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Bihar Politics: पासवान की पुण्यतिथि पर मिला बड़ा संकेत, आखिर क्या करवट लेगी बिहार की भावी सियासत
Bihar Politics: पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पहली पुण्यतिथि पर चिराग पासवान और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के द्वारा किए श्रद्धांजलि सभा को लेकर बिहार की भावी सियासत का बड़ा संकेत मिला है।
Bihar Politics: लोजपा के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पहली पुण्यतिथि पर शुक्रवार को भावी सियासत का बड़ा संकेत भी मिला। पासवान की पुण्यतिथि पर पटना से दिल्ली तक श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया गया। मजे की बात यह है कि दिल्ली में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान की ओर से किया गया था । जबकि पटना में पासवान के छोटे भाई और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया।
इन दोनों सभाओं में जुटे नेताओं ने बिहार की भावी सियासत का बड़ा संकेत भी दिया। इससे यह भी साफ हुआ कि आने वाले दिनों में बिहार में चिराग की राजनीति किस करवट बैठेगी। राजद मुखिया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी का चिराग के प्रति क्या नजरिया है। दूसरी ओर पटना में पारस की ओर से आयोजित श्रद्धांजलि सभा में नीतीश कुमार की मौजूदगी से साफ हो गया कि पारस आने वाले दिनों में नीतीश के साथ ही कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले हैं।
दो टुकड़ों में बंट चुकी है लोजपा
लोजपा संस्थापक रामविलास पासवान का पिछले साल 8 अक्टूबर को निधन हुआ था। उनके निधन के तुरंत बाद बिहार का विधानसभा चुनाव था, जिसमें चिराग ने एनडीए से बगावत करते हुए 140 से अधिक सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए थे। चिराग की रणनीति पूरी तरह फेल साबित हुई क्योंकि लोजपा का सिर्फ एक ही प्रत्याशी चुनाव जीत सका। उसने भी बाद में जदयू का दामन थाम लिया। बाद में चिराग से नाराज लोजपा सांसदों ने बगावत कर दी। चिराग को छोड़कर बाकी पांच सांसद एक मंच पर आ गए। दोनों पक्षों के बीच विवाद चुनाव आयोग की चौखट तक पहुंच गया, जिसमें चुनाव आयोग ने लोजपा नाम और पार्टी के चुनाव चिह्न झोपड़ी को फ्रीज कर दिया है।
चुनाव आयोग के फैसले के मुताबिक पार्टी अब दो टुकड़ों में बंट चुकी है। दोनों दलों को आयोग की तरफ से अलग-अलग चुनाव चिह्न आवंटित किए जा चुके हैं। चिराग गुट को हेलिकॉप्टर चुनाव चिह्न मिला है, जबकि पारस गुट को सिलाई मशीन चुनाव चिह्न दिया गया है।
पारस के आयोजन में नीतीश की हिस्सेदारी
रामविलास पासवान की पुण्यतिथि पर दोनों गुटों की ओर से अलग-अलग श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की गईं। पारस की ओर से पटना में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में राज्यपाल फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, शिक्षा मंत्री विजय चौधरी समेत जदयू के कई दिग्गज नेताओं ने हिस्सा लिया। नीतीश कुमार काफी देर तक श्रद्धांजलि सभा में रुके रहे। उन्होंने रामविलास पासवान के साथ अपनी पुरानी यादें साझा कीं। उन्होंने पासवान से अपने पुराने रिश्तों को याद करते हुए कहा कि उनके प्रति मेरे मन में हमेशा आदर और सम्मान का भाव रहा है।।उनकी अभी जाने की उम्र नहीं थी। मगर खराब स्वास्थ्य ने उन्हें हमसे छीन लिया।
उन्होंने पासवान की स्मृति को सजोने और उनके द्वारा किए गए कार्यों को लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रयास करने पर भी जोर दिया। पिछले दिनों चिराग पासवान की ओर से भी पटना में अपने पिता की याद में श्रद्धांजलि का कार्यक्रम आयोजित किया गया था । मगर नीतीश कुमार उसमें हिस्सा लेने के लिए नहीं पहुंचे थे। इसे लेकर चिराग ने नीतीश पर हमला भी बोला था। पारस की श्रद्धांजलि सभा में नीतीश की मौजूदगी इस बात का संकेत थी कि आने वाले दिनों में वे पारस गुट के साथ मिलकर ही दलित वोटों में सेंध लगाने की कोशिश करेंगे।
चिराग के आयोजन में पहुंचे राहुल-लालू
उधर दिल्ली में पासवान के घर पर चिराग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मौजूदगी भी चर्चा का विषय बनी रही। इस दौरान राहुल और लालू अगल-बगल ही बैठे थे । दोनों आपस में गुफ्तगू करते भी दिखे। बाद में राहुल ने कहा कि मैंने लालू जी से उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी हासिल की। दोनों नेताओं के बीच काफी देर तक बातचीत भी हुई। यह बातचीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बिहार में इन दिनों राजद और कांग्रेस के बीच खींचतान चल रही है । दो सीटों पर हो रहे हो चुनाव में दोनों दल आमने-सामने ताल ठोकते नजर आ रहे हैं।
सोशल मीडिया पर भी लालू और राहुल की साथ बैठे हुए तस्वीर खूब वायरल हुई। हालांकि अभी इस बात का खुलासा नहीं हो सका है कि दोनों नेताओं के बीच क्या बात हुई। वैसे माना जा रहा है कि इन दोनों नेताओं ने बिहार में एनडीए के खिलाफ एकजुट रहने पर चर्चा की है। इस मौके पर लालू यादव ने रामविलास पासवान को असाधारण नेता बताते हुए उन्हें दलितों और गरीबों का मसीहा बताया। उन्होंने रामविलास पासवान को भारत रत्न देने की भी मांग की।
आयोजन के सियासी मायने
रामविलास पासवान की पुण्यतिथि के बहाने पटना में नीतीश और दिल्ली में चिराग के घर लालू और राहुल की मौजूदगी के अलग सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। सियासी जानकारों के मुताबिक इससे साफ हो गया है कि बिहार में आने वाले दिनों में चिराग और पारस की सियासत का क्या रुख रहेगा। श्रद्धांजलि सभा से पूरी तरह साफ हो गया की चिराग किसके नजदीक हैं । पारस किसके साथ मिलकर भविष्य में सियासत करेंगे।
राजद मुखिया तेजस्वी यादव की ओर से पहले भी चिराग से राजद के साथ मिलकर नीतीश कुमार के खिलाफ लड़ने की अपील की जा चुकी है। तेजस्वी बहुत दिनों से चिराग पर डोरे डालने में जुटे हुए हैं । लालू का आशीर्वाद भी चिराग के ही साथ है। अब ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में चिराग राजद के साथ मिलकर ही बिहार में अपनी सियासी जड़े मजबूत बनाने की कोशिश करेंगे।