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Bihar Jatiya Janganana: बिहार अपने बलबूते करा सकता है जातीय जनगणना, नीतीश कर सकते हैं एलान

माना जा रहा है कि इस बैठक के दौरान ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार सरकार की ओर से अपने दम पर जातीय जनगणना का बड़ा एलान कर सकते हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Monika
Published on: 28 Sep 2021 9:51 AM GMT (Updated on: 28 Sep 2021 10:18 AM GMT)
CM Nitish Kumar
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बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फोटो : सोशल मीडिया )

Bihar Jatiya Janganana: जातीय जनगणना का मुद्दा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है। इस मुद्दे पर विपक्षी दलों की ओर से की जा रही घेरेबंदी के बाद अब बिहार सरकार की ओर से अपने बूते जातीय जनगणना कराने की तैयारी है। माना जा रहा है कि कर्नाटक (Karnataka) की तरह बिहार सरकार (Bihar Government) भी राज्य में जातीय जनगणना करा सकती है। बिहार में भाजपा को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों की ओर से जातीय जनगणना (jatiya janganana) की वकालत की जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद इसकी खुली वकालत करते रहे हैं। केंद्र सरकार (central government) की ओर से जातीय जनगणना न कराने का रुख स्पष्ट होने के बाद अब नीतीश इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की तैयारी में हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक के दौरान ही वे बिहार सरकार की ओर से अपने दम पर जातीय जनगणना का बड़ा एलान कर सकते हैं। हालांकि नीतीश ने अभी तक इस बाबत अपने पत्ते नहीं खोले हैं मगर उन्होंने जातीय। जनगणना के मुद्दे पर केंद्र सरकार के रुख को अनुचित बताया है।

जातीय जनगणना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने वाले बिहार के प्रतिनिधिमंडल को केंद्र से काफी उम्मीदें थीं। पीएम से बातचीत के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव समेत अन्य नेताओं ने बातचीत को सफल और सार्थक बताया था। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री के रुख को देखते हुए हमें इस संबंध में सकारात्मक फैसले की उम्मीद है। शायद यह पहला मौका था जब मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष एक ही मांग को लेकर प्रधानमंत्री से मिले थे।

हाल में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे के बाद भाजपा को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों ने केंद्र सरकार के रवैए पर निराशा जताई है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में जातीय जनगणना के काम को प्रशासनिक नजरिए से काफी मुश्किल और दुरूह बताया है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने 2011 के जातीय आंकड़ों में तमाम अशुद्धियां होने की भी बात कही है। केंद्र सरकार के रवैए से अब यह साफ हो गया है कि वह जातीय जनगणना कराने के पक्ष में नहीं है। इस हलफनामे के बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घेरेबंदी की जा रही है जिससे उन पर दबाव बढ़ गया है।

सर्वदलीय बैठक बुलाने की तेजस्वी की मांग

राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर नीतीश कुमार को घेरते हुए कहा है कि अब उन्हें इस मामले में ठोस पहल करनी चाहिए। उनका कहना था कि यदि केंद्र सरकार जातीय जनगणना कराने के लिए तैयार नहीं होती है तो बिहार सरकार को अपने बलबूते यह काम पूरा कराना चाहिए।

उनका कहना है कि नीतीश कुमार भी पहले इस बात को स्पष्ट तौर पर कह चुके हैं कि यदि केंद्र सरकार इसके लिए नहीं तैयार होगी तब इस बारे में अलग से कोई फैसला किया जाएगा। तेजस्वी ने कहा कि अब केंद्र सरकार के हलफनामे से साफ हो गया है कि वह जातीय जनगणना नहीं कराएगी। इसलिए मुख्यमंत्री को इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए ताकि आगे का फैसला लिया जा सके।

भाजपा के रुख से मुश्किल में नीतीश

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक बड़ी दिक्कत यह है कि भाजपा ने जदयू की कम सीटें होने के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री बनाया है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने 74 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि नीतीश की पार्टी जदयू सिर्फ 43 सीटों पर ही अटक गई थी। इसके बावजूद अपने वादे पर अमल करते हुए भाजपा ने मुख्यमंत्री पद पर नीतीश कुमार की ताजपोशी की है। अब भाजपा नेता जातीय जनगणना के मुद्दे पर अलग सुर अलाप रहे हैं। हालांकि विधानसभा की ओर से दो बार जातीय जनगणना के पक्ष में प्रस्ताव पारित करते समय भाजपा ने इसका समर्थन किया था। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि नीतीश भाजपा नेताओं को किस तरह मैनेज कर पाते हैं।

भाजपा को छोड़ सभी सियासी दल एकजुट

जहां तक राज्य के दूसरे सियासी दलों की बात है तो सत्तारूढ़ जदयू के अलावा राजद, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), हम, कांग्रेस, वामपंथी दलों की ओर से जातीय जनगणना की वकालत की जा रही है। इसी कारण इस मुद्दे पर बिहार का सियासी परिदृश्य दूसरे राज्यों से अलग नजर आ रहा है। सभी दल इस मुद्दे पर पूरी तरह एकजुट बने हुए हैं जबकि भाजपा का सुर अलग दिख रहा है।

वैसे देश के कई अन्य राज्यों में भी जातीय जनगणना की वकालत की जा रही है। उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इसका खुलकर समर्थन किया है और केंद्र सरकार से इस दिशा में कदम उठाने की मांग की है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी विपक्षी दलों के सुर में सुर मिला रही हैं। बिहार से उठी यह मांग अब राष्ट्रीय स्तर पर अपना पूरा असर दिखा रही है।

सर्वदलीय बैठक में बड़ा एलान संभव

नीतीश कुमार ने रविवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से बुलाई गई बैठक में हिस्सा लेने के बाद एक बार फिर जातीय जनगणना की वकालत की थी। उनका कहना था कि तमाम पिछड़ी जातियों की तरक्की के लिए यह कदम उठाया जाना जरूरी है। जब तक हमें पिछड़ी जातियों से जुड़े लोगों के बारे में ठोस जानकारी नहीं होगी तब तक ऐसे लोगों की तरक्की के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास करना कठिन होगा।

जातीय जनगणना के जरिए ऐसे लोगों की तरक्की के रास्ते खोले जा सकते हैं। तेजस्वी यादव की ओर से इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री को दी गई तीन दिन की समयसीमा के बाद अब राजद की ओर से आगे की रणनीति बनाई जा रही है। तेजस्वी यादव ने इस बाबत सहयोगी दलों के नेताओं से चर्चा शुरू कर दी है। ऐसे में हर किसी को नीतीश कुमार के रुख का बेसब्री से इंतजार है। माना जा रहा है कि सरकार की ओर से जल्द ही इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक करके बिहार में जातीय जनगणना कराने का बड़ा फैसला लिया जा सकता है।

Monika

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पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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