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चारों तरफ मौत: नहीं संभल रहे हालात, फिर गई कई लोगों की जान
बिहार में बारिश और बाढ़ ने लाखों लोगों की जिंदगियों में तबाही मचा दी है। कई जिलों में बाढ़ की वजह से जो जहां फंसा है वहीं रह गया हैं। उनके पास न कुछ खाने को है और अब तो सोने के लिए छत भी नही बची।
पटना : बिहार में बारिश और बाढ़ ने लाखों लोगों की जिंदगियों में तबाही मचा दी है। कई जिलों में बाढ़ की वजह से जो जहां फंसा है वहीं रह गया हैं। उनके पास न कुछ खाने को है और अब तो सोने के लिए छत भी नही बची। उम्मीदों पर इनका एक-एक दिन गुजर रहा है। लोग इसे बारिश की बाढ़ नहीं बल्कि बदइंतजाम की बाढ़ की मान रहे हैं, जो एक दम से टूट पड़ी है। कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। जबकि मुंगेर में गंगा का जलस्तर हर दो घंटे पर एक सेंटीमीटर घट रहा है।
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नदी उफान पर उतारू
ऐसे में केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, गुरुवार तक गंगा के जलस्तर में और कमी आने की संभावना है। खगडि़या में कोसी, बागमती व बूढ़ी गंडक खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। गंगा खतरे के निशान से नीचे है।
साथ ही सुपौल में कोसी नदी के जलस्तर में एक बार फिर हो रही गिरावट के कारण नेपाल प्रभाग स्थित पश्चिमी कोसी तटबंध के 9.18 किमी स्पर एवं डलवा ¨रग बांध के कट एंड भाग पर नदी उफान पर उतारू हो गई है। सहरसा में तटबंध के अंदर लोगों की परेशानी जैसी की तैसी है।
वहीं मधेपुरा में कोसी व सुरसर का जलस्तर अभी तो स्थिर है। अररिया में नदियों का जलस्तर कम हुआ है। कटिहार में महानंदा, कोसी और बरंडी नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
इसके अलावा सूबे में डूबने से 11 लोगों की मौत हुई है। इनमें पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, समस्तीपुर और बांका के एक -एक और सारण, सीतामढ़ी व दरभंगा के दो -दो लोग हैं।
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कई रास्ते ध्वस्त
मुजफ्फरपुर की बात करें तो यहां पुरानी जीरो माइल के पास बूढ़ी गंडक का ¨रग बांध टूटने से नए क्षेत्रों में पानी फैल गया है। समस्तीपुर-दरभंगा रेलखंड पर छठे दिन भी ट्रेनों का परिचालन बाधित रहा।
पश्चिम चंपारण में गंडक का जलस्तर 2.21 लाख क्यूसेक रहा। यहां कई गांवों में पानी घुसा है। पूर्वी चंपारण के डुमरियाघाट पुल की मरम्मत के बाद धीमी गति से वाहन चलने लगे हैं। मधुबन-चकिया रास्ता टूट गया है।
बाढ़ और बारिश के प्रभाव से सुगौली प्रखंड में सिकरहना नदी का आक्रामक रूप देख लोग डरे-सहमे हुए हैं। आधा दर्जन से अधिक गांव नदी की कटाव की जद में हैं। अब तक 30 घर नदी में समा चुके, 200 से अधिक कटाव की जद में हैं। यहां 1000 से अधिक आबादी प्रभावित हुई है। कितने एकड़ की फसल का भी नुकसान हुआ है।
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