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Caste Census in Bihar: बिहार में जातीय जनगणना का मुद्दा गरमाया, मांझी बोले- ओबीसी विधेयक के बाद अब नीतीश करें पहल

Caste Census in Bihar: बिहार की सियासत में इन दिनों जातीय जनगणना की मांग का मुद्दा काफी गरमाया हुआ है। भाजपा को छोड़कर लगभग सभी सियासी दल जातीय जनगणना कराने के पक्ष में हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari / Anshuman TiwariPublished By Chitra Singh
Published on: 13 Aug 2021 12:55 PM IST (Updated on: 13 Aug 2021 12:56 PM IST)
Caste Census in Bihar: बिहार में जातीय जनगणना का मुद्दा गरमाया, मांझी बोले- ओबीसी विधेयक के बाद अब नीतीश करें पहल
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Caste Census in Bihar: संसद के दोनों सदनों में ओबीसी (OBC) से जुड़े 127वें संशोधन विधेयक (127th Amendment Bill) के पारित होने के बाद अब जातीय जनगणना (Caste Census) की मांग का मुद्दा भी करवट बदलता दिख रहा है। जातीय जनगणना की मांग करने वाले नेताओं में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सबसे आगे रहे हैं और अब राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और एनडीए में नीतीश के सहयोगी जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने नीतीश की ही टेंशन बढ़ा दी है।

मांझी ने ओबीसी से जुड़े महत्वपूर्ण विधेयक को पारित कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को बधाई देते हुए कहा कि अब राज्य सरकारें भी जातीय जनगणना करा सकती हैं और बिहार में जातीय जनगणना कराने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ओबीसी विधेयक (OBC Bill) पारित होने के बाद पीएम मोदी की ओर से इस बात की हरी झंडी मिल चुकी है और अब इसके लिए नीतीश कुमार को आगे आना चाहिए।

नीतीश को नहीं मिला पीएमओ से जवाब

बिहार की सियासत में इन दिनों जातीय जनगणना (Caste Census in Bihar) की मांग का मुद्दा काफी गरमाया हुआ है। भाजपा (BJP) को छोड़कर लगभग सभी सियासी दल जातीय जनगणना कराने के पक्ष में हैं। पिछले दिनों राजद (RJD) नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की अगुवाई में विपक्ष के प्रतिनिधिमंडल ने इस बाबत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात भी की थी।

इस बैठक के दौरान नीतीश की अगुवाई में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के पीएम मोदी से मिलने का फैसला किया गया था। इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी को इस बाबत पत्र भी लिखा है। बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने के बाद मीडिया से बातचीत में नीतीश ने कहा कि अभी तक पीएमओ की ओर से पत्र का जवाब नहीं मिला है। नीतीश कुमार समय-समय पर जातीय जनगणना की मांग करते रहे हैं और उनका कहना है कि हमारी यह पुरानी मांग है और अब इसे पूरा किया जाना चाहिए।

नीतीश कुमार (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

मांझी ने नीतीश के पाले में डाली गेंद

दूसरी और हम के नेता जीतन राम मांझी का कहना है कि संसद के दोनों सदनों में ओबीसी विधेयक पारित होने के बाद अब राज्य सरकारों को भी जातीय जनगणना कराने का अधिकार मिल गया है। इसलिए अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बिहार में जातीय जनगणना के लिए आगे कदम उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार की ओर से यह अधिकार राज्य सरकारों को दे दिया गया है तो अब राज्य सरकारों को ही इस बाबत पहल करनी होगी।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी जातीय जनगणना के पक्ष में हैं। इसलिए इस मामले में किसी भी प्रकार की टालमटोल नहीं की जानी चाहिए। मांझी ने कहा कि ओबीसी विधेयक पारित करना केंद्र सरकार का महत्वपूर्ण कदम है और इसके लिए पीएम मोदी को धन्यवाद दिया जाना चाहिए।

वैसे नीतीश की ओर से पहले बयान दिया जा चुका है कि यदि राज्यों की ओर से जातीय जनगणना कराने की बात आएगी तो हम लोग उस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जातीय जनगणना का संबंध राजनीति से नहीं है बल्कि यह मुद्दा सामाजिक सरोकारों से जुड़ा हुआ है।

जीतन राम मांझी (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

2011 के आंकड़े नहीं होंगे जारी

इस बीच केंद्र सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि 2011 की जनगणना के दौरान इकट्ठा किया गया जातीय आंकड़ा जारी नहीं किया जाएगा। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने राज्यसभा में स्पष्ट किया है कि इसके आंकड़े पुराने पड़ चुके हैं और अब ये आंकड़े इस्तेमाल करने योग्य नहीं हैं। उनका कहना था कि 2011 के दौरान इकट्ठा किए गए सामाजिक, आर्थिक और जातीय जनगणना के आंकड़े भारत के महापंजीयक के पास उपलब्ध हैं।

उन्होंने कहा कि इन आंकड़ों को जारी करने में तमाम तकनीकी समस्याएं हैं और इसके साथ यह डेटा बहुत पुराना पड़ चुका है और अब उसके उपयोग का कोई फायदा नहीं होगा।

दो साल पहले मिल चुकी है कैबिनेट की मंजूरी

2021 में जनगणना की प्रक्रिया शुरू करने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने की मंजूरी 2019 में ही केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से दी जा चुकी है। इसके तहत देश में जनगणना का काम दो चरणों में पूरा किया जाएगा। इस साल होने वाली जनगणना में करीब 8750 करोड़ रुपए का खर्च आने की संभावना है। करीब 30 लाख कर्मचारियों की मदद से जनगणना के इस काम को पूरा किया जाएगा।



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Chitra Singh

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