×

Bihar News: बिहार में प्रोफ़ेसर को 2 साल से एक भी छात्र नहीं मिला पढ़ाने को, 23 लाख रुपये सैलरी लौटाई

Bihar News Prof Lalan Kumar: नीतीश्वर काॅलेज में हिंदी के असिस्टेंट प्राेफेसर डाॅ. ललन कुमार ने कक्षा में स्टूडेंट्स की उपस्थित शून्य रहने पर अपने 2 साल 9 माह के कार्यकाल की पूरी सैलरी 23 लाख 82 हजार 228 रुपए लाैटा दी।

Network
Report Network
Published on: 7 July 2022 8:38 AM IST
Bihar Prof Lalan Kumar
X

Bihar Prof Lalan Kumar (image credit news network)

Bihar News Prof Lalan Kumar: स्कूल और कॉलेज के शिक्षकाें पर अक्सर पढ़ाने में रुचि नहीं लेने और मोटी फीस वसूलने के आराेप लगते रहते हैं। इसी दाैर में बिहार के शिक्षक ने अनोखा कदम उठाया है। नीतीश्वर काॅलेज में हिंदी के असिस्टेंट प्राेफेसर डाॅ. ललन कुमार ने कक्षा में स्टूडेंट्स की उपस्थित शून्य रहने पर अपने 2 साल 9 माह के कार्यकाल की पूरी सैलरी 23 लाख 82 हजार 228 रुपए लाैटा दी। डाॅ. ललन ने मंगलवार काे इस राशि का चेक बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलसचिव डाॅ. आरके ठाकुर काे सौंपा ताे सभी हैरान रह गए।

कुलसचिव ने पहले चेक लेने से इनकार किया। इसके बदले नाैकरी छाेड़ने को कहा, लेकिन डाॅ. ललन की जिद के आगे उन्हें झुकना ही पड़ा। डाॅ. ललन ने कहा, 'मैं नीतीश्वर काॅलेज में अपने अध्यापन कार्य के प्रति कृतज्ञ महसूस नहीं कर रहा हूं, इसलिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बताए ज्ञान और अंतरात्मा की आवाज पर नियुक्ति तारीख से अब तक के पूरे वेतन की राशि विश्वविद्यालय काे समर्पित करता हूं'।

उन्हाेंने विश्वविद्यालय की गिरती शिक्षण व्यवस्था पर भी सवाल उठाए। कहा, 'जबसेे नियुक्त हुआ काॅलेज में पढ़ाई का माहाैल नहीं देखा, 1,100 स्टूडेंट्स का हिंदी में नामांकन ताे है, पर उपस्थिति लगभग शून्य रहने से वे शैक्षणिक दायित्व का निर्वहन नहीं कर पाए, ऐसे में वेतन लेना अनैतिक है' बताया जाता है, कि काेरोना काल में ऑनलाइन क्लास के दौरान भी स्टूडेंट्स उपस्थित नहीं रहे, उन्होंने प्राचार्य से विश्वविद्यालय तक काे बताया, लेकिन कहा गया कि शिक्षण सामग्री ऑनलाइन अपलोड कर दें।

डाॅ. ललन की नियुक्ति 24 सितंबर 2019 काे हुई थी। वरीयता में नीचे वाले शिक्षकाें काे पीजी में पोस्टिंग मिली, वहीं इन्हें नीतीश्वर काॅलेज दिया गया। उन्हें यहां पढ़ाई का माहाैल नहीं दिखा, ताे विश्वविद्यालय से आग्रह किया कि उस काॅलेज में स्थानांतरित किया जाए, जहां एकेडमिक कार्य करने का माैका मिले। इस दाैरान 6 बार ट्रांसफर ऑर्डर निकाले, लेकिन डॉ. ललन को नजर अंदाज किया जाता रहा है। कुलसचिव डॉ. आरके ठाकुर के मुताबिक, स्टूडेंट्स किस काॅलेज में कम आते हैं, यह सर्वे करके ताे किसी की पाेस्टिंग नहीं हाेगी। प्राचार्य से स्पष्टीकरण लेंगे कि डाॅ. ललन के आराेप कितने सही हैं।



Prashant Dixit

Prashant Dixit

Next Story