TRENDING TAGS :
Bihar Politics: बिहार में राजद की मुसीबत बढ़ाएगी कांग्रेस, इस बार रणनीति बदलने की तैयारी, जीत की संभावना वाली सीटों पर नजर
Bihar Politics: पार्टी की निगाह इस बार सीटों की संख्या से ज्यादा उन सीटों पर है जहां जीत की संभावना दिख रही है। इसके लिए पार्टी ने एक आंतरिक सर्वे भी कराया है।
Tejashwi Yadav and Rahul Gandhi (photo: social media )
Bihar Politics: बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बदली हुई रणनीति के साथ अखाड़े में उतरने की तैयारी कर रही है। बिहार में लंबे समय से कांग्रेस लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ती रही है। पार्टी ने 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में राज्य की 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था मगर पार्टी को सिर्फ 19 सीटों पर कामयाबी मिली थी।
पार्टी की निगाह इस बार सीटों की संख्या से ज्यादा उन सीटों पर है जहां जीत की संभावना दिख रही है। इसके लिए पार्टी ने एक आंतरिक सर्वे भी कराया है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार कांग्रेस राजद के साथ टफ डील करने की तैयारी में जुटी हुई है। अब यह देखने वाली बात होगी कि राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव का कांग्रेस की डिमांड के प्रति क्या रवैया रहता है।
पिछली बार 70 सीटों पर लड़ी थी कांग्रेस
बिहार में 90 के दशक में कांग्रेस की पकड़ कमजोर पड़ी थी और उसके बाद से ही पार्टी राजद के साथ हाथ मिलकर लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ती रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी राजद नेतृत्व पर दबाव बनाकर 70 सीटें झटकने में कामयाब हुई थी। हालांकि चुनाव नतीजे में काफी करीबी मुकाबला होने के बाद कई सियासी जानकारों का यह भी मानना था कि अगर राजद नेतृत्व ने कांग्रेस को इतनी ज्यादा सीटें नहीं दी होतीं तो बिहार का चुनावी नजारा कुछ और हो सकता था।
इस बार बिहार में कांग्रेस गठबंधन में चुनाव तो जरूर लड़ेगी मगर पार्टी ज्यादा सीटों की जिद की जगह ऐसी सीटों को तरजीह देगी जिस पर पार्टी की जीत की संभावनाएं दिख रही है। पार्टी नेताओं का मानना है कि इससे कांग्रेस को अधिक सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाबी मिल सकती है।
आंतरिक सर्वे के बाद पार्टी ने बदली रणनीति
बिहार में कांग्रेस चुनावी तैयारी में जुटी हुई है और पार्टी नेता राहुल गांधी ने हाल के दिनों में दो बार बिहार का दौरा किया है। इसके साथ ही पार्टी ने हाल में एक आंतरिक सर्वे भी कराया है। कुछ समय पूर्व कराए गए इस सर्वे में इस बात पर जोर दिया गया है कि पार्टी को सीटों की संख्या की जगह जीत की संभावना वाली सीटों पर जोर देना चाहिए। पार्टी का मानना है कि बिहार में करीब पांच दर्जन ऐसी सीटें हैं जहां पार्टी का संगठन मजबूत है और इसके साथ ही पार्टी के पास चुनाव लड़ने के लिए बेहतर उम्मीदवार भी उपलब्ध हैं।
प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि विपक्षी गठबंधन में सीट बंटवारे की चर्चा के समय पार्टी की ओर से जीत की संभावना वाली सीटों पर ही दावेदारी जताई जाएगी। इसके लिए गठबंधन के सहयोगियों के साथ कुछ सीटों की अदला-बदली भी की जाएगी। हालांकि इसके लिए गठबंधन के सहयोगियों को तैयार करना आसान नहीं माना जा रहा है।
जीत की संभावना वाली सीटों पर नजर
कांग्रेस नेता ने कहा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव जरूर लड़ा था मगर इनमें से अधिकांश सीटें सिर्फ संख्या बढ़ाने वाली साबित हुई थीं। उन्होंने कहा कि अभी तक गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर कोई चर्चा शुरू नहीं हुई है मगर इतना तय है कि पार्टी की निगाह इस बार जीत की संभावना वाली सीटों पर ही रहेगी। हम ऐसी सीटों को ही हासिल करने का प्रयास करेंगे। कांग्रेस के इस रुख से साफ है कि पार्टी इस बार राजद के साथ टफ डील की तैयारी में जुटी हुई है।
कांग्रेस में क्यों बदली रणनीति
पार्टी के इस रुख से यह बात भी साफ हो गई है कि यदि पार्टी को मनपसंद सीटें मिलती हैं तो इस बार वह कम सीटों पर भी समझौता कर सकती है। पार्टी नेताओं का कहना है कि पिछली बार कांग्रेस को जो 70 सीटें चुनाव लड़ने के लिए मिली थीं, उनमें से 45 सीटें एनडीए का मजबूत गढ़ थीं। इन सीटों पर पिछले चार चुनावों से पार्टी को कामयाबी नहीं मिली थी। कांग्रेस के कई परंपरागत सीटें लेफ्ट को मिल गई थीं और इसका लेफ्ट को फायदा भी मिला था।
2015 के चुनाव में कांग्रेस ने 41 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 27 पर जीत हासिल की थी। कम सीटों पर चुनाव लड़कर भी पार्टी को ज्यादा सफलता मिली थी। यही कारण है कि पार्टी ने इस बार अपनी रणनीति बदली है। वैसे ही मामले में राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव का रुख निर्णायक साबित होगा। जानकारों का मानना है कि दबाव बनाकर लालू से सीटें हासिल करना आसान नहीं है। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस को अपनी मुहिम में कहां तक कामयाबी मिल पाती है।