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बिहार के आरके श्रीवास्तव: बचपन में ही छूट गया पिता का साथ, इन संघर्षों के बाद आज दुनिया में फेमस हैं मैथेमैटिक्स गुरू
Rk Srivastava Wiki: आर के श्रीवास्तव का बचपन भी काफी गरीबी से गुजरा है, परन्तु अपने कड़ी मेहनत, उच्ची सोच, पक्का इरादा के बल पर आज देश मे मैथमेटिक्स गुरु के नाम से मशहूर है।
Mathematics Guru Rk Srivastava Wiki: आरके श्रीवास्तव (रजनी कांत श्रीवास्तव) बिहार के जाने-माने शिक्षक एवं विद्वान हैं। मैथमेटिक्स गुरु के नाम से मशहूर आरके श्रीवास्तव (RK Srivastava Birthplace) का जन्म बिहार राज्य के रोहतास जिले के बिक्रमगंज गांव में हुआ। अपने शुरुआती क्लासेज आरके श्रीवास्तव ने अपने मातृभूमि बिक्रमगंज से पढ़ाना प्रारम्भ किया।
आरके श्रीवास्तव ने अपने गांव के असहाय निर्धन सैकड़ो स्टूडेंट्स को निशुल्क शिक्षा देकर आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई में सफलता दिलाया। 540 आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को सिर्फ 1 रूपया में पढ़ाकर इंजीनियर बना चुके है।
कबाड़ की जुगाड़ से प्रैक्टिकल कर पढ़ाई
आज ये सैकड़ो निर्धन स्टूडेंट्स अपने गरीबी को काफी पीछे छोड़ अपने सपने को पंख लगा रहे। कबाड़ की जुगाड़ से प्रैक्टिकल बनाकर उनके द्वारा गणित पढ़ाने का तरीका लाजवाब है। आरके श्रीवास्तव के द्वारा "आर्थिक रूप से गरीबो की नही रुकेगी पढ़ाई अभियान" भी चलाया जाता है। इस अभियान के तहत आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को निःशुल्क शिक्षा के अलावा शिक्षा संबधी सारी सुविधाएं भी उपलब्ध कराया जाता है।
आरके श्रीवास्तव सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर स्टूडेंट्स को मैथमेटिक्स का गुर सीखा रहे। सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर शुरू किया था पढ़ाना। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष 50 गरीब स्टूडेंट्स को आरके श्रीवास्तव अपनी माँ के हाथों निःशुल्क किताबे बंटवाते है।
वर्तमान में बिहार के आरके श्रीवास्तव (Bihar Ke RK Srivastava) को देश के विभिन्न राज्यो के शैक्षणिक संस्थाए गेस्ट फैकल्टी के रूप में शिक्षा देने के लिए भी बुलाते है। आरके श्रीवास्तव देहरादून, हरियाणा, दिल्ली सहित देश के अन्य प्रतिष्टित संस्थानों में गेस्ट फैकल्टी(RK Srivastava Guest Faculty) के रूप में पढ़ाकर उससे होने वाली आमदनी से ही बिहार के गरीब स्टूडेंट्स को निःशुल्क शिक्षा के अलावा शिक्षा संबंधी सारी सुविधाएं देकर उनके सपने को पंख लगाते आ रहे है ।
वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव (rk srivastava world record) की प्रसिद्धि उनके जादुई तरीके से गणित पढ़ाने एवं सैकड़ो गरीब स्टूडेंट्स को निःशुल्क शिक्षा देकर इंजीनियर बनाने की अद्वितीय सफलता के लिए है। आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली के खबरें बिहार सहित देश के सारे प्रतिष्टित अखबारों, न्यूज़ पोर्टल, पत्र- पत्रिकाएं में हजारों बार छप चुके है।
आरके श्रीवास्तव की जीवनी
Biography of Rk Srivastava in Hindi
आर के श्रीवास्तव का पूरा नाम
Rk Srivastava Full Name
रजनी कान्त श्रीवास्तव
Rajni Kant Srivastava
उपनाम : मैथेमैटिक्स गुरू (Mathematics)
आरके श्रीवास्तव का व्यवसाय
RK Srivastava Profession
शिक्षा (EDUCATIONALIST , MATHEMATICIAN)
आर के श्रीवास्तव की माता का नाम
RK Srivastava mother name
आरती देवी
आर के श्रीवास्तव के पिता का नाम
