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जातीय जनगणना से इनकार पर बिहार में तीखी प्रतिक्रिया, राजद ने नीतीश व भाजपा को घेरा

Caste Census In India: केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया है कि प्रशासनिक नजरिए से पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना काफी कठिन और दुष्कर काम है। केंद्र द्वारा अपना रुख स्पष्ट किए जाने के बाद सबसे तीखी प्रतिक्रिया बिहार (Bihar) में हुई है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shreya
Published on: 25 Sep 2021 5:30 AM GMT
जातीय जनगणना से इनकार पर बिहार में तीखी प्रतिक्रिया, राजद ने नीतीश व भाजपा को घेरा
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लालू प्रसाद यादव-नीतीश कुमार (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Caste Census In India: जातीय जनगणना के मुद्दे पर केंद्र सरकार (Modi Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया है कि प्रशासनिक नजरिए से पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना काफी कठिन और दुष्कर काम है। यह हलफनामा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सचिव की ओर से दायर किया गया है। इस हलफनामे से साफ हो गया है कि देश में जातीय जनगणना (Bharat Me Jatiya Janganana) नहीं होगी।

केंद्र सरकार की ओर से जातीय जनगणना पर अपना रुख स्पष्ट किए जाने के बाद सबसे तीखी प्रतिक्रिया बिहार (Bihar) में हुई है। हाल में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की अगुवाई में 10 दलों के प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से मुलाकात की थी और देश में जातीय जनगणना (Jatiya Janganana) कराने की मांग की थी। प्रधानमंत्री ने बिहार के प्रतिनिधिमंडल को इस मामले में सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया था। मगर अब केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर अपना रुख साफ कर दिया है। केंद्र सरकार के इस रुख से बिहार में काफी नाराजगी दिख रही है।

लालू प्रसाद यादव (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

विरोध करने वालों का सामाजिक बहिष्कार हो

राजद (RJD) के मुखिया लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) काफी दिनों से जातीय जनगणना की वकालत करते रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार के रुख पर आपत्ति जताते हुए कहा कि पता नहीं भाजपा और संघ के लोगों को पिछड़ों और अति पिछड़ों से इतनी नफरत क्यों है। जातीय जनगणना का विरोध करने वालों का सामाजिक बहिष्कार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना से पिछड़ों की वास्तविक संख्या के साथ ही उनकी स्थिति का भी पता चलेगा।

लालू ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि देश में हाथी-घोड़ा, तोता-मैना, सांप-बिच्छू और कुत्ता-बिल्ली सबकी गणना की जा सकती है, मगर पिछड़े और अति पिछड़े वर्गों से जुड़े लोगों की गिनती नहीं की जाएगी। उन्होंने भाजपा और संघ परिवार पर पिछड़ों के साथ धोखा करने का बड़ा आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार जनगणना के फार्म में एक अतिरिक्त कॉलम जोड़कर पिछड़ों और अति पिछड़ों की गणना नहीं करा सकती तो ऐसी सरकार और इन वर्गों से जुड़े हुए सांसदों को धिक्कार है।

नीतीश कुमार (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

नीतीश से रुख स्पष्ट करने की मांग

राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि जातीय जनगणना के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने अपना रुख पूरी तरह स्पष्ट कर दिया है। अब इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना स्टैंड स्पष्ट करना होगा। बिहार भाजपा को भी इस बात का जवाब देना होगा कि वह केंद्र सरकार के रुख से सहमत है या नहीं। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना के मुद्दे पर बिहार विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया था। इस प्रस्ताव पर भाजपा की भी सहमति थी। उन्होंने कहा कि हम इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रुख का इंतजार कर रहे हैं। उसके बाद ही महागठबंधन इस संबंध में अपनी रणनीति तय करेगा।

तेजस्वी यादव (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

तेजस्वी ने की विभिन्न दलों के नेताओं से चर्चा

तेजस्वी ने शुक्रवार को महागठबंधन में शामिल सभी दलों के नेताओं के साथ बैठक करके इस मुद्दे पर चर्चा भी की। बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना रुख स्पष्ट करने के लिए तीन दिन का समय देने का फैसला किया गया। तेजस्वी ने कहा कि बिहार विधानसभा की ओर से दो बार इस बाबत प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। यदि केंद्र सरकार जातीय जनगणना के खिलाफ है तो बिहार में भाजपा ने इस प्रस्ताव का कैसे समर्थन कर दिया। उन्होंने कहा कि जनगणना के साथ जाति का कालम भी भर देने से सरकार पर कोई खर्च भी नहीं आने वाला मगर फिर भी न जाने क्यों सरकार इससे दूर भाग रही है।

ललन सिंह बोले-अभी नहीं हुआ अंतिम फैसला

दूसरी ओर जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह का कहना है कि अभी देश में जनगणना का काम नहीं शुरू हुआ है। उन्होंने दावा किया कि अभी जातीय जनगणना के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने कोई फैसला नहीं किया है। अभी केंद्र सरकार की ओर से सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखी गई है । मगर सरकार के स्तर पर इस बाबत अभी फैसला किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि विपक्ष की ओर से नाहक मामले को तूल देने की कोशिश की जा रही है।

जदयू प्रवक्ता निखिल मंडल का कहना है कि जातीय जनगणना के मुद्दे पर हमने केंद्र सरकार के सामने सारी बातें रखी हैं । हमें उम्मीद है कि केंद्र सरकार की ओर से इस दिशा में कोई कदम जरूर उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जन भावनाओं का सम्मान करते हैं। वे निश्चित रूप से इस मुद्दे पर भी जन भावनाओं का सम्मान करेंगे।

संजय जायसवाल (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

गलतियां दोहराना उचित नहीं होगा

बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल का कहना है कि केंद्र सरकार के लिए 2011 की गलतियां दोबारा दोहराना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि 1931 में भी सिर्फ 24 जातियों की की जनगणना की गई थी। 1931 में जातीय जनगणना के जो दावे किए जा रहे हैं, वे पूरी तरह गलत हैं। 2011 की जनगणना में चार लाख 28 हजार जातियों का जिक्र किया गया था।

सच्चाई तो यह है कि बड़ी संख्या में लोगों को इस बात की जानकारी ही नहीं है कि वे ओबीसी हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि कोई भी राज्य जातीय जनगणना कराने के लिए स्वतंत्र है । कर्नाटक और उड़ीसा ने ऐसा किया भी है। कर्नाटक में तो जातीय जनगणना कराने के बाद भी पिछड़ों की तरक्की के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।

बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

केंद्र से सकारात्मक पहल की उम्मीद

इस बीच बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा का कहना है कि हमने जातीय जनगणना के मुद्दे पर सकारात्मक भावना के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। हमें अभी भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की ओर से सकारात्मक पहल किए जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना काफी जरूरी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले 30 वर्षों से यह मुद्दा उठाते रहे हैं। उन्होंने राजद पर सिर्फ वोट के लिए पिछड़ों और अति पिछड़ों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। झा ने दावा किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अति पिछड़ा वर्ग से जुड़े लोगों के लिए जितना काम किया है, उतना किसी दूसरी सरकार ने नहीं किया।

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