Bihar Politics: बिहार में भाजपा की बड़ी रणनीति, दलित वोट साधने के लिए चिराग-पारस दोनों को साथ रखने का फॉर्मूला

Bihar Politics: बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजद से हाथ मिलाने के बाद सियासी हालात काफी बदल चुके हैं। ऐसे में भाजपा ने छह फ़ीसदी पासवान मतों पर नजरें गड़ा रखी हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 15 Sep 2022 7:53 AM GMT
Chirag Paswan - Pashupati Paras
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Chirag Paswan - Pashupati Paras (photo: social media )

Bihar Politics: बिहार में जदयू और राजद को जवाब देने के लिए भाजपा ने बड़ी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। भाजपा ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के मुखिया चिराग पासवान की एनडीए में वापसी की कोशिशें शुरू कर दी हैं। इसके साथ ही पार्टी चिराग के चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस को भी एनडीए में बनाए रखने की रणनीति पर काम कर रही है। हालांकि चिराग पहले इस बात को कहते रहे हैं कि जब तक पारस केंद्र में मंत्री और भाजपा के साथ गठबंधन में हैं । तब तक उनकी एनडीए में वापसी नहीं हो सकती।

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजद से हाथ मिलाने के बाद सियासी हालात काफी बदल चुके हैं। ऐसे में भाजपा ने छह फ़ीसदी पासवान मतों पर नजरें गड़ा रखी हैं। पार्टी की ओर से 2024 की सियासी जंग में दलित मतदाताओं को साधने के लिए चिराग और पारस दोनों को साथ रखने की रणनीति पर काम हो रहा है। बिहार में हुए सियासी बदलाव के बाद दिल्ली में हुई भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में इस रणनीति पर काम करने का फैसला किया गया था। चिराग पासवान की सूरत यात्रा को इस रणनीति में पहली विजय के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

शाह के समारोह में चिराग भी पहुंचे

2020 में चुनाव में चिराग ने एनडीए से अलग होकर विधानसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि इस चुनाव में चिराग सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रहे ।मगर उन्होंने भाजपा और उस समय एनडीए में शामिल जदयू के उम्मीदवारों की कई सीटों पर हार में बड़ी भूमिका निभाई। बाद में लोक जनशक्ति पार्टी में बड़ी बगावत से चिराग को बड़ा धक्का लगा। पार्टी के 6 में से 5 सांसद पशुपति पारस की अगुवाई में अलग हो गए। बाद में पारस को मोदी कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री के रूप में जगह भी मिली। उस समय से ही चिराग एनडीए में पारस के शामिल होने पर अलग रहने की बात कहते रहे हैं। हालांकि भाजपा नेता उन्हें लगातार मनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

जानकारों का कहना है कि भाजपा नेताओं के मनाने पर ही चिराग हिंदी दिवस समारोह में हिस्सा लेने के लिए सूरत पहुंचे थे। चिराग राजभाषा संसदीय समिति के सदस्य हैं । सदस्य के तौर पर ही वे इस समारोह में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे। उल्लेखनीय बात यह है कि इस समारोह को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संबोधित किया। अभी यह खुलासा नहीं हो सका है कि समारोह के बाद शाह की चिराग से कोई बातचीत हुई या नहीं।

चिराग से भाजपा नेताओं की बातचीत

वैसे हाल के दिनों एनडीए के प्रति चिराग का नरम रुख रहा है। राष्ट्रपति चुनाव के समय एनडीए के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चिराग से बातचीत की थी। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर एनडीए की ओर से आयोजित बैठक में भी उन्होंने हिस्सा लिया था। उन्होंने मुर्मू को समर्थन भी दिया था। एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में सियासी हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। इस बदले हुए हालात में चिराग और भाजपा के बीच दोस्ती की संभावनाएं बढ़ गई हैं। दोनों पक्षों के बीच बातचीत का दौर भी शुरू हो चुका है।

दोनों पक्षों के बीच बातचीत में मामला केवल लोजपा के बागी गुट को लेकर फंसा हुआ है। दरअसल भाजपा चिराग और बागी गुट दोनों को साधने की रणनीति में जुटी हुई है। पार्टी का मानना है कि दोनों गुटों को साध कर बिहार के दलित वोट बैंक का एनडीए को समर्थन हासिल किया जा सकता है। भाजपा नेता इसी फार्मूले पर आगे बढ़ने में जुटे हुए हैं । इस रणनीति में शुरुआती सफलता भी मिलती दिख रही है।

भाजपा की रणनीति का कारण

बिहार में हुए सियासी बदलाव के बाद दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में हुई वरिष्ठ नेताओं की बैठक में चिराग और पारस दोनों को साधने पर जोर दिया गया था। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा भी मौजूद थे। बिहार से जुड़े केंद्रीय मंत्रियों और बिहार के राज्यस्तरीय नेताओं ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया था।

दरअसल , भाजपा नेताओं का मानना है कि चिराग और पारस दोनों को साधकर बिहार के दलित वोट बैंक का समर्थन एनडीए को हासिल हो सकता है। नीतीश के राजद से हाथ मिलाने के बाद भाजपा के लिए जातीय समीकरण को साधना जरूरी हो गया है। इसीलिए भाजपा की ओर से चिराग और पासवान दोनों को साधने की रणनीति पर गंभीरता से काम शुरू कर दिया गया है। नीतीश के प्रति शुरू से ही चिराग का हमलावर रुख इस मामले में भाजपा का मददगार बनता दिख रहा है।

Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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