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चिराग का सियासी दांव: रंग दिखाता दिख रहा बिहार विधानसभा चुनाव

वोटरों में अच्छी पैठ रखने वाले बिहार के कद्दावर नेता रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान को उनके पिता की मृत्यु के कारण जहां सहानुभूति मिली और इससे उन्हे फायदा तो हुआ लेकिन यह सीटों में बदलता नहीं दिख रहा है लेकिन उनकी इस सियासी बढ़त ने जदयू का गणित बिगाड़ दिया।

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Published on: 10 Nov 2020 10:38 AM IST
चिराग का सियासी दांव: रंग दिखाता दिख रहा बिहार विधानसभा चुनाव
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चिराग का सियासी दांव: रंग दिखाता दिख रहा बिहार विधानसभा चुनाव (Photo by social media)

लखनऊ: बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने आखिरकार वह कर दिखाया जो उन्होंने कहा था। बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की जनता दल यू से अपनी सियासी दुश्मनी को निभाने के लिए जदयू प्रत्याशी के खिलाफ अपने प्रत्याशी खड़े किए। हालांकि चिराग ने भाजपा का साथ देने का वादा भी किया और नारा दिया कि मोदी से कोई बैर नहीं नीतीश तेरी खैर नहीं। लेकिन मतगणना के शुरूआती रूझानों में भले ही चिराग पासवान को केवल 05 सीटों पर ही बढ़त दिखाई दे रही है लेकिन उनकी इस रणनीति से एनडीए को खासा नुकसान होता दिख रहा है और कहा जा सकता है कि अंतिम नतीजों में अगर एनडीए के हाथ से सत्ता फिसली तो उसमें चिराग पासवान के बड़ा कारण होंगे।

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लोजपा का बिहार में जो असर है वह कुछ जाति विशेष तक ही सीमित है

दलित वोटरों में अच्छी पैठ रखने वाले बिहार के कद्दावर नेता रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान को उनके पिता की मृत्यु के कारण जहां सहानुभूति मिली और इससे उन्हे फायदा तो हुआ लेकिन यह सीटों में बदलता नहीं दिख रहा है लेकिन उनकी इस सियासी बढ़त ने जदयू का गणित बिगाड़ दिया। वैसे लोजपा का बिहार में जो असर है वह कुछ जाति विशेष तक ही सीमित है लेकिन यह अलग-अलग हिस्सों में है। ऐसे में लोजपा का वोट जब एनडीए के साथ होता था तो वह एनडीए को अतिरिक्त ताकत देता था लेकिन इस बार एनडीए से बाहर रह कर चिराग ने जदयू के सभी प्रत्याशियों के समक्ष जो चुनौती पेश की उसका असर अब शुरूआती मतगणना में साफ दिख रहा है।

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बिहार विधानसभा चुनाव के जरिए चिराग स्वयं को जमीनी नेता साबित करना चाहते हैं

दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव के जरिए चिराग स्वयं को जमीनी नेता साबित करना चाहते हैं और वह पार्टी का आधार बढ़ाना चाहते हैं। चिराग का मानना है कि वह बिहार में नीतीश का विकल्प बन सकते है और इस चुनाव के जरिए उनकी कोशिश भी यहीं है। शुरूआती रूझानों से साफ है कि बिहार की जनता ने नीतीश के खिलाफ वोट दिया है। अब ऐसे में अगर जनादेश का सम्मान करते हुए एनडीए नीतीश के अलावा किसी और को मुख्यमंत्री बनाना चाहेगी तो उसमे चिराग और उनकी पार्टी की बड़ी भूमिका हो सकती है। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी कई मौकों पर यह साफ कर चुके है कि बिहार में एनडीए के अगले मुख्यमंत्री नीतीश ही होंगे ।

रिपोर्ट- मनीष श्रीवास्तव

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