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Bihar Politics: बिहार में इस बार चुनाव में नीतीश कुमार पर हावी रहेगी भाजपा, जदयू से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी
Bihar Politics: भाजपा की ओर से इस बार बिहार की सबसे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी है जबकि जदयू को अधिकतम 90 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है।
बिहार में इस बार चुनाव में नीतीश कुमार पर हावी रहेगी भाजपा (photo: social media )
Bihar Politics: बिहार के विधानसभा चुनाव में इस बार भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू पर हावी दिखेगी। एनडीए की ओर से भले ही नहीं नीतीश कुमार सीएम पद का चेहरा होंगे मगर गठबंधन में भाजपा की ही धमक दिखेगी। भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी इस बार जयू से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी और इस तरह गठबंधन में पहली बार उसकी भूमिका बड़े भाई की होगी।
भाजपा की ओर से इस बार बिहार की सबसे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी है जबकि जदयू को अधिकतम 90 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है। गठबंधन में कई दलों के शामिल होने के कारण भाजपा नेतृत्व अन्य सहयोगी दलों को भी संतुष्ट करने की कोशिश में जुटा हुआ है। इसके लिए नीतीश कुमार की पार्टी को इस बार त्याग करना होगा। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गठबंधन का मुख्य चेहरा होंगे जबकि चुनावी रणनीति बनाने की कमान मुख्य रूप से भाजपा के ही हाथों में होगी।
जदयू से अधिक सीटों पर लड़ेगी भाजपा
भाजपा सूत्रों का कहना है कि बिहार में इस बार पार्टी करीब 110 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है। दूसरी ओर जदयू को अधिकतम 90 सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतारने पड़ सकते हैं। गठबंधन में कई दलों के शामिल होने और पुराने प्रदर्शन के आधार पर भाजपा इस बार अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गई है।
बिहार में भाजपा और जनता दल(यू) के बीच सीट बंटवारे के बाद बाकी बची 43 सीटों पर लोजपा (रामविलास), हम और रालोसपा को अपने उम्मीदवार उतारने का मौका दिया जाएगा। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) ने अपने कोटे की सभी पांच सीटों पर जीत हासिल की थी और ऐसे में भाजपा और जदयू के बाद चिराग पासवान की पार्टी को सबसे ज्यादा अहमियत मिलेगी।
2005 के बाद लगातार बढ़ा भाजपा का वोट शेयर
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि 2005 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही पार्टी के वोट प्रतिशत में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले तीन लोकसभा चुनावों के दौरान भी बीजेपी वोट प्रतिशत के मामले में जदयू से काफी आगे रही है। दूसरी ओर 2010 का विधानसभा चुनाव जदयू के लिए पीक था। उस चुनाव में पार्टी को 22.58 फ़ीसदी मतों के साथ 115 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
उस चुनाव के बाद से जदयू के वोट प्रतिशत में लगातार गिरावट दर्ज की गई है जबकि बिहार में भाजपा को लगातार मजबूती हासिल हुई है। ऐसे में पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गई है।
पहली बार बड़े भाई की भूमिका में दिखेगी भाजपा
भाजपा और जदयू का गठबंधन करीब ढाई दशक पुराना है मगर यह पहला मौका जब होगा जब पार्टी जदयू से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। मौजूदा समय में भी भाजपा के पास जदयू से अधिक विधायक हैं। इसके बावजूद पार्टी ने नीतीश कुमार को राज्य की कमान सौंप रखी है। 2009 के लोकसभा चुनाव तक भी जदयू ने भाजपा से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे मगर मोदी युग की शुरुआत के बाद दोनों दलों के बीच सीटों का अंतर लगातार कम होता गया।
पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान जदयू ने 115 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जबकि भाजपा के हिस्से में 110 सीटें आई थीं मगर इस बार तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी। इस बार भाजपा की ओर से अधिक सीटों पर उम्मीदवार उतारे जाएंगे।
बेहतर स्ट्राइक रेट पर भाजपा की निगाहें
भाजपा इस बार महाराष्ट्र की तरह बेहतर स्ट्राइक रेट पर नजर बनाए हुए हैं। महाराष्ट्र में भाजपा काफी मजबूत स्थिति में है और पार्टी ने 132 सीटों पर जीत हासिल की थी। उसी तरह भाजपा इस बार विधायक बिहार में भी ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़कर अपनी स्थिति मजबूत बनाने की कोशिश में जुटी हुई है। बिहार में भाजपा ने 2010 के विधानसभा चुनाव में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 91 सीटों पर जीत हासिल की थी।
पार्टी अगले विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य में अपनी सियासी स्थिति और मजबूत बनाते हुए और ज्यादा सीटों पर जीत की रणनीति बना रही है। चुनाव प्रचार और रणनीति के मामले में भी पार्टी इस बार जदयू पर भारी दिखेगी। पार्टी ने इसके लिए अभी से ही तैयारियां शुरू कर दी हैं।