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Chhath Puja 2022 In Bihar : छठ महापर्व का आज दूसरा दिन, खरना महाप्रसाद से पहले गंगाजल लेने के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं

Chhath Puja 2022 In Bihar: हिंदू मान्यता के मुताबिक, छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी। इस पर्व को सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके शुरू किया था।

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Published on: 29 Oct 2022 1:07 PM IST
Today is the second day of Chhath Mahaparva, devotees gathered to take Gangajal before Kharna Mahaprasad.
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बिहार: छठ महापर्व का आज दूसरा दिन, खरना महाप्रसाद से पहले गंगाजल लेने के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं

Chhath Puja 2022 In Bihar: सूर्य आस्था का महापर्व छठ पूजा को लेकर दूसरे दिन गंगा की घाटों पर खरना के लिए गंगाजल लेने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सरकार द्वारा खतरनाक घाट घोषित किए जाने के बावजूद भी भक्ति और श्रद्धा ने इसके सभी नियमों को ताक पर रख दिया। कई लोग इन घाटों में गहराई में जाते दिखे। शनिवार सुबह अहले सुबह से ही पर्व करने वाले महिला पुरुष गंगा के विभिन्न घाटों पर गंगा में डुबकी लगाकर गंगाजल पूजा के लिए एकत्रित करते नजर आएं।

इस दौरान पटना, बक्सर, बेगूसराय, भागलपुर समेत कई घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आई। इस दौरान प्रशासन द्वारा सभी घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करवाए गए थे। साथ गंगा में SDRF की टीम लगतार गश्त लगा रही थी।

छठ व्रती को पूरे दिन का उपवास

ऐसी मान्यता है कि छठ पर्व के अवसर पर गंगाजल की शुद्धता और पवित्रता को ध्यान में रखकर पूजा के लिए गंगाजल का ही इस्तेमाल किया जाता है। शनिवार को खरना है। इसमें व्रती को पूरे दिन का उपवास है। इस दिन पानी की एक बूंद भी व्रती ग्रहण नहीं करती हैं। संध्या के वक्त गुड़ की खीर, घी लगी रोटी और फलों का सेवन करती हैं। बाकी लोगों को इसे प्रसाद के तौर पर ग्रहण करने के लिए दिया जाता है।

महाभारत काल से हुई थी छठ पर्व की शुरुआत

हिंदू मान्यता के मुताबिक, कथा प्रचलित है कि छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी। इस पर्व को सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके शुरू किया था। कहा जाता है कि कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और वो रोज घंटों तक पानी में खड़े होकर उन्हें अर्घ्य देते थे। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने। आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही परंपरा प्रचलित है।



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Shashi kant gautam

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