RK Srivastava father name
स्व पारस नाथ लाल
आर के श्रीवास्तव के भाई का नाम
RK Srivastava brother name
स्व शिव कुमार श्रीवास्तव
आर के श्रीवास्तव की भाभी का नाम
RK Srivastava sister-in-law name
संध्या देवी
आर के श्रीवास्तव की बहन का नाम
RK Srivastava sister name
अनिता देवी, ललिता देवी, सविता देवी, बबिता देवी,संगीता देवी
आर के श्रीवास्तव का धर्म
RK Srivastava Religion
हिन्दू
आर के श्रीवास्तव की जाति
RK Srivastava Caste
कायस्थ
आर के श्रीवास्तव की स्कूली पढ़ाई
RK Srivastava schooling
हाई स्कूल बिक्रमगंज, रोहतास बिहार
आर के श्रीवास्तव की कॉलेज पढ़ाई
कॉलेज- वीर कुवर सिंह विश्वविद्यालय (VeerKUVAR Singh University)
आर के श्रीवास्तव का शौक
RK Srivastava hobby
गणित पढ़ाना
आर के श्रीवास्तव का पसंदीदा भोजन
RK Srivastava favorite food
बिहारी डिश
आर के श्रीवास्तव का पसंदीदा खेल
RK Srivastava Favorite game
क्रिकेट
आर के श्रीवास्तव की लंबाई
RK Srivastava Height
165 cm
आर के श्रीवास्तव का पसंदीदा क्रिकेटर
Favorite Cricketer of RK Srivastava
महेंद्र सिंह धोनी
आर के श्रीवास्तव की राष्ट्रीयता
Nationality of RK Srivastava
भारतीय (Indian)
आर के श्रीवास्तव जाने जाते हैं
rk srivastava Known for
सिर्फ 1 रूपया गुरु दक्षिणा 540 स्टूडेंटस को बनाया इंजीनियर
आर के श्रीवास्तव रिश्तेदार
RK Srivastava Relatives
अक्षय कुमार भतीजा (Akshay KUMAR,Nephew)
दिव्या भतीजी (Divya, Niece)
चांदनी भतीजी
Chandani(Niece)
रानी भतीजी
Rani ( Niece)
आर के श्रीवास्तव के चाचा
RK Srivastava's uncle
जगदीश लाल, स्वर्गीय राजकेश्वर लाल, स्वर्गीय विष्णु लाल
(JAGDISH LAL, LATE RAJKESHVAR LAL , Late VISHNU LAL)
आरके श्रीवास्तव का जन्म (rk srivastava birth place) बिहार के रोहतास जिले के बिक्रमगंज में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता(rk srivastava father) एक किसान थे, जब आरके श्रीवास्तव पांच वर्ष के थे तभी उनके पिता पारस नाथ लाल इस दुनिया को छोड़ कर चले गए।
पिता के गुजरने के बाद आरके श्रीवास्तव की माँ ने इन्हें काफी गरीबी को झेलते हुए पाला पोषा। आरके श्रीवास्तव को हिंदी माध्यम के सरकारी स्कूल में भर्ती कराया। उन्होंने अपनी शिक्षा ((rk srivastava Education) के उपरांत गणित में अपनी गहरी रुचि विकसित की।
जब आरके श्रीवास्तव बड़े हुए, तो फिर उनपर दुखों का पहाड़ टूट गया। पिता की फर्ज निभाने वाले एकलौते बड़े भाई शिवकुमार श्रीवास्तव भी इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। अब इसी उम्र में आरके श्रीवास्तव पर अपने तीन भतीजियों की शादी और भतीजे को पढ़ाने लिखाने सहित सारे परिवार की जिम्मेदारी आ गयी।
अपने जीवन के उतार चढ़ाव से आगे निकलते हुए आरके श्रीवास्तव ने 10 जून 2017 को अपनी बड़ी भतीजी और 1 दिसंबर 2021 को दूसरी भतीजी का शादी एक शिक्षित सम्पन्न परिवार में करके एक पिता का दायित्व निभाया।
आज पूरा देश आरके श्रीवास्तव के संघर्ष (rk srivastava proud) की मिसाल देता है। कभी न हारने का संघर्ष। आरके श्रीवास्तव हमेशा अपने स्टूडेंट्स को समझाते है कि "जीतने वाले छोड़ते नही, छोड़ने वाले जीतते नही"।
बिहार के आर के श्रीवास्तव का नाम 'वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' (World Book of Records rk srivastava) लंदन में दर्ज हो चुका है। वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स लंदन से सम्मानित होने के बाद आर के श्रीवास्तव ने एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि, वो सही मायने में 'मैथेमैटिक्स गुरु' (Mathematics Guru) हैं।
