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Bihar politics: लालू की सक्रियता से विपक्ष की गोलबंदी तेज, चिराग का इंतजार

राजद के मुखिया और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की अचानक बढ़ी सक्रियता सियासी हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shashi kant gautam
Published on: 4 Aug 2021 1:48 PM IST (Updated on: 4 Aug 2021 3:32 PM IST)
Lalu Prasad Yadav
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चर्चा का विषय बनी लालू की बढ़ती सियासी सक्रियता: फोटो- सोशल मीडिया

Bihar politics: राजद के मुखिया और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की अचानक बढ़ी सक्रियता सियासी हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है। मंगलवार को लालू यादव ने अपनी बेटी मीसा भारती के साथ वरिष्ठ नेता शरद यादव के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की। एक दिन पहले समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ भी लालू ने लंबी गुफ्तगू की थी। पिछले हफ्ते उनकी एनसीपी के मुखिया शरद पवार के साथ भी मुलाकात हुई थी।

चारा घोटाले में जेल से रिहा होने के बाद स्वास्थ्य सुधरने पर लालू यादव की अचानक बढ़ी सक्रियता और उनकी विपक्ष के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात के सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि लालू यादव बिहार में नया सियासी समीकरण गढ़ने और भाजपा के खिलाफ विपक्ष की गोलबंदी की मुहिम में जुटे हुए हैं और इसके नतीजे आने वाले दिनों में दिख सकते हैं। बिहार के बारे में तो लालू ने स्पष्ट बयान दिया है कि लोजपा में टूट के बाद अब चिराग पासवान को तेजस्वी यादव के साथ आ जाना चाहिए। लालू यादव के इस बयान को बिहार में नई मोर्चेबंदी की कोशिश माना जा रहा है।

शरद यादव के साथ सियासी स्थिति पर चर्चा

राजद से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मंगलवार को शरद यादव के साथ मुलाकात के दौरान लालू ने देश की मौजूदा सियासी स्थिति पर लंबी चर्चा की है। बाद में मीडिया से बातचीत में लालू यादव ने कहा कि शरद यादव हमारे वरिष्ठ नेता हैं। उनके अस्वस्थ होने और सांसद न रहने के कारण संसद सूनी-सूनी दिख रही है। लालू ने कहा कि संसद में वरिष्ठ समाजवादी नेता न होने के कारण बड़े बड़े मुद्दे गौण हो गए हैं। जातीय जनगणना और पिछड़ों की आवाज देने वाला उठाने वाला कोई नहीं रह गया है।

शरद यादव से मुलाकात करते हुए लालू यादव: फोटो- सोशल मीडिया

उन्होंने देश में जातीय मतगणना कराने की फिर वकालत की। इसके साथ ही उन्होंने पेगासस के मुद्दे पर भी मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि विपक्ष की मांग पूरी तरह जायज है और इस गंभीर मामले की निश्चित रूप से जांच की जानी चाहिए ताकि पता चल सके कि इसमें किसका-किसका नाम है।

बिहार में नया समीकरण बनाने की कोशिश

बिहार में नए सियासी समीकरण का संकेत देते हुए लालू ने कहा कि लोजपा के असली नेता चिराग पासवान ही हैं। उन्होंने कहा कि कुछ सांसदों की बगावत से पार्टी कमजोर नहीं हुई है। आने वाले दिनों में चिराग मजबूत बनकर उभरेंगे। उन्होंने चिराग और तेजस्वी के साथ मिलकर संघर्ष करने की भी वकालत की।

उन्होंने कहा कि इन दोनों नेताओं के साथ आने से बिहार की सियासत पर काफी असर पड़ेगा। उन्होंने तेजस्वी यादव के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमारी पार्टी सरकार बनाने के बिल्कुल करीब पहुंच गई थी मगर राजद के प्रत्याशियों को थोड़े-थोड़े वोटों से हराकर बेईमानी से सरकार बना ली गई।

तीसरे मोर्चे की वकालत

हाल के दिनों में विपक्ष के कई नेताओं से मुलाकात का जिक्र करते हुए लालू ने कहा कि यह अच्छी बात है कि बहुत से नेता तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि जनता परिवार पहले से ही एकजुट है।

जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा की ओर से नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताए जाने के संबंध में लालू ने कहा कि भाजपा के लोग तो पहले ही साफ कर चुके हैं कि एनडीए में पीएम पद के लिए कोई वैकेंसी नहीं है। ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा के बयान का क्या मतलब रह जाता है। नीतीश कुमार के साथ मिलकर मोर्चेबंदी के संबंध में लालू ने कहा कि वे अतीत में मेरे साथ रहे हैं, लेकिन मौजूदा समय में ऐसी कोई बात बनती नहीं दिख रही है।

लालू यादव ने की मुलायम सिंह यादव से मुलाकात: फोटो- सोशल मीडिया

सियासी नजरिए से महत्वपूर्ण हैं मुलाकातें

लालू की शरद यादव, मुलायम सिंह यादव और शरद पवार से मुलाकात को सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि एनसीपी के मुखिया पवार लालू की सेहत का हाल-चाल लेने के लिए उनसे मिलने पहुंचे थे मगर सियासी जानकारों का कहना है कि लालू नई सियासी खिचड़ी पकाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसके साथ ही वे बिहार में भी नीतीश कुमार के खिलाफ नया सियासी समीकरण गढ़ना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार समाजवादी पार्टी को भी उन्होंने जीत का गुरुमंत्र दिया है।

माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ क्षत्रपों ने सियासी सक्रियता बढ़ा दी है। शरद पवार से मुलाकात के बाद लालू ने इस ओर इशारा करते हुए तीसरे मोर्चे की वकालत भी की है। 2024 की सियासी जंग में मोदी को चुनौती देने के लिए लालू ने विपक्ष की गोलबंदी के लिए बिसात बिछानी शुरू कर दी है। लालू अपनी मुहिम को परवान चढ़ाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। अब हर किसी की नजर इस बात पर ही टिकी हुई है कि लालू को इस मुहिम में कहां तक कामयाबी मिलती है।



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Shashi kant gautam

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