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Women's Day 2022: नारी शक्ति को करे सलाम, मां-भाभी के संघर्षों ने बनाया देश का प्रसिद्ध मैथमेटिक्स गुरु

International Womens Day: कांटों भरी राह पर खुद चलीं लेकिन इसका एहसास तक नहीं होने दिया। आइए रूबरू कराते है कुछ ऐसी ही महिला से जो बिना पति के भी अपने जिगर के टुकड़े को संभाल बनाया देश का गौरव।

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Newstrack Network
Published on: 8 March 2022 4:56 PM GMT
RK Srivastava
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आरके श्रीवास्तव (फोटो-सोशल मीडिया)

No Smoking Day 2022: मार्च को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर लोग अपने जीवन की सबसे खास और प्यारी महिला को शुभकामनाएं देना पसंद करते हैं। जिंदगी मिलती है कुछ कर गुजरने के लिए ही, अगर इसे सलिके से संवारा जाए तो वहीं आगे चलकर इतिहास बन जाता है। लेकिन उस इतिहास के बनने से पहले कितने संघर्ष के रास्तों से गुजरना पड़ता है.इसे जानने के लिए पढ़िए एक खास रिपोर्ट।

कांटों भरी राह पर खुद चलीं लेकिन इसका एहसास तक नहीं होने दिया। आइए रूबरू कराते है कुछ ऐसी ही महिला से जो बिना पति के भी अपने जिगर के टुकड़े को संभाल बनाया देश का गौरव। आरती देवी (आरके श्रीवास्तव की माँ) और संध्या देवी ( आरके श्रीवास्तव की भाभी) ने काफी संघर्षों के बाद आरके श्रीवास्तव को बनाया शिक्षा जगत का हीरो।

जब आरके श्रीवास्तव बचपन मे पांच वर्ष के थे तभी उनके पिता परास नाथ लाल इस दुनिया को छोड़ चले गये। वही जब बड़े हुए तो इकलौते बड़े भाई शिवकुमार श्रीवास्तव भी इस दुनिया को छोड़ चले गए। एक पिता और बड़े भाई के न होने से एक परिवार को कितना तकलीफे आर्थिक और सामाजिक रूप से होता है ये सभी जानते है।

माँ के आशीर्वाद के साथ सबकुछ संभव

आरती देवी ने काफी गरीबी के दौर से गुजरते हुए अपने बेटे रजनी कांत श्रीवास्तव (आरके श्रीवास्तव )को पढ़ा लिखा एक काबिल इंसान बनाया। वही भाभी संध्या देवी ने भी अपने देवर को एक बेटे की तरह प्यार दिया जैसे आरके श्रीवास्तव के बड़े भाई करते थे,आरके श्रीवास्तव बताते है कि माँ के आशिर्वाद के बिना कोई भी उपलब्धि को पाना असंभव।

आरके श्रीवास्तव बताते है कि अपने सफलता में माँ और भाभी के योगदान को शब्दों में बताना सम्भव नही है। इस विश्व के सारे कागज और स्याही भी कम पड़ जाये माँ और भाभी के संघर्षों को व्याख्यान करने में। पति के बिना अकेले दम पर बेटे बेटियो को पालना- पोषणा और उन्हे पढ़ा लिखा काबिल इंसान बनाने का संघर्ष प्रेरणादायक है। बचपन मे गरीबी के दिन ऐसे रहे कि कभी खाली पेट भी बिना भोजन किये सोना पड़ता था, माँ खुद अपने हिस्से की रोटी अपने बेटे बेटियों को दे देती और अपने खाली पेट सो जाती।

लेकिन एक कहावत है कि हर अंधेरे के बाद उजाला जरूर आता है, आरके श्रीवास्तव बचपन से ही पढ़ने में अधिक रुचि रखते , खासकर गणित विषय पर । जब आरके श्रीवास्तव वर्ग 7 में थे तो वे 8 वी के स्टूडेंट्स को गणित का ट्यूशन पढ़ाते थे। अपने वर्ग से हमेशा आगे के प्रश्नों को हल करते , ट्यूशन पढ़ाने से जो भी लोग अपनी इच्छा से जो पैसा देते उससे आरके श्रीवास्तव अपने आगे की पढ़ाई का खर्च निकालते।

जिम्मेदारी कब किसको किस उम्र मे निभाना पड़े। यह सब समय का चक्र ही बता सकता है। हर अंधेरे के बाद उजाला जरूर होता है। पति पारस नाथ लाल के गुजरने के बाद कैसे आरती देवी ने अपने संघर्ष के बल पर अपने बेटे- बेटियो को पढ़ाया लिखाया । बेटियो की शादी भी धूमधाम से शिक्षित परिवार में किया।

आरके श्रीवास्तव बताते है कि पाॅच वर्ष के उम्र मे ही पिता को खोने का गम अभी दिल और मन दोनों से मिटा भी नही था की पिता तुल्य इकलौते बड़े भाई भी इस दुनिया को छोड़ चले गये। पापा का चेहरा तो हमे याद भी नही बस कभी रात को सोते वक्त सोचता हूँ तो धुॅधला धुधला सा दिखाई देता है।माँ ने पिताजी और भैया के गुजरने के बाद भी हमे यह अहसास नही होने दिया कि उसके जीवन पर कितना बड़ा पहाड़ टूटा।पूरे परिवार को वो सारी खुशियाँ देते रही जो एक माध्यम वर्गीय परिवार का जरूरत होता है।