आर के श्रीवास्तव का नाम 'वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' द्वारा प्रकाशित किताब में दर्ज किया गया है। किताब में यह जिक्र किया गया है कि आर के श्रीवास्तव ने पाइथागोरस थ्योरम (rk srivastava Pythagoras Theorem) को क्लासरूम प्रोग्राम में 52 अलग अलग तरीके से बिना रुके सिद्ध करके दिखाया है।
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स लंदन के संरक्षक ब्रिटिश पार्लियामेंट के सांसद वीरेंद्र शर्मा ने आरके श्रीवास्तव को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स सम्मान से सम्मानित होने पर उन्हें बधाई दिया।
जब टूटा आरके श्रीवास्तव का सपना
प्रोफेसर आरके श्रीवास्तव (rk srivastava) पढ़ाई के उपरांत टीवी की बीमारी से ग्रसित होने के चलते इलाज के लिए अपने आईआईटी की तैयारी एवं प्रवेश परीक्षा को बीच मे छोड़कर अपने मामा के यहाँ से अपने घर बिक्रमगंज आ गए। गांव के डॉक्टर ने आरके श्रीवास्तव को नौ महीने दवा खाने और आराम करने की सलाह दिया। बीमारी के कारण आरके श्रीवास्तव का आईआईटियन बनने का सपना टूट गया। आईआईटी की प्रवेश परीक्षा छूट गया।
उस समय आरके श्रीवास्तव काफी दुखी हो चुके थे। ऐसे ही काफी दिन बीतते गए , घर पर आरके श्रीवास्तव बोर होने लगे। फिर इन्ही नौ महीनों के दौरान आरके श्रीवास्तव ने अपने घर बुलाकर अपने आस-पास के स्टूडेंट्स को निःशुल्क पढ़ाने लगे। फिर धीरे-धीरे समय बीतते गए और ये कारवा ऐसे ही आगे बढ़ता गया।
एक वर्ष के बाद पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद आरके श्रीवास्तव ने यह ठान लिया कि जिस गरीबी के कारण हमें शिक्षा ग्रहण करने में काफी दिक्कत हुई। वैसे बिहार सहित देश मे कितने स्टूडेंट्स होंगे, जिसमे टैलेंट होने के बावजूद अपनी गरीबी की वजह से पढ़ाई को पूरा नहीं कर पाते होंगे।
फिर वही से अपने शैक्षणिक कार्यशैली की शुरुआत शहर बिक्रमगंज के गरीब स्टूडेंट्स को वर्ष 2008 से पढ़ाना शुरू किया था। जो आज देशव्यापी बन चुका है। आज पूरे देश के अलग-अलग राज्यों में शिविर लगाकर आरके श्रीवास्तव मैथमेटिक्स का गुर सिखाते है। अपने आईआईटियन न बनने की सपने को जिद्द में बदलकर सैकड़ो गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई सहित देश के प्रतिष्टित संस्था में पहुँचाकर उनके सपने को पंख लगाया।
आरके श्रीवास्तव का वंडर किड्स प्रोग्राम
RK Srivastava's Wonder Kids Program
आरके श्रीवास्तव के द्वारा चलाया जा रहा वंडर किड्स प्रोग्राम भी इन दिनों बिहार सहित देश मे चर्चा का विषय बना हुआ है--
मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक आंगन में स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी के प्रति जागरूक होने के लिए प्रत्येक वर्ष अग्नि के सामने शपथ दिलवाया जाता है। स्कूल और कोचिंग के अलावा कम से कम 7 से 8 घण्टे तक सेल्फ स्टडी करने हेतु शपथ दिलवाते है।
इसके अलावा स्टूडेंट्स यह भी शपथ लेते है कि मैं अपने माता- पिता के आशाओ के अनुरूप या उससे बेहतर परिणाम देने का प्रयास करूंगा तथा विद्यार्थियों यह भी वचन देते है कि हमेशा सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने के लिए प्रयत्नशील रहूंगा। शपथ पत्र के अंत मे सभी स्टूडेंट्स "सत्य मेव जयते " के उद्घोषण के साथ अपने शपथ पत्र को पढ़ते है।
