TRENDING TAGS :
मुर्दों से गायब सिर! पटना से कोलकाता तक फलने-फूलने वाले लाशों का व्यापार, भयावह इतिहास
Bihar News: दिल्ली, पटना और कोलकाता समेत कई शहरों में लाशों और कंकालों के खरीद फरोख्त का इतिहास रहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी दो बच्चों के शव चोरी का मामला सामने आया था।
Bihar News: इंसान जीवित रहते तो परेशान रहता है लेकिन कुछ हैवान मरने के बाद भी नहीं बख्श रहे हैं। एक कहानी बिहार के भागलपुर जिला से सामने आई है। दरअसल, थाना क्षेत्र सन्हौला के अशरफनगर गांव के कब्रिस्तान की एक शिकायत मिली। एक व्यक्ति का आरोप है कि कुछ महीनों पहले उनकी मां का इंतकाल हो गया था। गांव के कब्रिस्तान में सुपुर्दे-ए-खाक किया था। लेकिन कब्र की मिट्टी से छेड़खानी की गई और जब पड़ताल की तो पता चला कि लाश का सिर कटा था। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पता चला कि ये पहला ऐसा मामला नहीं है गांव वालों ने पहले भी लाशों से छेड़खानी होने के दावा किया है।
दिल्ली, पटना और कोलकाता समेत कई शहरों में लाशों और कंकालों के खरीद फरोख्त का इतिहास रहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी दो बच्चों के शव चोरी का मामला सामने आया था। बता दें नवंबर 2017 में दिल्ली की गीता कॉलोनी में यमुना किनारे दो दिन की बच्ची का शव दफनाया गया था। लेकिन दूसरे दिन ही शव गायब हो गए थे। उस दौरान आशंका जताई गई थी कि ये काम किसी तांत्रिक या अंध विश्वास के चलते किया जा सकता है। हालांकि पटना में लाशें गायब नहीं बल्कि उनके अंगों को काटने की शिकायत दर्ज हुई है।
क्या हुआ पटना केस
पटना के थाना क्षेत्र सन्हौला के निवासी बदरूजमा का कहना है कि इनकी 85 वर्षीय माताजी नूरजाबी खातून का पिछले कुछ महीनों पहले निधन हो गया था। इसके बाद अशरफनगर गांव के कब्रिस्तान में दफन किया। कुछ समय बाद पता चला कि किसी ने उनका सिर काट लिया। बदरूजमा ने कहा कि मैंने अपनी अम्मी की हर तरह से सेवा और उनके साथ इतना गलत काम किया गया। मालूम हो कि इंडिया टुडे ने अपनी रिपोर्ट में छापा था कि बिहार में पिछले करीब पांच साल में कई इलाकों से पांच लाशें चोरी हो गई। बता दें इसे बॉडी स्नेचिंग भी कहते हैं।
विदेशों में होती है कंकालों सप्लाई!
पटना और कोलकाता में कंकाल के खरीद फरोख्त का सिलसिला काफी पुराना है। कोलकाता में पहली बार 1943 तो वहीं पटना में 1985 में पहली बार इसका मामला सामने आया था। पटना में बच्चों के कंकाल का मामले ने काफी तूल भी पकड़ी थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक मानें तो कंकालों का उपयोग मेडिकल कॉलेजों में लेक्चर के होता है। कंकालों के खरीददार प्राइवेट डॉक्टर और अस्पताल भी होते हैं। ये सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि कई बड़े देशों से ऐसे मामले सामने आए।
नेक्रोफिलिया जैसे भी मामले
वहीं, कर्नाटक से नेक्रोफिलिया जैसा केस सामने आया था। नेक्रोफिलिया मतलब मुर्दों के साथ घिनौने काम करना। इसके लेकर देश की अदालतों के दरवाजे खटखटाये। इसपर न्यायमूर्ति बी वीरप्पा और न्यायमूर्ति वेंकटेश नाइक की उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कहा कि - दुर्भाग्य से भारत में, नेक्रोफिलिया के खिलाफ कोई विशिष्ट कानून नहीं है। केंद्र सरकार को भारत में नेक्रोफिलिया के अपराधीकरण के लिए एक नया कानून बनाना चाहिए।