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Bihar Politics: चुनाव आयोग पहुंचा लोजपा का घमासान, चाचा और भतीजे दोनों ने जताई पार्टी पर दावेदारी
Bihar Politics: लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच शुरू हुई सियासी जंग चुनाव आयोग की दहलीज पर पहुंच गई है।
Bihar Politics: लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच शुरू हुई सियासी जंग चुनाव आयोग की दहलीज पर पहुंच गई है। चिराग के खिलाफ बगावत के बाद पारस की अगुवाई वाला गुट पार्टी पर प्रभुत्व स्थापित करने की मुहिम में जुट गया है जबकि चिराग भी पार्टी अपनी दावेदारी जता रहे हैं। चिराग ने चुनाव आयोग से मुलाकात में पारस गुट के दावे को पार्टी के संविधान के खिलाफ बताया है।
दूसरी ओर पटना में गुरुवार को आयोजित बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए पारस ने खुद को अध्यक्ष चुने जाने का पूरा दस्तावेज आयोग को भेजने की बात कही है। उनका कहना है कि चिराग की ओर से किए गए दावे में कोई दम नहीं है क्योंकि उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी की ओर से विधिवत पार्टी का नया अध्यक्ष चुन लिया गया है।
चिराग ने आयोग के सामने पेश किया दावा
चाचा पशुपति कुमार पारस की अगुवाई में पांच सांसदों के अलग होने के बाद चिराग पासवान पार्टी में अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं। अपनी दावेदारी को मजबूत बनाने के लिए चिराग ने लोजपा के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ शुक्रवार को चुनाव आयोग से मुलाकात की।
इस दौरान चिराग ने पार्टी के संविधान का हवाला देते हुए खुद के 2019 में लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने की बात बताई। उनका कहना था कि मैं ही अभी तक राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहा हूं और पार्टी संविधान के मुताबिक हर पांच साल में नए अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है।
बागियों को नहीं दी जा सकती मान्यता
चिराग ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का बहुमत अपने साथ होने का भी दावा किया। उनका कहना था कि पार्टी संविधान के खिलाफ काम करने वाले बागियों को किसी भी सूरत में मान्यता नहीं दी जा सकती क्योंकि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने बैठक करके मुझे अध्यक्ष के रूप में चुना था।
उनका कहना था कि मौजूदा स्थितियों में भी मैं ही पार्टी अध्यक्ष के रूप में काम कर रहा हूं। अगर किसी दूसरे की ओर से पार्टी अध्यक्ष के रूप में दावा किया जाता है तो वह पूरी तरह गलत है। आयोग से मुलाकात के बाद चिराग ने कहा कि आयोग ने हमारी बातों को पूरे ध्यान से सुना है और उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।
पार्टी विरोधी गतिविधियों में कई निलंबित
चिराग ने कहा कि पांच सांसदों, दो प्रदेश अध्यक्षों, एक राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी प्रकोष्ठ के प्रकोष्ठ के एक राष्ट्रीय अध्यक्ष को पार्टी से निलंबित किया जा चुका है। ये लोग पार्टी के नाम पर दावा करने की कोशिश में जुटे हुए थे और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लगे हुए थे।
उन्होंने कहा कि चाचा पशुपति पारस को उस बैठक की तस्वीर सार्वजनिक करनी चाहिए जिसमें उन्हें अध्यक्ष चुना गया ताकि यह तो पता चल सके कि वे कौन लोग थे जिन्होंने उन्हें पार्टी का नया अध्यक्ष चुना है। चिराग ने कहा कि बागी गुट की ओर से सिर्फ अफवाह फैलाने का काम किया जा रहा है और उनके दावे में कोई दम नहीं है।
स्पीकर से फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध
चिराग ने बागी गुट को मान्यता देने के खिलाफ लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला को भी चिट्ठी लिखी है। चिराग ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ने हड़बड़ी में हमारी पार्टी के संविधान के खिलाफ फैसला दिया है। मैं जल्द ही स्पीकर से मुलाकात करके उन्हें पार्टी के संविधान के बारे में जानकारी दूंगा। स्पीकर को पार्टी के संविधान की जानकारी नहीं होगी और इसी कारण उन्होंने चाचा पशुपति पारस को लोजपा संसदीय दल के नेता के रूप में मान्यता दे दी है। मैंने स्पीकर से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है।
पारस गुट ने भी आयोग को भेजे दस्तावेज
दूसरी ओर पशुपति पारस में भी चिराग पासवान के खिलाफ आर-पार की जंग छोड़ दी है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष के रूप में मेरे चुनाव पर उंगली उठाने वाले चिराग को यह पता होना चाहिए कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मुझे निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया है। हमने भी इस चुनाव से जुड़े सारे दस्तावेज चुनाव आयोग को भेज दिए हैं। पार्टी की ओर से जल्दी ही आयोग को उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने का प्रमाण पत्र भी सौंपा जाएगा।
एनडीए में बने रहने का पारस का ऐलान
बिहार विधानसभा के चुनाव के दौरान चिराग ने एनडीए से बाहर निकलकर 143 विधानसभा सीटों पर लोजपा के प्रत्याशी उतार दिए थे। दूसरी ओर पशुपति पारस का कहना था कि है कि हम लोग पहले भी एनडीए में थे, मौजूदा समय में भी एनडीए में हैं और भविष्य में भी एनडीए में ही बने रहेंगे। उन्होंने चिराग पासवान पर रामविलास पासवान के सिद्धांतों से भटकने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पार्टी को बचाने के लिए ही यह कदम उठाया गया है।
पार्टी पर कब्जे की जंग और तीखी
सियासी जानकारों का कहना है कि लोजपा में शुरू हुई वर्चस्व की जंग लगातार तीखी होती जा रही है और दोनों गुट एक-दूसरे को चुनौती देने की कोशिश में जुट गए हैं। पार्टी पर कब्जा करने के लिए बागी गुट की ओर से पारस को नया अध्यक्ष चुन लिया गया है जबकि चिराग पासवान पारस को अध्यक्ष मानने के लिए कतई तैयार नहीं है। चिराग गुट की ओर से भी रविवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई है और इस बैठक में चिरागों को ही पार्टी का अध्यक्ष बनाए रखने पर मुहर लगाई जाने की संभावना है।
पारस को केंद्र में मंत्री बनाने की चर्चा
सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि दोनों गुटों के बीच शुरू हुई इस सियासी जंग में अभी तक भाजपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई गई है। स्पीकर की ओर से पारस को संसदीय दल का के नेता के रूप में मान्यता दिए जाने के बाद उन्हें मंत्री बनाए जाने की भी चर्चा है।
यही कारण है कि पारस जोर शोर से एनडीए में बने रहने का ऐलान कर रहे हैं। मोदी मंत्रिमंडल का जल्द ही विस्तार होने वाला है और इस विस्तार में अगर पारस को मंत्री बनने का मौका मिला तो निश्चित रूप से चिराग के मुकाबले उनका पलड़ा और भारी हो जाएगा।
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