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Bihar Politics: बिहार के MLC चुनाव में राजद का बड़ा सियासी दांव,एमवाई से ज्यादा सवर्णों पर जताया भरोसा
राजद की ओर से बनाई गई इस रणनीति को बड़ा बदलाव माना जा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी की अगुवाई में पार्टी ने एनडीए गठबंधन को कड़ी चुनौती दी थी।
Bihar Politics: बिहार के एमएलसी चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। अभी तक एमवाई (मुस्लिम-यादव) के भरोसे चुनावी अखाड़े में कूदने वाली पार्टी राजद ने एमएलसी चुनाव में सवर्णों को काफी महत्व दिया है। राजद की ओर से 23 में से 10 सीट पर सवर्ण उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। पार्टी ने जिन सवर्णों को टिकट दिया है उनमें 5 भूमिहार, चार राजपूत और एक ब्राह्मण है।
राजद की ओर से बनाई गई इस रणनीति को बड़ा बदलाव माना जा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी की अगुवाई में पार्टी ने एनडीए गठबंधन को कड़ी चुनौती दी थी। कुछ ही सीटों के अंतर से पार्टी बिहार की सत्ता पर काबिज होने से चूक गई थी। इसके पीछे सवर्णों की नाराजगी को भी बड़ा कारण माना गया था।
सियासी जानकारों का मानना है कि इसी कारण राजद ने एमएलसी के चुनाव में अपनी रणनीति में बदलाव लाते हुए सवर्णों पर दांव खेला है।
भूमिहारों और राजपूतों पर लगाया दांव
राजद की ओर से पांच भूमिहार उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। इनमें पूर्वी चंपारण से राजेश कुमार रोशन, पटना से कार्तिकेय कुमार, मुजफ्फरपुर से शंभू सिंह, पश्चिमी चंपारण से सौरभ कुमार और मुंगेर-जमुई से अजय सिंह के नाम शामिल हैं। राजपूत जाति से ताल्लुक रखने वाले जिन उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है, उनमें औरंगाबाद से अनुज सिंह, रोहतास से कृष्ण सिंह, सहरसा से डॉक्टर अजय सिंह और गोपालगंज से दिलीप सिंह शामिल हैं। पार्टी ने सारण से सुधांशु रंजन पांडेय को भी टिकट दिया है। सीवान से वैश्य उम्मीदवार विनोद जायसवाल को भी टिकट दिया गया है।
आठ यादव प्रत्याशी उतारे
राजद की ओर से अभी तक एमवाई समीकरण को ही ज्यादा महत्व दिया जाता रहा है। एमएलसी के चुनाव में वाई का तो ख्याल रखा गया है मगर पार्टी नेतृत्व ने एम की इस बार अनदेखी की है। पार्टी की ओर से सिर्फ एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार मधुबनी से मेराज आलम को चुनाव मैदान में उतारा गया है।
वैसे पार्टी ने यादव बिरादरी का पूरा ख्याल रखा है और आठ यादव उम्मीदवार मैदान में उतारे गए। इनमें दरभंगा से उदय शंकर यादव, भोजपुर से अनिल सम्राट, गया से रिंकू यादव, वैशाली से सुबोध राय, सीतामढ़ी से कब्बू खिरहर यादव, कटिहार से कुंदन कुमार और बेगूसराय खगड़िया से मनोहर यादव के नाम शामिल हैं। भागलपुर से सहयोगी सीपीआई ने संजय यादव को उतारा है।
राजद की रणनीति में बड़ा बदलाव
राजद की ओर से सवर्ण उम्मीदवारों को महत्व देने की नई रणनीति को बड़ा सियासी दांव माना जा रहा है। राजद को मुस्लिम और यादव मतों से अभी तक राजनीतिक मजबूती मिलती रही है मगर अब पार्टी ने सवर्णों को भी रिझाने का प्रयास किया है। सियासी जानकारों का मानना है कि राजद की कोशिश भाजपा और जदयू के वोट बैंक में सेंध लगाने की है।
पार्टी ने पिछला विधानसभा चुनाव पूरी मजबूती से लड़ा था मगर राजद की अगुवाई वाला गठबंधन कुछ ही सीटों से पिछड़ गया था। अब राजद ने सवर्णों को रिझा कर नया समीकरण बनाने की कोशिश की है। राजद नेतृत्व का मानना है कि मुस्लिम और यादवों के साथ अगर पार्टी सवर्णों के वोट हासिल करने में कामयाब रही तो निश्चित रूप से भाजपा-जदयू गठबंधन को बड़ी चुनौती दी जा सकती है।