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Bihar Politics: बिहार में नई सियासी खिचड़ी पकने के संकेत, धमाका करने की कोशिश में जुटे हैं लालू

Bihar Politics: मांझी की छवि बिहार में ऐसे नेता की रही है जो अपने फायदे के लिए किसी भी समय पलटी मार सकता है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Dharmendra Singh
Published on: 12 Jun 2021 3:23 PM IST
Bihar Politics: बिहार में नई सियासी खिचड़ी पकने के संकेत, धमाका करने की कोशिश में जुटे हैं लालू
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Bihar Politics: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव और हम पार्टी के मुखिया जीतन राम मांझी की मुलाकात और फिर मांझी की लालू प्रसाद यादव से हुई बात को बिहार में नई सियासी खिचड़ी पकने का संकेत माना जा रहा है। दरअसल मांझी की छवि बिहार में ऐसे नेता की रही है जो अपने फायदे के लिए किसी भी समय पलटी मार सकता है। वे पूर्व में भी कई बार सियासी फायदे के लिए पलटी मार चुके हैं।

पिछले दिनों वीआईपी पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी के साथ हुई मांझी की बैठक के बाद से ही बिहार की सियासत में उथल-पुथल की आशंकाएं जताई जा रही हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि मांझी की लालू से बातचीत सिर्फ जन्मदिन की बधाई देने तक ही सीमित नहीं थी बल्कि उन्होंने एक कदम आगे बढ़कर बिहार में नए राजनीतिक समीकरणों पर भी चर्चा की है।
हालांकि मांझी और लालू दोनों ने बातचीत का खुलासा नहीं किया है मगर बातचीत के बाद तेजप्रताप ने यह बयान देकर सियासी पारा बढ़ा दिया कि मांझी के लिए राजद के दरवाजे हमेशा खुले हुए हैं।

एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान लालू प्रसाद यादव (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)

नया समीकरण बनाने में जुटे लालू

दरअसल गत वर्ष विधानसभा चुनाव में राजद की अगुवाई में विपक्षी महागठबंधन न पूरा जोर लगाया मगर एनडीए ने कुछ ही सीटों से बाजी मार कर सरकार बनाने में कामयाबी हासिल कर ली।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव उसमयस चारा घोटाले में बंद थे मगर अब वह जमानत पर बाहर आ चुके हैं और बिहार में नया राजनीतिक समीकरण बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। हम के मुखिया जीतन राम मांझी से उनकी बातचीत को इसी कड़ी में जोड़कर देखा जा रहा है।

लालू ने मांझी को दिया बड़ा ऑफर

शुक्रवार को लालू प्रसाद यादव का जन्मदिन था और इसी दिन लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव मांझी से मुलाकात करने के लिए उनके आवास पर पहुंच गए। मुलाकात के दौरान तेज प्रताप ने मांझी की लालू उनसे बात भी कराई। हालांकि लालू यादव और जीतन राम मांझी की बातचीत का पूरा ब्योरा अभी बाहर नहीं आ सका है मगर जानकारों का कहना है कि लालू प्रसाद यादव ने मांझी को कोई बड़ा ऑफर दिया है।
मांझी चुनाव से पहले राजद महागठबंधन में ही शामिल थे मगर सीटों को लेकर हुई तकझक के बाद उन्होंने एनडीए से हाथ मिला लिया था। लालू प्रसाद यादव ने एक बार फिर मांझी पर डोरे डालने का काम शुरू कर दिया है।

तेज प्रताप से मिलने के बाद मीडिया से बातचीत करते जीतन राम मांझी (फोटो: सोशल मीडिया)
भाजपा पर हमलावर हैं मांझी
वैसे तो हम के मुखिया मांझी और वीआईपी के मुखिया मुकेश सहनी के पास सिर्फ चार-चार विधायकों की ताकत है मगर बिहार की नीतीश सरकार इन 8 विधायकों के दम पर ही टिकी हुई है। लालू प्रसाद यादव से बातचीत से पहले मांझी मुकेश सहनी के साथ भी बैठक कर चुके हैं।
मांझी हाल के दिनों में एनडीए और खास तौर पर बीजेपी के खिलाफ हमलावर रवैया अपनाते हुए दिखे हैं। उन्होंने लालू प्रसाद यादव की शादी की वर्षगांठ के मौके पर भी उन्हें बधाई देते हुए ट्वीट किया था और फिर जन्मदिन पर भी बधाई दी थी।

