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Bihar Caste Census: जातीय जनगणना के मुद्दे पर फंसी BJP, केंद्र ने ठुकराया मगर बिहार में क्यों किया समर्थन

Bihar Caste Census: बुधवार को सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से बिहार में जातीय जनगणना का फैसला किया गया और इस बैठक में भाजपा नेता की ओर से इस मार्ग का समर्थन किया जा रहा है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 2 Jun 2022 10:10 AM GMT (Updated on: 2 Jun 2022 10:15 AM GMT)
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भाजपा। (Social Media)

Bihar Caste Census: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar Chief Minister Nitish Kumar) समय-समय पर अपने सियासी दांवपेच से अपने साथियों और विरोधियों दोनों को हैरान करते रहे हैं। जातीय जनगणना (caste census) के मुद्दे पर भी नीतीश ने गजब का दांव खेला है। इस मुद्दे पर नीतीश (Nitish Kumar) के दांव से बिहार में भाजपा भी फ॔स गई है। बुधवार को सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से बिहार में जातीय जनगणना (caste census in bihar) का फैसला किया गया और इस बैठक में भाजपा नेता भी मौजूद थे। मजे की बात यह है कि केंद्र सरकार की ओर से जातीय जनगणना कराने की मांग को ठुकराया जा चुका है मगर बिहार भाजपा की ओर से इस मार्ग का समर्थन किया जा रहा है।

बैठक में लिए गए फैसले के मुताबिक बिहार कैबिनेट की बैठक (Bihar cabinet meeting) में जातीय जनगणना का ड्राफ्ट पेश किया जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद प्रशासनिक नजरिए से इस दिशा में काम शुरू हो जाएगा। बिहार के सियासी हलकों में भाजपा की ओर से जातीय जनगणना के समर्थन में हामी भरने की खूब चर्चाएं हो रही हैं। ऐसे में इस प्रस्ताव के समर्थन के लिए भाजपा की मजबूरी को समझना जरूरी है।

केंद्र राजी नहीं मगर बिहार भाजपा समर्थन में

जातीय जनगणना के मुद्दे पर केंद्र सरकार (Central Government) पहले ही अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की अगुवाई में बिहार के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से मुलाकात की थी। पीएम मोदी ने प्रतिनिधिमंडल में शामिल सभी नेताओं की बातों को ध्यान से सुना था मगर बाद में केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना की मांग को ठुकरा दिया था। सरकार की ओर से संसद में इस मांग को खारिज कर दिया गया था। राष्ट्रीय स्तर पर भी भाजपा (BJP) ने जनगणना को संभव बताया था।

एक ओर केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर अपना रुख पूरी तरह साफ कर दिया है मगर दूसरी ओर बिहार में सर्वदलीय बैठक के दौरान भाजपा नेताओं ने भी जातीय जनगणना के मुद्दे पर सहमति जताई। अब इसे लेकर भी सियासी हलकों में खूब सवाल पूछे जा रहे हैं। दिल्ली और पटना में भाजपा की अलग-अलग राय को लेकर भी खूब चर्चाएं हो रही हैं। ऐसे में भाजपा के सियासी मजबूरी को समझना जरूरी है जिसके कारण वह नीतीश कुमार की ओर से उठाए गए कदम का समर्थन करने पर मजबूर हो गई।

बिहार भाजपा के सियासी मजबूरी

बिहार की सियासत में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) और प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) जातीय जनगणना के मुद्दे पर एक ही सुर में बोल रहे हैं। पिछले दिनों हुई इफ्तार पार्टी के बाद दोनों नेताओं के बीच नजदीकी की खबरें भी खूब वायरल होती रही हैं। नीतीश और तेजस्वी की बढ़ती नजदीकी ने भी भाजपा को तनाव में डाल दिया था। हालांकि बाद में नीतीश कुमार का कहना था कि बिहार में एनडीए की सरकार पूरी मजबूती से बनी रहेगी।

दरअसल बिहार में ओबीसी वोट बैंक की खूब सियासत होती रही है। राज्य में ओबीसी का वोट बैंक करीब 52 फ़ीसदी का माना जाता है और जातीय जनगणना का विरोध करने पर इस वोट बैंक की नाराजगी का बड़ा खतरा पैदा होने की आशंका थी। दूसरी ओर नीतीश और तेजस्वी को इस दांव का बड़ा सियासी फायदा हो सकता था और यही कारण था कि भाजपा ने जातीय जनगणना के पक्ष में खड़ा होने में ही अपनी भलाई समझी।

नीतीश को मिल रहा सभी का समर्थन

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की ओर से बिहार में जातीय जनगणना कराने का एलान का सभी सियासी दलों की ओर से स्वागत किया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के मुखिया जीतन राम मांझी का कहना है कि मुख्यमंत्री ने बड़ा कदम उठाया है और हमारी पार्टी इसके पूरी तरह पक्ष में है। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना के दौरान इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि एक ही जाति के लोग अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं। जातिगत जनगणना में उन्हें एक ही जाति में गिना जाना चाहिए। इसके साथ ही घुमंतू, अर्ध घुमंतू और पहाड़ी जातियों की भी गणना की जानी चाहिए।

दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि एक निर्धारित समय सीमा के भीतर जातीय जनगणना के काम को पूरा करने की कोशिश की जाएगी। इसके तहत सभी धर्म और जातियों से जुड़े लोगों की गणना होगी। मुख्यमंत्री के इस कदम का बिहार की सियासत पर बड़ा असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

Deepak Kumar

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