वंडर किड्स प्रोग्राम को वर्ष 2017 दिसंबर में शुरू किया। इस प्रोग्राम के तहत शिक्षा देने का मूल उद्देश्य यह है कि कैसे आपके बच्चे अपने वर्ग से आगे वर्ग के प्रश्नों को हल करने का मद्दा रखते है। वर्ग 7 एवम 8 के स्टूडेंट्स 11 वी और 12 वी के सेलेब्स को भी लगभग पूरा कर चुके है।
सबसे बड़ी बात यह है कि ये नन्हे बच्चे न केवल अपने वर्ग से 4 क्लास आगे हो चुके है बल्कि 10 वी, 11वी, 12 वी के टेस्ट परीक्षा में भी टॉप कर रहे। अपने कड़ी मेहनत, उच्ची सोच और पक्का इरादा के बल पर वंडर किड्स प्रोग्राम के उद्देश्य को सफल बनाने के राह पर अग्रसर है।
आरके श्रीवास्तव सभी अभिभावकों को बहुत बहुत धन्यवाद इसलिए देते है कि आप सभी नए शिक्षा प्रणाली को समझ चुके है ,आप सभी ये समझ चुके है कि आपके बच्चे को यदि आईआईटी प्रवेश परीक्षा में बेहतर रैंक से सफल होना है तो वर्ग 10 से पहले ही 11वी, 12वी के पाठयक्रम को पूरे कांसेप्ट के साथ खत्म करना जरूरी है।
बिहार के एक छोटे से गांव विक्रमगंज के रहने वाले आरके श्रीवास्तव ने सैकड़ो गरीब असहाय बच्चों को मात्र 1 रुपए गुरु दक्षिणा में आईआईटी , एनआईटी , बीसीईसीई में सफलता दिलाकर इंजीनियर बनाया।
इससे पहले भी नाईट क्लास के लिए आरके श्रीवास्तव का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स और गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम मे दर्ज हो चुका है। 450 क्लास से अधिक बार पूरे रात लगातार 12 घंटे निःशुल्क शिक्षा देने के कारण आरके श्रीवास्तव का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स,एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में भी दर्ज हो चुका है।
बिहार के मान-सम्मान को विश्व पटल पर बढ़ाने वाले मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव हैं हजारों स्टूडेंट्स के रोल मॉडल। सैकड़ो गरीब प्रतिभाओं के सपने को आईआईटी,एनआईटी, एनडीए, बीसीईसीई में सफलता दिलाकर लगा चुके है पंख। अमेरिकी विवि डॉक्टरेट की मानद उपाधि से कर चुका है सम्मानित।
10 सालों से गरीब बच्चों को पढ़ा रहे गणित
बिहार के युवा गणितज्ञ मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव के लिए शिक्षा कोई 'बजारू' चीज नही है। वे छात्रों का भविष्य संवारने और कोचिंग संस्थानों को करारा जवाब देने के लिए पिछले 10 वर्षो से निःशुल्क शिक्षा दे रहे है।
आमतौर पर शिक्षा स्तर का गिरावट का सबसे बड़ा खामियाजा इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसे तकनीकी विषयों की पढ़ाई करने वाले छात्र- छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है। जिन्हें कोचिंग के लिए लाखों रुपये देने पड़ रहे है।
पिछले कई वर्षो से आरके श्रीवास्तव ने शिविर लगाकर इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे हजारों गरीब स्टूडेंट्स को नाइट क्लासेज प्रारूप के माध्यम से पूरे रात लगातार 12 घण्टे तक गणित के सवाल हल करने की नई-नई तकनीकों और बारीकियों की जानकारी दे रहे।
उनका दावा है कि इस शिविर में पढ़ाई करने वाले में से प्रत्येक वर्ष 60% से अधिक छात्र-छात्राएं आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई ,एनडीए सहित तकनीकी प्रवेश परीक्षाओं में सफल होते है। छात्रों के इस नाइट क्लासेज शिविर की ओर आकर्षित होने के चलते हजारो स्टूडेंट्स के रोल मॉडल बन चुके है। मैथमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव न सिर्फ बिहार में लोकप्रिय है बल्कि अपने गणित पढ़ाने के जादुई तरीके एवं गणितीय शोध के लिए प्रायः सुर्खियों में भी रहते है। गूगल बॉय कौटिल्य पंडित के गुरु के रूप में भी देश इन्हें जानता है।