विशेष संदेशा लेकर पहुंचे तेजप्रताप

तेज प्रताप का मांझी के घर पर पहुंचना महज संयोग नहीं माना जा रहा है बल्कि जानकारों के मुताबिक तेज प्रताप लालू का विशेष संदेशा लेकर मांझी से मिलने पहुंचे थे और फिर मांझी और लालू की करीब 12 मिनट तक बातचीत चली। जानकार सूत्रों का कहना है कि लालू प्रसाद यादव की ओर से मांझी को महागठबंधन में आने का कोई बड़ा ऑफर दिया गया है। इसके साथ ही लालू ने उन्हें मुकेश सहनी को भी मनाने की जिम्मेदारी सौंपी है। एमएलसी चुनावों के दौरान भी दोनों को ज्यादा सीटें देने की बात कही गई है।

जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी (काॅन्सेप्ट फोटो: सोशल मीडिया)

अनदेखी से मांझी और सहनी नाराज
सियासी जानकारों का कहना है कि एनडीए सरकार में हो रही अनदेखी से मांझी और साहनी दोनों नेता भीतर ही भीतर काफी नाराज हैं। मांझी के करीबी नेता ने भी गठबंधन से उनकी नाराजगी की पुष्टि की है।
दोनों नेताओं की शिकायत है कि सरकार के प्रमुख फैसलों में उनकी अनदेखी की जा रही है। अपनी इसी उपेक्षा के कारण ये दोनों नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज बताए जा रहे हैं। हालांकि दोनों नेताओं ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं मगर उनकी नाराजगी की चर्चा सियासी गलियारों में हर जगह तैर रही है।

गठबंधन धर्म का पालन न करने का आरोप

जानकारों का कहना है कि मांझी पलटी मारने के माहिर खिलाड़ी हैं और उन पर कभी भी भरोसा नहीं किया जा सकता। मांझी ने पिछले दिनों आरोप लगाया था कि बिहार में गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया जा रहा है।
पूर्व सांसद पप्पू यादव की गिरफ्तारी के समय भी दोनों नेताओं ने खुलकर नाराजगी जताई थी और इस कदम को लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया था। उन्होंने पप्पू यादव की रिहाई की भी मांग की थी। हालांकि नीतीश कुमार ने उनकी इस मांग पर गौर नहीं फरमाया था।

बिहार में सरकार का समीकरण

यदि बिहार विधानसभा के गणित को देखा जाए तो मौजूदा समय में नीतीश सरकार को 127 विधायकों का समर्थन हासिल है। इनमें भाजपा के 74 जदयू के 43 (मेवालाल चौधरी के निधन से एक सीट रिक्त) और मांझी और सहनी की पार्टी क्रमश: हम और वीआईपी के 4-4 विधायकों का समर्थन हासिल है। एक निर्दलीय विधायक ने भी नीतीश सरकार को समर्थन दे रखा है।
दूसरी ओर विपक्षी महागठबंधन में राजद के 75, कांग्रेस के 19 और वाम दलों के 16 विधायक शामिल हैं। इस तरह महागठबंधन के पास 110 विधायकों की ताकत है जो कि बहुमत से मात्र 12 सीट दूर है। इस बार विधानसभा में एआईएमआईएम के पांच विधायक जीतकर पहुंचे हैं। इन विधायकों ने महागठबंधन को समर्थन देने का संकेत भी दे रखा है। ऐसे में अगर मांझी और सहनी ने पलटी मारी तो महागठबंधन के लिए सत्ता की राह खुल सकती है।

एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सुशील कुमार मोदी (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)
सफल नहीं होंगी राजद की कोशिशें
दूसरी और राज्यसभा सांसद और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी का कहना है कि मांझी दलितों के सर्वमान्य नेता हैं और उन पर डोरे डालने की राजद की कोशिशें सफल नहीं होंगी। उन्होंने एनडीए के पूरी तरह एकजुट होने का दावा करते हुए कहा कि नीतीश सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।
उन्होंने कहा कि मांझी एनडीए के वरिष्ठ नेता हैं और किसी जनप्रतिनिधि की उनसे मुलाकात का कोई सियासी मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनडीए एक लोकतांत्रिक संगठन है। इसलिए दलों की राय अलग-अलग हो सकती है, लेकिन सरकार चलाने के मुद्दे पर सभी दलों में पूरी तरह एकजुटता है।

एनडीए को सरकार बचाने की चुनौती

दूसरी और राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने मांझी और तेज प्रताप की मुलाकात के बाद कहा कि समझने वाले समझ गए, जो ना समझे वो अनाड़ी है। उन्होंने कहा कि जीतन राम मांझी भले ही शरीर से एनडीए में हैं, लेकिन उनका दिल अभी भी लालू प्रसाद यादव की विचारधारा के साथ है। उन्होंने कहा कि मांझी का एनडीए में पूरी तरह दम घुट रहा है। उन्होंने एनडीए को सरकार बचाने की भी चुनौती दी।




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