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Bihar Politics: मंत्री के इस्तीफे से नीतीश को बड़ा झटका, फिर गरमाया अफसरों के हावी होने का मुद्दा
बिहार के समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी की इस्तीफे की घोषणा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है। नौकरशाही से नाराज सहनी ने अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए अपना दर्द भी बयां किया।
Bihar Politics: बिहार के समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी की इस्तीफे की घोषणा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है। नौकरशाही से नाराज सहनी ने अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए अपना दर्द भी बयां किया। उन्होंने कहा कि बंगला और गाड़ी लेकर क्या करूंगा जब मैं जनता की सेवा करने में ही असमर्थ हूं। सहनी ने कहा कि जब अफसर मेरी बात सुनते ही नहीं हैं तो मैं आम जनता की सेवा कैसे कर सकता हूं। उन्होंने यहां तक कह डाला कि अफसरों की बात तो दूर विभाग का चपरासी तक उनकी बातों को नहीं मानता।
मदन सहनी को मिथिलांचल में जनता दल यू का बड़ा ओबीसी चेहरा माना जाता रहा है। पिछड़ी जातियों में उनकी मजबूत पकड़ रही है और सीट बदले जाने के बावजूद उन्होंने पिछला विधानसभा चुनाव दरभंगा के बहादुरपुर से जीतकर अपनी ताकत दिखाई थी। उनकी इस्तीफे की घोषणा के बाद नीतीश राज में अफसरों के हावी होने का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है।
बंगला और गाड़ी के लिए मंत्री नहीं बना
नीतीश सरकार में अफसरों के हावी होने का मुद्दा उठाते हुए सहनी ने कहा कि कैबिनेट का फैसला है कि 30 जून तक तबादले होने हैं मगर विभागीय अधिकारी कई दिनों से फाइलें दबाकर बैठे हुए हैं। इस बाबत पूछताछ करने पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जाता।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि हम लोग बरसों से अफसरों की तानाशाही झेल रहे हैं मगर अब स्थितियां बर्दाश्त से बाहर हो गई हैं। इसीलिए हमने इस्तीफे का मन बना लिया है। उन्होंने कहा कि मंत्री होने के बावजूद जब मैं किसी का भला ही नहीं कर सकता तो मेरे मंत्री रहने का कोई मतलब नहीं है। हम केवल बंगला और गाड़ी लेने के लिए मंत्री नहीं बने हैं। मुझ पर जनता की सेवा करने की जिम्मेदारी है और जब मैं इस जिम्मेदारी को पूरा नहीं कर सकता तो मंत्री पद पर बने रहने से क्या फायदा। हालांकि उन्होंने इस्तीफे की घोषणा करने के साथ ही यह भी साफ किया कि वे जदयू में बने रहेंगे और उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में भी आस्था जताई।
अपर मुख्य सचिव पर लगाए आरोप
मीडिया से बातचीत के दौरान मदन सहनी ने समाज कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव अतुल प्रसाद पर मनमाना रवैया अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मेरे विभाग में बरसों से कई अफसर कुंडली जमाए बैठे हुए हैं और मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं। इन अफसरों को हटाने की बात कहने पर अपर मुख्य सचिव ने इसे मानने से ही इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि अफसरों के मनमाने रवैये का सामना सिर्फ मुझे ही नहीं करना पड़ रहा है। अन्य मंत्रियों के विभागों के भी यही स्थिति है। हालत यह हो गई है कि बिहार में किसी भी मंत्री की बात कोई अधिकारी नहीं सुनता। उन्होंने कहा कि यह फैसला किया गया था कि एक ही है जगह पर तीन साल से जमे बैठे अफसरों का ट्रांसफर किया जाएगा। मैंने ऐसे अफसरों की सूची अपर मुख्य सचिव के सामने रखी मगर इस बाबत कोई कार्रवाई नहीं हुई।
सहनी ने खेला पिछड़ा कार्ड
मीडिया से बातचीत के दौरान समाज कल्याण मंत्री ने पिछड़ा कार्ड भी खेला। उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग से जुड़े होने के कारण हमें दबाया जाता है और अफसर बात नहीं सुनते। जब विभागीय अफसर मंत्री की बात नहीं सुनते तो ऐसे में मंत्री पद पर बने रहने से क्या फायदा।
उन्होंने कहा कि मेरे साथ यह है घटना पहली बार नहीं हुई है। पिछली बार भी मुझे दबाया गया था मगर शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब बर्दाश्त करने वाले हालात नहीं रह गए हैं। इसलिए इस्तीफे के अलावा मेरे सामने कोई विकल्प नहीं बचा है।
मंत्री की घोषणा से मामला गरमाया
विपक्ष की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमेशा यह आरोप लगाया जाता है कि उनके राज में अफसर किसी की नहीं सुनते। अब मंत्री की ओर से भी यही बात कहे जाने के बाद यह मामला काफी गरमा गया है। मंत्री के इस्तीफे की घोषणा को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
सहनी जदयू का बड़ा ओबीसी चेहरा माने जाते हैं और वह घर और ससुराल दोनों सीटों से चुनाव जीत चुके हैं। 2015 के चुनाव में उन्होंने गौड़ाबौराम सीट से जीत हासिल की थी जहां पर उनकी ससुराल है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने दरभंगा के बहादुरपुर सीट से जीत हासिल की थी जहां उनका घर है।
राजद के हाथ लगा बड़ा मुद्दा
मंत्री के इस्तीफे की घोषणा के बाद अभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोई टिप्पणी नहीं की है। जदयू के नेता भी इस मामले से कन्नी काटते नजर आए। जदयू नेताओं ने भी इस मुद्दे को लेकर कोई बयान नहीं दिया। हालांकि माना जा रहा है कि राजद की ओर से इसे लेकर जल्द ही नीतीश कुमार की घेरेबंदी की जाएगी।
राजद नेता तेजस्वी यादव खुलकर नीतीश कुमार पर आरोप लगाते रहे हैं कि उनके राज में नौकरशाही पूरी तरह हावी है। अब सहनी के इस्तीफे की घोषणा से उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला करने का बड़ा मौका हाथ लग गया है।