फिलहाल वह गरीब छात्रों को निःशुल्क शिक्षा देने में जुटे हुए है। उनके इस प्रयास से प्रभावित होकर अलग- अलग क्षेत्रों के ऊंचे ओहदे के कुछ लोगो ने शिविर में अतिथि शिक्षक के बतौर छात्र- छात्राओ को पढ़ाया।
आरके श्रीवास्तव कहते है की गणित की शिक्षा देना मेरा पेशा नही बल्कि शौक है, व्यवसायिक शिक्षण में छात्र- छात्राओं और शिक्षकों के बीच परस्पर प्रेम और विश्वास का संबंध नही रह पाता।
आपको बताते चले कि आरके श्रीवास्तव के नाइट क्लास के मॉडल को जानने और समझने के लिए अभिभावक सहित शिक्षक भी उनके क्लास में बैठते है की कैसे आरके श्रीवास्तवा पूरे रात लगातार 12 घण्टे विद्यार्थियों को पूरे अनुसाशन के साथ मैथमेटिक्स का गुर सीखा रहे। सुबह क्लास खत्म होने के बाद स्टूडेंट्स के माता पिता इस बात से काफी चकित थे की मेरा बेटा-बेटी घर पर एक घण्टे भी ठीक से पढ़ नही पाते उन्हें आरके श्रीवास्तव ने लगातार पूरे रात 12 घण्टे तक अनुसाशन के साथ बैठाकर मैथमेटिक्स का गुर सिखाया।
दुनिया के कोने-कोने में फेमस मैथेमैटिक्स गुरु
उन्हें सेल्फ स्टडी के प्रति प्रेरित किया गया कि कैसे आप पूरे रातभर पढ़ सकते है। आर के श्रीवास्तव के नाइट क्लास के रूप मे लगातार पूरे 12 घंटे बच्चों को शिक्षा देने के मुहिम अब देशव्यापी रूप लेने लगा है।आर के श्रीवास्तव को देश के विभिन्न राज्यों के शैक्षणिक संस्थाएँ गेस्ट फैक्लटी के रूप मे अपने यहाँ शिक्षा देने के लिए बुलाती है। शिक्षक भी बच्चों के साथ आर के श्रीवास्तव के क्लास लेने के तरीकों को समझने के लिए क्लास मे बैठते है की कैसे पूरे रात अनुशासन मे बच्चों को पढ़ाया जा सकता है।
क्लास देखकर बच्चे सहित शिक्षक भी श्रीवास्तव को धन्यवाद देते है की पढ़ाने की ऐसी कला सारे शिक्षकों मे आ जाये तो कोई बच्चा शिक्षा से अपने को दूर नही कर पायेगा और सफलता उसके कदम चूमेगी। रोहतास निवासी आरके श्रीवास्तव बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही गणित में बहुत अधिक रुचि थी जो नौंवी और दसवी तक आते-आते परवान चढ़ी।
आर के श्रीवास्तव का बचपन भी काफी गरीबी से गुजरा है, परन्तु अपने कड़ी मेहनत, उच्ची सोच, पक्का इरादा के बल पर आज देश मे मैथमेटिक्स गुरु के नाम से मशहूर है। वे कहते हैं कि मेरे जैसे देश के कई बच्चे होंगे जो पैसों के अभाव में पढ़ नहीं पाते।
आरके श्रीवास्तव अपने छात्रों में एक सवाल को अलग-अलग तरीके से हल करना भी सिखाते हैं। वे सवाल से नया सवाल पैदा करने की क्षमता का भी विकास करते है। आरके श्रीवास्तव ने फैसला लिया था कि गांव का कोई बच्चा पैसे के अभाव में पढ़ाई नहीं छोड़ेगा और उसे इंजीनियर बनाने के लिए खुद को समर्पित कर दिया। आज उसी का नतीजा है कि आर के श्रीवास्तव देश ही नहीं दुनिया के कोने-कोने में लोगों के बीच मैथेमैटिक्स गुरु के नाम से जाने जाते हैं।
तब किसे पता था कि अपनी छोटी से कुटिया में अपनी आर्थिक तंगी से त्रस्त आर के श्रीवास्तव ने पूरी लगन और निष्ठा से पढ़ाई की और जब जिंदगी के मैदान में सफल हुए, तो फैसला कर लिया कि अब गांव का कोई बच्चा पैसे के अभाव में पढ़ाई नहीं छोड़ेगा और उसे इंजीनियर बनाने के लिए खुद को समर्पित कर दिया।
आज उसी का नतीजा है कि आर के श्रीवास्तव देश ही नहीं दुनिया के कोने-कोने में लोगों के बीच मैथेमैटिक्स गुरु के नाम से जाने जाते हैं।
कहते हैं प्रतिभा किसी परिचय का मोहताज नहीं होती है। बस उसे जरुरत है वक्त रहते फलक पर उतरने की और ऐसा ही हुआ। इस बिहार के मैथेमैटिक्स गुरु के साथ गांव के लोग इनकी लगन और निष्ठा को देखते हुए अपने बच्चों के लिए इन्हें किसी फरिस्ता से कम नहीं मानते हैं।