माँ ने पापा की कमियाॅं कभी हमे महसूस होने नही दिया। वे अपने क्षमता से भी बढ़कर हर वह जरूरी आवश्यकता की हमें बस्तुए , काॅपी - किताबे, खिलौने आदि उपलब्ध कराती जो हमारे जरूरत और माॅगे रहता। आरके श्रीवास्तव ने बताया कि माँ के आशिर्वाद के बिना कोई भी उपलब्धि को पाना असंभव, आज मैं जो कुछ भी हु वह माँ और भाभी के आशीर्वाद से है,

आपको बताते चले कि दिन प्रतिदिन अपने ज्ञान और कौशल के बल पर देश मे अपना पहचान बना चुके, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड होल्डर, एवम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड होल्डर मैथमेटिक्स गुरु फेम ने बताया की आज मै जो कुछ भी हूँ तथा अपने साथ जुड़ रहे निरंतर उपलब्धियाॅ ये सब माँ के आशीर्वाद और इनके द्वारा दिये जा रहे निरंतर संस्कारो से हो रहा है।

आपको बताते चले कि आरती देवी और संध्या देवी ने अपने सँघर्ष के बल पर गरीबी को काफी पीछे छोड़ते हुए आरके श्रीवास्तव के सपने को लगाया पंख।

बिहार का मान सम्मान को विश्व पटल पर बढ़ाने वाले मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव है लाखो स्टूडेंट्स के रोल मॉडल है। सैकड़ो गरीब प्रतिभाओ के सपने को आईआईटी,एनआईटी, एनडीए,बीसीईसीई में सफलता दिलाकर लगा चुके है पंख। अमेरिकी विवि डॉक्टरेट की मानद उपाधि से कर चुका है सम्मानित। वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी नाम है दर्ज है।

जिन स्टूडेंट्स के पास कुछ नही वे भी जाते आईआईटी, एनआईटी सहित देश की प्रतिष्टित संस्थाओ में,पिछले कई वर्षों से गरीब बच्चो को गणित पढ़ा रहे आरके श्रीवास्तव ।

प्रतियोगिता का दौर, गिरता शिक्षा स्तर और स्टूडेंट्स की मजबूरी

शायद इन्ही कारणों से कोचिंग संस्थानों का बाजार गर्म है। लेकिन व्यवसीयकता के इस दौर में बिहार के युवा गणितज्ञ मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव के लिए शिक्षा कोई 'बजारू' चीज नही है। वे छात्रों का भविष्य सवारने और कोचिंग संस्थानों को करारा जवाब देने के लिए पिछले 10 वर्षो से निःशुल्क शिक्षा दे रहे है।

आमतौर पर शिक्षा स्तर का गिरावट का सबसे बड़ा खामियाजा इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसे तकनीकी

विषयो की पढ़ाई करने वाले छात्र- छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है। जिन्हें कोचिंग के लिए लाखों रुपये देने पड़ रहे है। पिछले कई वर्षो से आरके श्रीवास्तव रेगुलर क्लासरूम प्रोग्राम के तहत वंडर किड्स प्रोग्राम, निःशुल्क मैथमेटिक्स क्लासेज के अलावा शिविर लगाकर इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे लाखो गरीब स्टूडेंट्स को नाईट क्लासेज प्रारूप के माध्यम से पूरे रात लगातार 12 घण्टे तक गणित के सवाल हल करने की नई -नई तकनीको और बारीकियों की जानकारी दे रहे। आरके श्रीवास्तव के नाईट क्लासेज प्रारूप के तहत लगातार 12 घण्टे निःशुल्क शिक्षा देने हेतु इनका नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड एवम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हो चुका है।

उनका दावा है कि इस शिविर में पढ़ाई करने वाले में से प्रत्येक वर्ष 60% से अधिक छात्र-छात्राएं आईआईटी, एनआईटी, एनडीए सहित तकनीकी प्रवेश परीक्षाओं में सफल होते है। छात्रों के इस नाईट क्लासेज शिविर की ओर आकर्षित होने के चलते हजारो स्टूडेंट्स के रोल मॉडल बन चुके है।

मैथमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव न सिर्फ बिहार में लोकप्रिय है बल्कि अपने गणित पढ़ाने के जादुई तरीके एवम गणितीय शोध के लिए प्रायः सुर्खियों में भी रहते है। क्लासरूम प्रोग्राम में पाइथागोरस प्रमेय को बिना रुके 50 से ज्यादा अलग-अलग तरीको से सिद्ध कर आरके श्रीवास्तव ने गणित विरादरी में काफी वाहवाही लुटा।

इसके लिए इनका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स लंदन में भी दर्ज हो चुका है। ब्रिटिश पार्लियामेंट के सांसद वीरेंद्र शर्मा ने आरके श्रीवास्तव के इस उपलब्धि के लिए इन्हें बधाई और भविष्य के लिए शुभकामनाएं भी दिया।गूगल बॉय कौटिल्य पंडित के गुरु के रूप में भी देश इन्हें जानता है।

फिलहाल वह गरीब छात्रों को निःशुल्क शिक्षा देने में जुटे हुए है। उनके इस प्रयास से प्रभावित होकर अलग- अलग क्षेत्रों के उच्चे ओहदे के कुछ लोगो ने शिविर में अतिथि शिक्षक के बतौर छात्र- छात्राओ को पढ़ाया। बकौल आरके श्रीवास्तव कहते है की गणित की शिक्षा देना मेरा पेशा नही बल्कि शौक है, ब्यवसायिक शिक्षण में छात्र- छात्राओं और शिक्षकों के बीच परस्पर प्रेम और विश्वास का संबंध नही रह पाता।


Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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