Ganauri Paswan: गनौरी पासवान की कहानी 1500 फ़ीट ऊंचे पहाड़ को काटकर बना दीं 400 सीढ़ियां

Ganauri Paswan: गनौरी पासवान है जो बिहार के जहानाबाद ज़िले में स्थित वनवरिया गांव के रहने वाले है । इन्होंने देखा काफ़ी सालों से एक प्राचीन योगेश्वर नाथ मंदिर जहां तक श्रद्धालु खड़ी चढ़ाई और ख़राब रास्ता होने की वजह नहीं पहुँच पा रहे हैं ।

Akshita
Written By Akshita
Published on: 3 Oct 2023 11:21 AM GMT (Updated on: 3 Oct 2023 11:21 AM GMT)
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Ganauri Paswan: बिहार के दशरथ मांझी के बारे में सभी ने सुना ही है ,ये वही शख़्स हैं जिनके कारण एक गाँव को सड़क मिल पायी थी , इन्होंने खुद अकेले ही 110 मीटर ऊंचे पहाड़ को काटकर अपने गांव के लिए सड़क का निर्माण किया था। इन्होंने बताया था कि उन्हें सरकार की रहमत की ज़रूरत नहीं है ।हैरानी की बात ये थी कि उन्होंने ये पहाड़ सिर्फ़ छेनी और हथोड़े के दम पर काट दिया था।इनकी कहानी को फ़िल्मी पर्दे पर साल 2015 में उतारा जा चुका है ।जिसमें दसरथ माँझी की भूमिका में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी थे ।लेकिन आज हम बिहार के एक और माँझी की बात करेंगें जिन्होंने ऐसा ही कुछ किया है , इन्हें अब ‘मांझी 2.0’ के नाम से भी जाना जाता है।

दिव्यांग गनौरी ने गाँव वालों की तकलीफ़ देख कर प्रण ले लिया

इनका नाम गनौरी पासवान है जो बिहार के जहानाबाद ज़िले में स्थित वनवरिया गांव के रहने वाले है ।इन्होंने देखा काफ़ी सालों से एक प्राचीन योगेश्वर नाथ मंदिर जहां तक श्रद्धालु खड़ी चढ़ाई और ख़राब रास्ता होने की वजह नहीं पहुँच पा रहे हैं ।68 वर्षीय दिव्यांग गनौरी ने तब ही तय कर लिया की वे इस मंदिर को सीढ़ियाँ मुहैया कराएँगे । और गनौरी ने क़रीब 1500 फ़ीट ऊंचे इस पहाड़ को तोड़कर सुगम रास्ता व सीढ़ियां बनाने का प्रण ले लिया और वे सब काम छोड़ कर इसमें लग गए ।


पत्नी को गिरवी रखने पड़े ज़ेवर

यह रास्ता इतना कठिन था कि गनौरी के इस निर्णय पर गाँव वालों को यक़ीन नहीं हुआ और उन्होंने शुरुआत में गनौरी पासवान की बातों को अनसुना कर दिया ।पर गनौरी हारने वालों में से नहीं थे ।उनकी इस हिम्मत को बल उनकी पत्नी तेतरी देवी ने दिया ।उन्होंने सीढ़ी निर्माण के लिए अपने जेवर तक गिरवी रख दिए।कई बार गनौरी हिम्मत हार जाते थे । पर उनकी पत्नी के बल पर उन्होंने सीढियां अधूरी नहीं छोड़ी । गनौरी की मेहनत देख कर उनके बच्चे भी इस काम में शामिल हो गए थे ।


बग़ैर सरकारी मदद के बनी सीढ़ियाँ

2018 के अंत तक गनौरी पासवान ने पहाड़ को काटकर मंदिर तक 6 फ़ीट चौड़ा रास्ता तो बना दिया।पर ये रास्ता आने जाने वालों के लिए इतना सुरक्षित नहीं था ।फिर बाद में उन्होंने इसे सीढ़ियों का रूप देने का फ़ैसला किया ।इस दौरान उन्होंने सरकार से कोई मदद नहीं ली । ना ही सरकार ने उनकी कोई मदद की।वर्तमान में 800 फ़ीट तक 400 सीढ़ियां बनकर तैयार हो चुकी हैं।


आस पास के निवासी कहते हैं यह गनौरी के अकेले की मेहनत हैं ।कुछ मंदिर में आने वाले मंदिर श्रद्धालु कभी कभार थोड़ा-बहुत सहयोग किया कर देते हैं। लेकिन वो सहयोग नाम मात्र ही होता है।लोगों का कहना है आज गनौरी और उनकी पत्नी के बदौलत ही सीढ़ियाँ बन पायी हैं और लोग अब आसानी से मंदिर तक पहुँच सकते हैं ।


गाँव वालों कहते हैं गनौरी पासवान पहाड़ की तलहटियों में जाकर पुरानी मूर्तियों की भी खोज करते हैं। फिर उन मूर्तियों को योगेश्वर नाथ मंदिर के रास्ते पर स्थापित कर देते हैं। उन्होंने काले पत्थर की भगवान बुद्ध की छह फीट की ऐतिहासिक प्रतिमा भी खोज निकाली थी।गनौरी पासवान और उनकी पत्नी तेतरी देवी का कहना है कि बाबा योगेश्वर नाथ का मंदिर पर्यटन स्थल के रूप विकसित हो।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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