आर के श्रीवास्तव इतना ही नहीं करते, बल्कि आर्थिक रुप से कमजोर बच्चों को अपनी जेब खर्च से पुस्तक और कॉपी तक मुहैया कराते हैं। आरके श्रीवास्तव अपनी कामयाबी का मूल मंत्र अपनी लगन और मेहनत को मानते है। वे कहते हैं कि कड़ी मेहनत ,उच्ची सोच, पक्का इरादा के बल पर आप सभी अपने लक्ष्य को हासिल कर सकते है।
आर के श्रीवास्तव के शैक्षणिक आँगन मे तैयार हो रहे हैं वंडर किड्स
बिहार राज्य के रोहतास जिले का छोटा शहर बिक्रमगंज है जहाँ आर के श्रीवास्तवा के शैक्षणिक आँगन मे तैयार हो रहे हैं वंडर किड्स। यहाँ जिन बच्चो से बात किया जाए, वह कुछ न कुछ अलग ही मिलेगा।
पहली कक्षा का बच्चा फर्राटेदार अंग्रेजी,पांचवी का स्टूडेंट्स 7 वी के गणित को हल करते एवं सातवी, आठवी कक्षा का बच्चा 11 वी , 12 वी का मैथ को कम्पलीट करने के अलावा अपने वर्ग के आगे वर्ग के टेस्ट परीक्षा में भी टॉप कर रहे। दसवी कक्षा का बच्चा न जाने क्या क्या? यूँ कहें तो मैथमेटिक्स गुरु आर के श्रीवास्तव के शैक्षणिक आँगन में हर बच्चा प्रतिभा से भरा है तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी। जुनून और प्रेरणा यहाँ के बच्चों में अलग होता है। प्रतिदिन कम से कम दर्जनों बच्चो को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया जाता है।
शिक्षक के द्वारा पढ़ाये जिन टॉपिक्स में बच्चों मे महारथ हासिल हो जाती है, तो उसे शिक्षक के सामने पढ़ाने के लिए कहा जाता है। थोड़ी देर के लिए वह बच्चा शिक्षक बन जाता है और शिक्षक स्टूडेंट, ऐसा करने से बच्चो में छोटी उम्र में ही काफी हौसला आता है कि मैं अपने शिक्षक को पढ़ा रहा हूँ।
आपको बताते चलें कि बेहतर राष्ट्र निर्माण हेतु शिक्षा में निरंतर किये जा रहे कार्यो के लिए मैथमेटिक्स गुरु आर के श्रीवास्तव को इंडिया एक्सीलेन्स प्राइड अवॉर्ड, इंडिया आइडल अवॉर्ड सहित दर्जनो अवॉर्ड प्राप्त हो चुके है।
इसके अलावा वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में भी आरके श्रीवास्तव का नाम दर्ज है। आर के श्रीवास्तव को उनके द्वारा शिक्षा में किये जा रहे उत्कृष्ट कार्यो के लिए अमेरिकी विवि डॉक्टरेट की मानद उपाधि से भी सम्मानित कर चुका है। आरके श्रीवास्तव को उनके शैक्षणिक कार्यशैली के लिए देश के विभिन्न राज्यो के मुख्यमंत्री सहित राजनेताओं ,सेलिब्रिटियों का समर्थन मिलता है।
राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद भी आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली की प्रशंसा कर चुके है। मैथमेटिक्स गुरु के नाम से राष्ट्रपति ने आरके श्रीवास्तव को शैक्षणिक मीटिंग के दौरान संबोधित भी किया है।
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, हरियाणा के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा, योग गुरु बाबा रामदेव, राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा, द ग्रेट खली, वरिष्ठ पत्रकार पदम श्री रामबहादुर राय, ओलम्पिक पदक विजेता योजस्वर दत्त, रवी दहिया, दीपक पुनिया सहित देश केदर्जनों प्रतिष्टित लोग आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली की प्रसंशा अनेको बार कर चुके है।
आरके श्रीवास्तव का मिले ये पुरस्कार –
RK Srivastava Awards
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स लंदन से सम्मानित। वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स लंदन, इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में नाम दर्ज। बेस्ट शिक्षक अवार्ड , इंडियन एक्सीलेन्स प्राइड अवार्ड ,ह्यूमैनिटी अवार्ड, युथ आइकॉन अवार्ड, राष्ट्र गौरव सम्मान सहित उन्हें कई सारे प्रतिष्टित पुरस्कार भी मिल चुके है ।
