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Happy Brother's Day 2021: Brother's Day पर मैथेमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव का छलका दर्द

Happy Brothers Day 2021: आरके श्रीवास्तव ने इस ख़ास दिन पर अपने पिता सामान बड़े भाई को याद करते हुए अपना दुख सबके सामने रखा।

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Newstrack NetworkPublished By Monika
Published on: 24 May 2021 10:45 PM IST (Updated on: 24 May 2021 11:26 PM IST)
Happy Brothers Day 2021: Brothers Day पर मैथेमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव का छलका दर्द
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Happy Brothers Day 2021: यूं तो भारत में रक्षा बंधन और भाई दूज को भाई-बहन से जुड़ा त्योहार माना गया है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर साल 24 मई को ब्रदर्स डे (Brothers Day) मनाया जाता है। इसकी शुरुआत अमेरिका से हुई थी। वहां सबसे पहले 2005 में नेशनल ब्रदर्स डे मनाया गया, जो अब रूस, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और जर्मनी तक फैल गया है। अमेरिका के अलबामा में सी डेनियल रोड्स ने सबसे पहले इस दिवस को मनाने की शुरूआत की थी। बहरहाल, इंटरनेट मीडिया के दौर में विभिन्न प्लेटफॉर्म के जरिए Brothers Day 2021 की शुभकामनाएं दी जा रही हैं।

आरके श्रीवास्तव की कलम से

रक्षा बंधन के दिन तो बड़े भैया की कमी बहनो के आँखों मे देखने को मिलता ही है ,वैसे मेरे लिए तो कोई ऐसा दिन नहीं जब मेरे भैया हमें याद न आते हो, अब तो परिवार चलाने का दायित्व मेरे उपर आ चूका है। इसलिए अकेले में होकर रो लेता हूं ताकी भतीजा-भतीजी को इसका एहसास न हो।

पांच वर्ष की उम्र मे ही पिता को खोने का गम अभी दिल और मन दोनों से मिटा भी नहीं था कि पिता तुल्य इकलौते बड़े भाई भी इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। पापा का चेहरा तो हमे याद भी नहीं बस कभी रात को सोते वक्त सोचता हूं तो धुंधला धुंधला सा दिखाई देता है। मेरे बड़े भैया ने पापा की कमी कभी हमे महसूस होने नहीं दी। वे अपने क्षमता से भी बढ़कर हर वह जरूरी और आवश्यकता की वस्तुए , कॉपी - किताबें, खिलौने आदि उपलब्ध कराते जो हमारे जरूरत और मांग रहता। पापा के गुजरने के बाद भैया का उम्र खेलने कूदने का था। परंतु दुःख और जिम्मेदारी कब किसके पाले मे आ जाए ये सब समय का चक्र के गर्त मे छुपा है। पिता समान बड़े भैया ने पूरे संयुक्त परिवार को अपने कष्ट करते हुए वह सारी सुविधाएं दी जो एक ग्रामीण परिवेश की जरूरत होती है। खास कर घर मे सबसे अधिक हमे प्यार करते थे। हमारे पांचों बहनों को भैया बहुत प्यार करते थे। पापा के गुजरने के बाद भैया ने बहनों की शादी का दायित्व भी बहुत ही अच्छे से निभाया और अपने क्षमता से बढ़कर सभी बहनों की शादी सुखी से सम्पन्न परिवार में किया । लगभग प्रतिदिन फ़ोन पर सारी बहनों से बात कर हाल चाल नहीं पूछ लेते तब तक सोते नहीं। मेरे भैया का बहनों से प्रतिदिन बातचीत करना उनके डेली लाइफ रूटीन में शामिल हो गया था। वे हमेशा सारी बहनों को खुश देखना चाहते थे। मैं हमेशा प्रयास करता हूं कि अपनी बहनों को भैया जितना प्यार दे सकू। प्रत्येक वर्ष हमे राखी बांधते समय बहनों के आँखों मे खुशी के साथ भैया की कमी भी साफ दिखाई दिया करता है। मेरे लिए भैया का बहुत बड़ा सपना था की पढ़ा लिखाकर एक काबिल इंसान बनाने का। भैया का शौक था की मैं सरकारी नौकरी करू, लेकिन इसके विपरीत मेरी सोच कभी भी सरकारी नौकरी करने का नहीं रहा। जिसके चलते घर मे काफी तनाव बना रहता था। दीदी जीजा जी को बुलाकर कहती थी की वे मेरी बात नहीं मान रहा है। कोई भी सरकारी फॉर्म नहीं भर रहा है। जीजा जी दीदी हमे समझाते परन्तु मैं अपने सपने के साथ अडिग रहता की मुझे कोई सरकारी नौकरी नहीं करना। मुझे गरीब बच्चों के शिक्षा मे एक शिक्षक के रूप मे मदद करना है जिसका लाभ अंतिम पायदान के बच्चों को भी मिले। जब तक पिता तुल्य मेरे भैया जीवित रहे मैं कितना भी मेहनत करता परन्तु मेहनत के अनुरूप सफलता नहीं मिलता। मैं भैया से हमेशा बोलता था की आप सरकारी नौकरी की चिंता न करे एक दिन पूरा बिहार राज्य सहित पूरा देश आपके अनुज का नाम जानेगा।

आर के श्रीवास्तव का परिवार (फोटो: सौ. से सोशल मीडिया )

