TRENDING TAGS :
Bihar Chhath Puja 2022: लोक आस्था के महापर्व का तीसरा दिन आज, शाम में भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य देंगे श्रद्धालु
Bihar Chhath Puja 2022: पटना के डीएम डॉक्टर चंद्रशेखर सिंह ने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि इस वक्त गंगा का जलस्तर बढ़ा हुआ है।
Bihar Chhath Puja 2022: आज छठ महापर्व का तीसरा दिन है। श्रद्धालु अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। पटना के पचासी गंगा घाट और 61 तालाबों पर 1500000 श्रद्धालु आज भगवान भास्कर को जल अर्पण करें अगर पूरे जिले की बात करें तो 427 घाट और 179 तालाब पर 25 से 30 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। राजधानी में जेपी सेतु घाट, शिवा घाट, पाटलिपुत्र घाट, मीनार घाट, एलसीटी घाट, भद्र घाट, महावीर घाट, तालाब घाट, आदि पर प्रशासन द्वारा पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पटना प्रशासन ने राजधानी पटना में 600 मजिस्ट्रेट, 5000 पुलिस बल तैनात किये गए हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा व विधि व्यवस्था में 800 जवानों के साथ 289 नाव और 289 नाविक व 324 गोताखोर तैनात किये गए हैं।
आज शाम श्रद्धालु, घाट पर जाने से पहले बांस की टोकरी में पूजा की सामग्री, मौसमी फल, ठेकुआ, कसर, गन्ना आदि सामान सजाते हैं और इसके बाद घर से नंगे पैर घाट पर पहुंचते हैं। इसके बाद स्नान कर डूबते सूर्य को अर्ध्य देते हैं।
पटना के डीएम डॉक्टर चंद्रशेखर सिंह ने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि इस वक्त गंगा का जलस्तर बढ़ा हुआ है। कई नदी घाट खतरनाक घोषित हैं। सभी श्रद्धालुओं से अपील है कि घाट पर को पीले कपड़े से घिरे हिस्से में रहें। नदी घाट पर लाल कपड़े से घिरे हिस्से में नहीं जाना है। बुजुर्ग, बच्चे, बीमार लोगों को गंगा घाट पर ना ले जाएं। अगर बच्चे गंगा घाट पर आते हैं तो, बच्चों के पॉकेट में मोबाइल नंबर, नाम, पता लिखकर डालें।
सूर्यास्त 5 बजकर 10 मिनट पर
तीसरे दिन अस्तगामी सूर्य यानी की डूबते सूरज को जल चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि सूर्य को सही विधि और नियम से जल चढ़ाया जाए तो किस्मत सूरज के समान चमक उठती है। मौसम विभाग ने आज और कल यानी रविवार और सोमवार को सूर्यास्त और सूर्योदय का समय जारी किया है। रविवार को पटना में सूर्यास्त 5 बजकर 10 मिनट पर होगा। सोमवार को सूर्योदय 5 बजकर 57 मिनट पर होगा। लोक आस्था के महापर्व छठ का रंग पूरे बिहार में देखने को मिल रहा है। हर घाट पर आज सुबह से छठी मैय्या की गीत गूंज रही है।
पिछले 700 सालों से छठ पर्व की मान्यता
छठ पर्व के विधान का जिक्र मिथिला के प्रसिद्ध निबंधकार चंडेश्वर ने 1300 ईस्वी में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक कृत्य रत्नाकर में किया है। उसके बाद मिथिला के दूसरे बड़े निबंधकार रूद्रधर ने 15वीं शताब्दी में कृत्य ग्रंथ में चार दिवसीय छठ पर्व का विधान विस्तृत रूप से दिया है। यह वर्णन ऐसा ही है जैसा आज हम लोग छठ पर्व मनाते हैं। इस प्रकार पिछले 700 वर्षों से यह विवरण मिलता है। हालांकि कुछ जगहों पर मान्यता है कि त्रेता युग में माता सीता ने गंगा नदी के तट पर छठ महापर्व किया था उस समय से मनोकामना प्राप्ति के लिए छठ महापर्व किया जाता है।