आरके श्रीवास्तव के इस शैक्षणिक कार्यशैली अभियान पर जून 2019 में zee news ( ज़ी न्यूज़) पर एक स्टोरी भी दिखाई गयी थी। उनकी इस जबरदस्त कहानी को दैनिक भास्कर , दैनिक जागरण,हिंदुस्तान सहित देश के सारे प्रतिष्टित अखबारों में भी प्रकाशित किया गया था।
आरके श्रीवास्तव के जीवनी पर एक किताब भी लिखी जा रही है जो जल्द प्रकाशित होने की संभावना है। इसके अलावा जब कोरोना के चलते सारे शैक्षणिक संस्थाएं बंद था तो आरके श्रीवास्तव रात-रात भर जग कर स्टूडेंट्स को ऑनलाइन शिक्षा देकर उन्हे इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में सफलता दिलाए।
हमारे देश ने दुनिया को कई सारे महान व्यक्ति दिए है। उन्होंने अपने अपने क्षेत्र में काफी बड़ा योगदान दिया है। किसी ने कला और साहित्य को बढ़ाने का काम किया, तो किसी ने खेल के क्षेत्र मे देश का नाम रोशन किया है। इसी तरह आरके श्रीवास्तव अपने शैक्षणिक कार्यशैली से बेहतर राष्ट्र निर्माण मे अपना योगदान दे रहे।
◆ उधार की किताबों से पढ़ाई की, लेकिन कभी हार नही माना। अब मैथेमैटिक्स गुरू बन सैकड़ों आर्थिक रूप से गरीब परिवार के सपने को लगा दिया पंख।
◆ मां आरती देवी की इच्छा थी: बच्चे पढ़-लिख जाएं। खुद कभी स्कूल नहीं गईं, लेकिन बच्चों को सुबह स्कूल भेजने में कोताही नहीं बरती।
◆ जब बच्चा पाँच वर्ष का था, तभी पिता इस दुनिया को छोड़ चले गये। पैसे के अभाव में उसे सरकारी विद्यालय मे पढ़ना पड़ा।
आरके श्रीवास्तव के बुरे दिन
RK Srivastava Struggle Story
बिहार राज्य के रोहतास जिले के राजपुर (जमोढी) गांव में रहते थे। आरके श्रीवास्तव के पिता पारस नाथ लाल। गांव में खेती कर पेट पालते थे, लेकिन जब सात बच्चे हो गए, तो कमाई कम पड़ने लगी। वे खेती के साथ बिक्रमगंज शहर आकर प्रिंटिंग प्रेस चलाने लगे, ताकी परिवार का भरण पोषण ठीक से हो सके।
दिन-रात परिश्रम करने लगे, जिससे ज्यादा पैसा सामूहिक परिवार चलाने के लिये मिल सके। लेकिन कुछ साल बाद वे इतने बीमार रहने लगे, जिससे काम करना मुश्किल हो गया। वे चौबीसों घंटे खेती के साथ साथ प्रेस मे काम करते थे और खेती के दौरान चुभी काटी और शुगर की बिमारी से हुआ वह घाव कुछ महीनो मे एक बड़ा रूप ले लिया।
आरके श्रीवास्तव के पिता पारस नाथ लाल के बड़े भाई कोलकाता मे रहते थे, तो वे इलाज के लिये उन्हें कोलकता बुला ले गए, परंतु डॉक्टर ने बोला की घाव आगे न बढ़े, इसके लिये इनका एक पैर काटना पडेगा। ऑपरेशन के कुछ घंटे बाद ही होश मे आने के बाद वे इस दुनिया को छोड चले गये।
अब आरके श्रीवास्तव के बड़े भाई शिवकुमार श्रीवास्तव पर परिवार चलाने की जिम्मेदारी सिर्फ 15 वर्ष के उम्र में ही आ गई। छोटे भाई रजनी कान्त श्रीवास्तव (आरके श्रीवास्तव) जिन्हें वह प्यार से सोनू बुलाते थे, की पढ़ाई लिखाई की जिम्मेवारी सहित परिवार का भरण पोषण कैसे हो इसकी चिंता उन्हे सताने लगा।
पिता के गम मे डूबने के कई दिनो बाद उन्होनें कुछ पैसे उधार लेकर एक आटो रिक्शा खरीदा। आटो रिक्शा के प्रतिदिन के 100 से 200 रुपये के इनकम से छोटे भाई की पढ़ाई और परिवार का भरण पोषण होने लगा। मां आरती देवी और बड़े भाई शिवकुमार श्रीवास्तव की बड़ी इच्छा थी कि आरके श्रीवास्तव किसी तरह पढ़-लिख जाएं। माँ खुद कभी स्कूल नहीं गईं, लेकिन अपने बच्चे को सुबह स्कूल भेजने में कोई कोताही नहीं करती थी।