गरीबी बच्चों को इंजीनियर बनाना

परन्तु समय के चक्र के सामने किसी की नहीं चलती । आज भी वह दिन मुझे याद है जब दिन रात मेहनत के बाद भी परिणाम मेरे अनुरूप नहीं आता। ऐसा कई वर्षों तक चलता रहा। क्योंकि ये सब मैं अपने भैया को दिखाना चाहता था की मैं शिक्षा मे आर्थिक रूप से गरीबों की सेवा करके उन परिवार और लोगों के दिलों मे स्थान पा रहा हूँ। वैसे परिवार को काफी खुशी मिलती है जिसके पूरे परिवार मे दूर दूर तक कोई इंजीनियर न हो। परन्तु कोई पहला बच्चा गरीबी को काफी पीछे छोड़ इंजीनियर बना। लेकिन मेरे सारी कोशिशो के बाद उन सफल बच्चों के परिवार का तो हमें आशीर्वाद प्राप्त होता लेकिन कोई दूर दराज तक इस संदेश को नहीं पहुँचा पाता। क्योंकि आज के आधुनिक युग मे अखबारों या अन्य मीडिया के माध्यम से आप अपने कार्यो का संदेश दूर तक पहुँचा सकते है। इस संदेश के तहत अधिक बच्चों को शिक्षा का लाभ मिल सकता है यही मेरा सोच था। समय का चक्र ऐसे ही चलता रहा एक दिन पिता तुल्य भैया की तबीयत खराब होने के चलते बिक्रमगंज से आरा के रास्ते पटना ले जाने के क्रम मे पीरो मे ही अपने प्राण त्याग दिए। वो दिन मैं कभी भूल नहीं सकता । उस दिन लगा की मेरे सारे सपने , मेरी दुनिया सब खत्म हो गई। अब मैं क्या करू? ऊपर से तीन भतीजीयों की शादी , भतीजे को पढ़ा लिखाकर काबिल इंसान बनाना ये सब मेरे मन और दिमाग मे घूमने लगा । रात को सोते वक्त आंख आंसुओ से भर जाते परन्तु मैं किसी के पास जाकर नहीं रोता, लेकिन भतीजा भतीजी से छूपकर अकेले मे रो लेता ताकि वे टूटे नहीं । उन्हें दिलासा दिलाता की बेटा मैं हूँ तुम लोगों को कोई तकलीफ मैं अपने जीवन मे नहीं होने दूंगा। काफी दिनों तक घर मे उदासी का माहौल था।

आर के श्रीवास्तव अपने परिवार के साथ (सौ.से सोशल मीडिया )

घवालों के आशीर्वाद से मिला बल

परन्तु समय एक ऐसा चक्र है की हर अंधेरे के बाद उजाला जरूर होता है। और मेरे दूसरे जीवन मे माँ, भाभी , सभी बहनों का आशीर्वाद ने हमें काफी बल दिया। इसके अलावा पिछ्ले 5 वर्षो से पूर्व सांसद आर के सिन्हा जी का काफी सपोर्ट हमें मिलते आ रहा है। जो हमें एक शक्ति के रूप में प्राप्त होने लगा। जिससे मै टूटने के बाद फिर से मजबूत होने लगा। टूटे सपने फिर से देखने लगा। मेरा परिवार फिर से संभलना चालू हो गया। फिर से पहले की तरह या उससे कई गुना अधिक मेहनत करने लगा। भैया की कमी के कारण मैं पूरी तरह टूट चुका था लेकिन परिवार ने अपने आशीर्वाद और साहस के बल पर हमें शक्ति देने का काम निरन्तर करते रहते है। वे सभी हमेशा हमे समझाते है की पापा, भैया का आशीर्वाद हम सभी परिवार पर हमेशा रहेगा। आज उन्हीं के आशीर्वाद से तुम शिक्षा में निरन्तर आगे बढ़ रहे हो। सचमुच मैं ऐसा महसूस करता हूं आज मेरे भैया जहाँ भी होंगे पर उनके आशीर्वाद पूरे परिवार के साथ है। भैया के आशीर्वाद से मेरे नाम की चर्चा पूरे बिहार सहित अन्य राज्यों मे भी प्रारंभ हो गया। मेरे द्वारा शिक्षा मे किये जा रहे कार्यों को सारे मीडिया विगत वर्षों मे प्रमुखता से लेने लगे। राज्यस्तरीय तथा राष्ट्रीय सभी मीडिया मेरे द्वारा किये गये कार्यों को स्थान मिलने लगा। मै कहना चाहूॅगा की पापा , भैया सभी का आशीर्वाद ही मुझे काफी शक्ति देता है की परिस्थितियाॅ कैसा भी हो हौसले नही हारना चाहिए। क्योंकि जीतने वाले छोड़ते नही छोड़ने वाले जीतते नही।

आर के श्रीवास्तव और उनके बड़े भाई (सौ. से सोशल मीडिया )

आर के श्रीवास्तव द्वारा दिया गया संदेश

उन सभी बच्चो को मैं मैथेमेटिक्स गुरू आर के श्रीवास्तव आज संदेश देना चाहता हूँ की पूरे परिवार सहित बहनों-भाईयो की कद्र करो।अपनी व्यस्तता के बाद भी समय निकालकर उनसे प्यार भरी बाते करो । बेटियां सचमुच में पापा की परी होती है, यदि बहनों को पापा की कमी खले तो एक भाई के रूप में पिता और भाई दोनो का फर्ज जरूर निभाईये। भाई वह अनमोल हीरा होते है जिसका शब्दो मे व्याख्यान नहीं किया जा सकता है। जब तक वह हमारे सामने है तूम्हे इतना अधिक एहसास नही होता होगा की वे हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण है परन्तु उनके खोने के बाद पता चलता है की आखिर हमारे जीवन मे भाई का महत्व कितना अनमोल है।इसलिए इस भाग दौड़ की दुनिया से समय निकालकर अपना अधिक से अधिक समय अपने परिवार को दे।आपसे वे कुछ माॅगेगे नही परन्तु आपका प्यार भरा दो शब्द उनके उम्र को कई गुना बढ़ा देगे।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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