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Father Day पर मैथेमेटिक्स गुरू आरके श्रीवास्तव का दर्द, बचपन में ही पिता छोड़ गए साथ, इस शख्स ने पूरी की कमी

Father Day: फादर्स डे के मौके पर आरके श्रीवास्तव ने अपने पिता की कमी के बीच सफलता तक पहुंचाने वाले उस शख्स के बारे में बताया जो पिता से बढ़ कर थे।

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Newstrack NetworkPublished By Shivani
Published on: 19 Jun 2021 4:45 PM GMT
Father Day पर मैथेमेटिक्स गुरू आरके श्रीवास्तव का दर्द, बचपन में ही पिता छोड़ गए साथ, इस शख्स ने पूरी की कमी
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आरके श्रीवास्तव के पिता और भाई 

Father's Day: पिता परिवार के वो सदस्य होते हैं, जिनके बच्चे के पालन-पोषण में योगदान की अक्सर अनदेखी की जाती है, वो अपने परिवार को स्वस्थ और खुश रखने के लिए दिन-रात काम करते हैं । इन अनजाने प्रयासों को अक्सर हल्के में लिया जाता है और उन जिम्मेदारियों में बदल दिया जाता है जिन्हें उन्हें पूरा करना होता है।

फादर्स डे क्यों मनाते है (Father Day Kyun manate hain)

इसलिए उनकी कड़ी मेहनत की सराहना और सम्मान करने के लिए, हम 'फादर्स डे' मनाते हैं। वो परिवार के उन गुमनाम नायकों में से एक हैं जो बदले में प्यार के अलावा कुछ नहीं चाहते हैं। हर साल जून के तीसरे रविवार को ये खास दिन मनाया जाता है। इस साल 'फादर्स डे' 20 जून 2021 (Father Day 20 June 2021) को पड़ रहा है।

मैथमेटिक्स गुरु का फादर्स डे

आईये एक विशेष रियल स्टोरी के माध्यम से फादर्स डे के मह्त्व को जानते है, 1 रू गुरु दक्षिणा लेकर पढाने वाले आरके श्रीवास्तव की स्टोरी है प्रेरणादायक----
वैसे मेरे लिये तो कोई ऐसा दिन नही जब मेरे पिता समान भैया हमें याद न आते हो, अब तो परिवार चलाने का दायित्व मेरे उपर आ चूका है इसलिये अकेले में होकर रो लेता हूँ ताकी भतीजा-भतीजी को इसका एहसास न हो।
father day पर एक विशेष लेख में मैथेमेटिक्स गुरू आर के श्रीवास्तव का दर्द
5 वर्ष के उम्र मे ही पिता को खोने का गम अभी दिल और मन दोनों से मिटा भी नही था की पिता तुल्य इकलौते बड़े भाई भी इस दुनिया को छोड़ चले गये। पापा का चेहरा तो हमे याद भी नही बस कभी रात को सोते वक्त सोचता हूँ तो धुॅधला धुधला सा दिखाई देता है। मेरे बड़े भैया ने पापा की कमियाॅ कभी हमे महसूस होने नही दिया। वे अपने क्षमता से भी बढ़कर हर वह जरूरी आवश्यकता की हमें बस्तुए , काॅपी - किताबे, खिलौने आदि उपलब्ध कराते जो हमारे जरूरत और माॅगे रहता।