गांव के उस सरकारी स्कूल में पढ़ाई अच्छी नहीं होती थी, लेकिन दूसरा विकल्प भी नहीं था। आरके श्रीवास्तव जब 1 क्लास में थे जब पिता इस दुनिया को छोड चले गये। बड़े भाई शिवकुमार श्रीवास्तव के अथक परिश्रम के साथ समय धीरे धीरे बीतते गया और रजनी कान्त श्रीवास्तव (आरके श्रीवास्तव) पढ़ाई मे खूब मेहनत करते।
कभी इतने पैसे नहीं मिले कि नई किताबें खरीद सके। किसी से पुरानी किताबें उधार लेकर किसी तरह वह अपना काम चलाते थे। आटो रिक्शा जिस दिन खराब हो जाता, उस दिन परिवार को भूखे पेट सोने की मजबूरी होती थी। बच्चों को भूखा देख माँ आरती देवी की आत्मा कराह उठती, लेकिन उनके हाथ में कुछ नहीं था। वे बच्चों को समझातीं कि इस गरीबी से निकलने का एक ही जरिया है, पढ़ाई और सिर्फ पढ़ाई।
रजनी कान्त श्रीवास्तव (आरके श्रीवास्तव) को उनकी बात बचपन में ही समझ आ गई। जब वह दसवीं में पहुंचे तो पहले से और मेहनत करने लगे। फिर वह अच्छे अंकों से दसवीं पास हो गये और अब आगे पढ़ाई की चुनौती थी।
इसी दौरान आरके श्रीवास्तव अब खुद अपने से नीचे क्लास के स्टूडेंट्स को पढ़ाना शुरु किया, जिससे जो पैसे उन्हे मिलते। उससे उनके आगे की पढ़ाई का खर्च निकलते गया। उन्होंने अपनी शिक्षा के उपरांत गणित में अपनी गहरी रुचि विकसित की।
आरके श्रीवास्तव अपने पढ़ाई के दौरान टीबी की बीमारी के चलते नही दे पाये थे आईआईटी प्रवेश परीक्षा। उनकी इसी टिस ने बना दिया सैकड़ो स्टूडेंट्स को इंजीनयर, आर्थिक रूप से गरीब परिवार में जन्मे आरके श्रीवास्तव का जीवन भी काफी संघर्ष भरा रहा।
बड़े भाई का छूटा साथ
जब आरके श्रीवास्तव बड़े हुए तो फिर उनपर दुखों का पहाड़ टूट गया, पिता की फर्ज निभाने वाले एकलौते बड़े भाई (rk srivastava big brother) शिवकुमार श्रीवास्तव भी इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। अब इसी उम्र में आरके श्रीवास्तव पर अपने तीन भतीजियों की शादी और भतीजे को पढ़ाने लिखाने सहित सारे परिवार(RK Srivastava Family) की जिम्मेदारी आ गयी।
छोटी उम्र में इतना संघर्ष झेल चुके आरके श्रीवास्तव की आंखें उस समय अपनी भावनाओं को संभाल नहीं पाती, जब कोई उनका पढ़ाया गरीब स्टूडेंट्स इंजीनियर बन अपने सपने को पंख लगाता है।
आरके श्रीवास्तव बताते है की जब भी मेरे पढ़ाए गरीब स्टूडेंट्स सफल होते हैं तो मैंने गौर से अपने उन दिनों को देखता हूं, तो आज भी वही पैंट-शर्ट याद आता है। वही एक जोड़ी कपड़े पहनकर पूरे दो वर्ष 11वी, 12 वी की पढ़ाई करने जाता था और बीते दो साल इसी के साथ गुजारे।
निरक्षर माता के बेटे आरके श्रीवास्तव ने केवल कामयाबी हासिल नहीं की, बल्कि वह आज लाखों युवाओं का रॉल मॉडल बन चुके है। अपने पिता और बड़े भाई (जो आज इस दुनिया मे नही है) के सपने को साकार करते हुए सैकड़ों गरीब स्टूडेंट्स के लिए मसीहा बन चुके है।
आज आपनी मां की प्रेरणा और अपनी मेहनत के दम पर वह वीरकुवर सिंह विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी कर देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिस्ठित शैक्षणिक संस्थाओ से जुड़कर सैकड़ों सपने को अपने ज्ञान से साकार कर रहे। आज माँ आरती देवी कहती है की बेटे आरके श्रीवास्तव के साथ निरंतर जुड़ रही उपलब्धियों मे उसके पिता और बड़े भाई साथ रहते तो खुशी का ठिकाना नही रह्ता।
परंतु आरके श्रीवास्तव कहते है की माँ और भाभी का आशीर्वाद तो मेरे साथ है ही प्रतिदिन इनसे हमेशा समाज सेवा सीखते रहता हूं, लेकिन पापा और भैया का आशीर्वाद और दिखाया रास्ता मुझे सही दिशा मे मेहनत करने के लिये प्रेरित करता है।