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Bihar Political Crisis: ईद से मोहर्रम तक नीतीश के पैतरे में अल्पसंख्यकों के लिए छिपे संदेश
Bihar Political Crisis: नीतीश कुमार की बेचैनी की मुख्य वजह यादव-मुस्लिम वोट का ध्रुवीकरण है। वह येन केन प्रकारेण मुस्लिम वोटरों को जनता दल यूनाइटेड के साथ लाना चाहते हैं।
Bihar Political Crisis: बिहार (Bihar) के जनता दल यूनाइटेड प्रमुख नीतीश कुमार (Janata Dal United chief Nitish Kumar) का भाजपा (BJP) के साथ नाता टूटने की घटना कोई अप्रत्याशित नहीं है। इस बात के संकेत काफी पहले से मिलने शुरू हो गए थे, जिसमें 25 जुलाई को उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि फिलहाल साथ हैं 2024 का पता नहीं। इससे पहले भी भाजपा जदयू के बीच दरार की खबरें लगातार आ रही थीं। इसके अलावा नीतीश को अपने मुस्लिम वोट बैंक के छिटने का खतरा भी लगने लगा था इसीलिए उनका मुस्लिम प्रेम पिछले कुछ महीनों से ज्यादा ही बढ़ गया था।
राजनीतिक विश्लेषकों का यह मानना है कि नीतीश गाहे बगाहे अपने कार्यक्रमों और खासकर अल्पसंख्यकों से जुड़े कार्यक्रमों में एक डायलाग दोहराने लगे थे कि हम सेवा करने वाले लोग हैं हमें वोट की चिंता नहीं। यानी वह परोक्ष रूप से अल्पसंख्यक वोटरों को संदेश देना चाहते थे।
पिछले तकरीबन सत्रह सालों से भाजपा (BJP) के साथ चलने वाले नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का मुस्लिम प्रेम हाल के दिनों में कितना बढ़ गया था। इसका सबूत है इस बार रमजान के महीने में हर किसी के घर इफ्तार पार्टी में बुलाए जाने पर जरूर गए। यहां तक कि तेजस्वी यादव के घर जाकर उन्होंने भविष्य का सियासी संदेश देने का भी प्रयास किया। इसके बाद ईद के मौके पर नीतीश सबसे ज्यादा जगहों पर गए और दुआएं भी मांगी। मुस्लिम दोस्तों के घर जाकर सेवईं भी खायीं। ईद की बधाई और शुभकामनाएं भी दीं। इसके अलावा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अपना नाता तोड़ने के लिए उन्होंने खास मोहर्रम का दिन चुना ताकि सरकार की कुर्बानी को एक दिशा दे सकें और अल्पसंख्यक वोटरों को स्पष्ट संदेश दे सकें।
बिहार में तकरीबन 17 फीसदी मुस्लिम वोटर
आपको बता दें कि बिहार में तकरीबन 17 फीसदी मुस्लिम वोटर है जो पहले पारंपरिक रूप से कांग्रेस को वोट दिया करता था लेकिन 1989 के भागलपुर दंगे के बाद ये वोटर कांग्रेस से छिटक गया। उस दौर में लालू यादव अपनी सियासी जमीन मजबूत कर रहे थे उन्होंने मौके का लाभ उठाया और यादव मुस्लिम समीकरण खूब चला। बाद में लालू का शासन भ्रष्टाचार के दलदल में फंसता चला गया और नीतीश कुमार मुसलमानों की उम्मीद की नई किरण बनकर उभरे। और भाजपा के साथ रहने के बावजूद मुसलमानों ने उन्हें वोट किया। लेकिन बाद में तेजस्वी यादव के हाथ कमान आने के बाद उन्हें फिर से मुस्लिम वोटर का साथ मिल गया।
नीतीश की बेचैनी की मुख्य वजह यादव मुस्लिम वोट का ध्रुवीकरण
नीतीश की बेचैनी की मुख्य वजह यही यादव मुस्लिम वोट का ध्रुवीकरण है। और वह येन केन प्रकारेण मुस्लिम वोटरों को जनता दल यूनाइटेड के साथ लाना चाहते हैं। इस काम में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की भाजपा उन्हें बड़ी बाधा लग रही थी। इसीलिए वह मौके की तलाश में थे और मौका मिलते ही राजग को झटका देकर अलग हो गए।