पापा (पारस नाथ लाल) के गुजरने के बाद भैया का उम्र खेलने कूदने का था। परंतु दुःख और जिम्मेदारी कब किसके पाले मे आ जाये ये सब समय का चक्र के गर्त मे छुपा है। पिता सामान बड़े भैया ने पूरे संयुक्त परिवार को अपने कष्ट करते हुए वह सारी सुविधाएँ दिये जो एक ग्रामीण परिवेश की जरूरत होती है। खास कर घर मे सबसे अधिक हमे प्यार करते थे। हमारे पांचों बहनो को भैया बहुत प्यार करते थे। पापा के गुजरने के बाद भैया ने बहनो की शादी का दायित्व भी बहुत ही अच्छे से निभाया और अपने क्षमता से बढ़कर सभी बहनो की शादी सुखी सम्पन परिवार में किया। लगभग प्रतिदिन फ़ोन पर सारी बहनो से बात कर हाल चाल नही पूछ लेते तब तक सोते नही। मेरे भैया का बहनो से प्रतिदिन बातचीत करना उनके डेली लाइफ रूटीन में शामिल हो गया था। वे हमेशा सारी बहनो को खुश देखना चाहते थे। मैं हमेशा प्रयास करता हु की अपनी बहनो को भैया इतना प्यार दे सकू।
प्रत्येक वर्ष हमे राखी बांधते समय बहनो के आँखों मे खुशी के साथ भैया की कमी भी साफ दिखाई दिया करता है। मेरे लिए भैया का बहुत बड़ा सपना था की पढ़ा लिखा कर एक काबिल इंसान बनाने का।भैया का मेरा शौक था की मै सरकारी नौकरी करूँ लेकिन इसके विपरीत मेरा सोच कभी भी सरकारी नौकरी करने का नही रहा। जिसके चलते घर मे काफी तनाव बना रहता था। दीदी जीजाजी को बुलाकर कहते थे की वे मेरा बात नही मान रहा है कोई भी सरकारी फार्म नही भर रहा है।
जीजाजी दीदी हमे समझाते परन्तु मैं अपने सपने के साथ अडिग रहता की मुझे कोई सरकारी नौकरी नही करना, मुझे गरीब बच्चो के शिक्षा मे एक शिक्षक के रूप मे मदद करना है जिसका लाभ अंतिम पायदान के बच्चो को भी मिले। जब तक पिता तुल्य मेरे भैया इस भूलोक पर जीवित रहे। मै कितना भी मेहनत करता परन्तु मेहनत के अनुरूप सफलता नही मिलता। मै भैया से हमेशा बोलता था की आप सरकारी नौकरी की चिंता न करे एक दिन पूरा बिहार राज्य सहित पूरा देश आपके अनुज का नाम जानेगा।

परन्तु समय के चक्र के सामने किसी का नही चलता । आज भी वह दिन हमे याद है जब दिन रात मेहनत के बाद भी परिणाम हमारे अनुरूप नही आता। ऐसा कई वर्षों तक चलता रहा।क्योकि ये सब मै अपने भैया को दिखाना चाहता था की मैं शिक्षा मे आर्थिक रूप से गरीबों की सेवा करके उन परिवार और लोगो के दिलों मे स्थान पा रहा हूँ। वैसे परिवार को काफी खुशी मिलती है जिसके पूरे परिवार मे दूर दूर तक कोई इंजीनियर न हो परन्तु कोई पहला बच्चा गरीबी को काफी पीछे छोड़ इंजीनियर बना।
लेकिन मेरे सारी कोशिशो के बाद उन सफल बच्चे के परिवार का तो हमें आशीर्वाद प्राप्त होता लेकिन कोई दूर दराज तक इस संदेश को नही पहुँचा पाता।क्योकि आज के आधुनिक युग मे अखबारो या अन्य मीडिया के माध्यम से आप अपने कार्यो का संदेश दूर तक पहुँचा सकते है।इसके तहत अधिक बच्चों को शिक्षा का लाभ मिल सकता था यही मेरा सोच था। समय का चक्र ऐसे ही चलता रहा एक दिन पिता तुल्य भैया को तबियत खराब होने के चलते बिक्रमगंज से आरा के रास्ते पटना ले जाने के क्रम मे पीरो मे ही अपने प्राण त्याग दिये।वह दिन मै कभी भूल नही सकता । उस दिन लगा की मेरे सारे सपने , मेरा दुनिया सब खत्म हो गया।
अब मैं क्या करू, ऊपर से तीन भतीजीयो की शादी , भतीजे को पढ़ा लिखाकर काबिल इंसान बनाना ये सब मेरे मन और दिमाग मे घूमने लगे। रात को सोते वक्त आंख आसूओ से भर जाते परन्तु मैं किसके पास जाकर रोता क्योंकि भतीजा भतीजी से छूपकर अकेले मे रो लेता ताकि वे टूटे नही उन्हे दिलासा दिलाता की बेटा मैं हूँ तुमलोगो को कोई तकलीफ मैं अपने जीवन मे नही होने दूंगा।काफी दिनों तक घर मे काफी उदासी का माहौल था।

