रपात से 459 लोगों की मौत हुई थी जो पिछले वर्ष 2021 में घटकर 280 रह गयी थी। इस वर्ष अब तक केवल 161 लोगों की मौत वज्रपात से हुई है।
Lightning-Conductor के लिए अभियान चलाएं
समीक्षा के क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि, 'बिहार के सभी शहरी और ग्रामीण इलाकों के सरकारी भवनों पर यथाशीघ्र तड़ित चालक लगाने के लिए विशेष अभियान चलाएं। सभी सरकारी (प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक) विद्यालय, पंचायत भवन, प्रखंड/अंचल/अनुमंडल कार्यालय, सहित अन्य सरकारी भवनों पर भी तड़ित चालक (Lightning-conductor) लगाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें। निजी भवनों पर तड़ित चालक लगाने के लिए अधिक से अधिक लोगों को प्रेरित करें।'
सीएम ने कहा- निचले स्तर तक निरंतरता जरूरी
उन्होंने कहा कि, 'ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में निचले स्तर तक व्यापक रूप से निरंतर जागरूकता अभियान चलाते रहें। सभी जिलाधिकारी अपने-अपने जिलों में विशेष रूप से निगरानी रखें और अभियान चलाकर एहतियात के तौर पर लोगों को सचेत करें। जिन क्षेत्रों में संभावित वज्रपात की पूर्व सूचना प्राप्त हो, उन इलाकों के लोगों को तत्काल इसकी जानकारी टीवी, सोशल मीडिया, एसएमएस, मोबाइल, रेडियो सहित अन्य माध्यमों से दी जाए। साथ ही, पंचायती राज प्रतिनिधियों को भी संभावित वज्रपात की चेतावनी एसएमएस के माध्यम से समय पर देना सुनिश्चित करें। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि, वज्रपात से हुई मौत पर मृतक के आश्रित को 4 लाख रुपए का अनुग्रह अनुदान देने का प्रावधान है। यह अनुग्रह अनुदान समय पर पीड़ित परिजनों को उपलब्ध कराएं। बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के माध्यम से भी जागरूकता अभियान चलाया जाए। साथ ही, जागरूकता अभियान में और अधिक तेजी लाकर निचले स्तर तक लोगों को जागरूक करें।'