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बिहार में भाजपा-जदयू के रिश्तों में खटास, नीतीश की पार्टी के सांसद का मोदी सरकार पर बड़ा हमला
बिहार से एनडीए को मिले व्यापक जन समर्थन के बावजूद इस राज्य की अनदेखी की जा रही है। जदयू की ओर से लगाए गए इन आरोपों पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है।
नई दिल्ली: बिहार की सियासत में इन दिनों भाजपा और उसके सहयोगी दल जनता दल यू (JDU) के बीच खींचतान का दौर शुरू हो गया है। दोनों दलों के बीच पहले भीतर ही भीतर खींचतान चल रही थी । मगर अब खुला खेल फर्रुखाबादी की तर्ज पर पूरा खुल खुलकर के खेला जाने लगा है। पिछले दिनों जदयू (JDU) के एक विधायक ने भाजपा (BJP) नेता और डिप्टी सीएम (Deputy CM) पर वसूली करने का आरोप लगाया था तो अब जदयू के एक सांसद गिरधारी यादव (Girdhari Yadav) ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) पर हमला बोल दिया है।
उनका कहना है कि केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार (Modi Sarkar) को बिहार के विकास (Bihar Ka Vikas) से कोई लेना देना नहीं है। बिहार से एनडीए को मिले व्यापक जन समर्थन के बावजूद इस राज्य की अनदेखी की जा रही है। सच्चाई तो यह है कि भाजपा सिर्फ बिहार से वोट लेना जानती है मगर जब विकास की बात आती है तो पार्टी की ओर से बिहार की पूरी तरह अनदेखी की जाती है। जदयू की ओर से लगाए गए इन आरोपों पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है।
बिहार से सिर्फ वोट लेना जानती है भाजपा
दरअसल, भाजपा और जदयू के बीच हाल के दिनों में आरोप-प्रत्यारोप का खुला खेल खेला जाने लगा है। इस कारण दोनों दलों के रिश्तों में लगातार खटास पैदा हो रही है। जदयू के टिकट पर बांका से चुनाव जीतने वाले गिरधारी यादव का कहना है कि भाजपा सिर्फ सियासी फायदे के लिए आज तक बिहार का उपयोग करती रही है। उन्होंने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों का उदाहरण भी दिया। जदयू सांसद ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार से एनडीए के 31 सांसदों को कामयाबी मिली थी। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनावों में बिहार ने एनडीए की झोली भर दी। 2019 के चुनावों में बिहार से एनडीए के 39 सांसद जीते थे मगर इसके बावजूद भाजपा की ओर से बिहार की अनदेखी की जा रही है।
पटना से दिल्ली के लिए एक ट्रेन तक नहीं दी
उन्होंने कहा कि मिसाल के तौर पर अगर हम रेलवे मंत्रालय को देखें तो मोदी सरकार के सात साल के शासनकाल के दौरान पटना से नई दिल्ली जाने के लिए कोई नई ट्रेन तक नहीं दी गई। जदयू सांसद ने कहा कि जब पीयूष गोयल केंद्रीय रेल मंत्री थे तो बिहार के सांसदों ने उनसे नई दिल्ली से बिहार के लिए नई ट्रेन (delhi bihar train) चलाने की मांग की थी।
इस मांग के बाद पीयूष गोयल की ओर से इसे पूरा करने का आश्वासन भी दिया गया था मगर आज तक उसे पूरा नहीं किया गया। बिहार की विकास परियोजनाओं पर भी मोदी सरकार की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बजट के अभाव में भी कई परियोजनाएं लटकी हुई हैं मगर मोदी सरकार का उस पर कोई ध्यान ही नहीं है।
पार्टी विधायक ने भी लगाया बड़ा आरोप
जदयू सांसद के इन आरोपों से पहले पार्टी के विधायक गोपाल मंडल ने भी डिप्टी सीएम और भाजपा नेता पर गंभीर आरोप लगाया था। उनका कहना था कि डिप्टी सीएम जब भी भागलपुर के दौरे पर आते हैं तो उनका एकमात्र मकसद पैसे की वसूली करना होता है। उनकी दिलचस्पी भागलपुर के विकास में नहीं बल्कि वसूली में ज्यादा होती है।
मंडल के इस आरोप के बाद भाजपा और जदयू के रिश्तों में तल्खी आ गई थी। बाद में दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व की ओर से किए गए प्रयास से इस विवाद को खत्म करने में मदद मिली। अब जदयू के सांसद की ओर से लगाए गए आरोपों के बाद एक बार फिर दोनों दलों के रिश्तों में तल्खी पैदा हो गई है।
भाजपा ने जताई तीखी प्रतिक्रिया
जदयू सांसद के आरोपों पर भाजपा में जबर्दस्त नाराजगी दिख रही है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने इन आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। उन्होंने कहा कि जदयू सांसदों को यह बात नहीं भूलना चाहिए कि उन्हें भी पीएम मोदी के चेहरे पर ही वोट मिला है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नाम पर वोट लेकर जीतने वाले सांसद को इस तरह का बयान देने का कोई हक नहीं है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उनके लिए बिहार का विशेष स्थान है। केंद्र सरकार की ओर से बिहार पर विशेष ध्यान भी दिया जा रहा है। ऐसे में इस तरह के आरोपों में कोई दम नहीं दिखता। उन्होंने कहा कि इस तरह का आरोप लगाने वाले नेताओं का दिल दूसरे दलों में बसता है। वे उन दलों की ही जुबान बोल रहे हैं। उन्होंने मांग की कि ऐसा बयान देने वाले सांसद के खिलाफ जदयू के नेतृत्व को कार्रवाई करनी चाहिए।
सियासी जानकारों का मानना है कि यदि जदयू नेताओं की ओर से इसी तरह आरोपों का सिलसिला जारी रखा गया तो आने वाले दिनों में दोनों दलों के रिश्ते और बिगड़ सकते हैं। वैसे जदयू नेता इस मामले को ठंडा करने की कोशिश में जुट गए हैं ताकि बिहार में सत्तारूढ़ नीतीश सरकार के भविष्य पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े।