परन्तु समय एक ऐसा चक्र है की हर अंधेरे के बाद उजाला जरूर होता है। और मेरे दुसरे जीवन मे माँ, भाभी , सभी बहनो का आशीर्वाद ने हमें काफी बल दिया। इसके अलावा पूर्व सांसद आरके सिन्हा बाबूजी का काफी सपोर्ट हमें एक पिता के रूप में मिलते आ रहा है। जो हमें एक शक्ति के रूप में प्राप्त होने लगा। जिससे मै टूटने के बाद फिर से मजबूत होने लगा।टूटे सपने फिर से देखने लगा।मेरा परिवार फिर से संभलना चालू हो गया।फिर से पहले की तरह या उससे कई गुना अधिक मेहनत करने लगा। भैया की कमी के कारण मैं पूरी तरह टूट चुका था, लेकिन पूर्व सांसद आरके सिन्हा बाबूजी ने मेरे जीवन में एक फरिश्ता बनकर आये , मेरे कैरियर सवारने से लेकर जीवन के जीवन के उतार चड़ाव में उनका साथ हमेशा प्राप्त होते आ रहा है, बड़ी भतीजी की शादी में उनके द्वारा किया गया सहयोग और मेरे घर आकर वर वधु को दिया गया आशीर्वाद मै कभी भुल नही सकता, इन सभी ने अपने आशीर्वाद और साहस के बल पर हमें शक्ति देने का काम निरन्तर करते रहते है। सभी हमेशा हमे समझाते है की पापा, भैया का आशीर्वाद हम सभी परिवार पर हमेशा रहेगा।
आज उन्ही के आशीर्वाद से पूर्व सांसद आरके सिन्हा जैसा नेक इंसान तुम्हारे जीवन में आकर तुम्हारे सपनो को पंख लगा रहे है, अब तुम शिक्षा में निरन्तर आगे बढ़ रहे हो। सचमुच मैं ऐसा महसूस करता हु आज मेरे पापा,भैया जहाँ भी होंगे पर उनके आशीर्वाद पूरे परिवार के साथ है। पापा, भैया, के आशीर्वाद और माँ और भाभी के संघर्ष और स्नेह से मेरे नाम की चर्चा पूरे बिहार सहित अन्य राज्यों मे भी प्रारंभ हो गया।
मेरे द्वारा शिक्षा मे किये जा रहे कार्यों को सारे मीडिया विगत वर्षों मे प्रमुखता से लेने लगे। राज्यस्तरीय तथा राष्ट्रीय सभी मीडिया मेरे द्वारा किये गये कार्यों को स्थान मिलने लगा। मै कहना चाहूॅगा की पापा , भैया सभी का आशीर्वाद ही मुझे काफी शक्ति देता है की परिस्थितियाॅ कैसा भी हो हौसले नही हारना चाहिए।क्योकि जीतने वाले छोड़ते नही छोड़ने वाले जीतते नही।

आरके श्रीवास्तव का फादर्स डे पर खास सन्देश

उन सभी बच्चो को मैं मैथेमेटिक्स गुरू आर के श्रीवास्तव आज संदेश देना चाहता हूँ की पूरे परिवार सहित बहनो-भाईयो की कद्र करो।अपनी व्यस्तता के बाद भी समय निकालकर उनसे प्यार भरी बाते करो । बेटियां सचमुच में पापा की परी होती है, यदि बहनो को पापा की कमी खले तो एक भाई के रूप में पिता और भाई दोनो का फर्ज जरूर निभाईये। पापा वह अनमोल हीरा होते है जिसका शब्दो मे व्याख्यान नही किया जा सकता है। जब तक वह हमारे सामने है तूम्हे इतना अधिक एहसास नही होता होगा की वे हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण है परन्तु उनके खोने के बाद पता चलता है की आखिर हमारे जीवन मे पिता का महत्व कितना अनमोल है।इसलिए इस भाग दौड़ की दुनिया से समय निकालकर अपना अधिक से अधिक समय अपने परिवार को दे।आपसे वे कुछ माॅगेगे नही परन्तु आपका प्यार भरा दो शब्द उनके उम्र को कई गुना बढ़ा देगे।
Shivani

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