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Bihar News: उपेंद्र कुशवाहा ने JDU से अलग होने का किया ऐलान, राष्ट्रीय लोक जनता दल बनाएंगे नई पार्टी

Bihar News: Bihar News: उपेन्द्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से अलग होने का ऐलान कर दिया। अब अपनी पार्टी को बनाकर भाजपा के साथ जाने के आसार लगाए जा रहे हैं।

Krishna Chaudhary
Published on: 20 Feb 2023 2:47 PM IST (Updated on: 20 Feb 2023 3:36 PM IST)
Rashtriya Lok Samata Party leader Upendra Kushwaha
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Rashtriya Lok Samata Party leader Upendra Kushwaha (Photo: Social Media)

Bihar News: बिहार की राजनीति में घमासान छिड़ गया है। उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू छोड़ने की घोषणा कर दी। नई पार्टी का भी ऐलान कर दिया है। दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब से पाला बदलकर महागठबंधन का दामन थामा है, तब से उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में घमासान छिड़ा हुआ है। जदयू के नेता से लेकर कार्यकर्ताओं का एक वर्ग पार्टी के राजद में विलय के अटकलों से परेशान है। जदयू के ऐसे नाराज नेताओं की आवाज बने हैं, पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा। कुशवाहा पिछले कुछ समय से मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।

रविवार को उन्होंने राजधानी पटना में असंतुष्ट नेताओं की दो दिवसीय बैठक बुलाई थी, जिसका आज दूसरा दिन है। ऐसे में माना जा रहा थी कि उपेंद्र कुशवाहा सोमवार को कोई बड़ा सियासी ऐलान कर सकते हैं। उन्होंने ऐसा कर दिया। नीतिश से अलग होने का ऐलान कर दिया है। पटना स्थित सिन्हा लाइब्रेरी में दो दिवसीय बैठक के समापन के बाद मौर्या होटल में वो प्रेस कांफ्रेंस किया। कुशवाहा की मीटिंग में जदयू के चार प्रदेश उपाध्यक्ष और एमएलसी समेत दर्जनों नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे।

नीतीश को भगाने की हो रही साजिश

बैठक के पहले दिन यानी रविवार को जदयू के कुछ नेताओं ने मुख्यमंत्री के आसपास मौजूद नेताओं पर जमकर निशाना साधा। प्रदेश उपाध्यक्ष जितेंद्र नाथ ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने स्वविवेक से पार्टी नहीं चला पा रहे हैं। वो आज बेबस हैं। उनकी पीएम बनने की भी मंशा नहीं है। उन्हें बिहार की राजनीति से भगाने की साजिश हो रही है फिर सत्ता उनको सौंप दी जाएगी जिनके खिलाफ 1994 में बगावत हुई थी।

राष्ट्रीय लोक जनता दल होगी नई पार्टी

जदयू के विधान परिषद सदस्य उपेंद्र कुशवाहा ने जब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बोलना शुरू किया है, उनकी पार्टी से विदाई तय मानी जानी लगी। सीएम नीतीश भी कई बार कह चुके हैं, जिसे जहां जाना है जाए। उनके इस बयान को कुशवाहा से जोड़कर देखा गया। बीजेपी नेताओं से दिल्ली में मुलाकात के बाद उपेंद्र कुशवाहा की बीजेपी में जाने की अटकलों ने जोर पकड़ लिया था।

हालांकि, वो कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि बीजेपी में वो कभी शामिल नहीं होंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि कुशवाहा फिर से अपनी पार्टी रालोजद को पुनर्जीवित Rashtriya Lok Janta Party करेंगे। जिसका उन्होंने 2021 में जदयू में शामिल होने के दौरान विलय कर दिया था। लेकिन अंदर-खाने उन्होंने कभी भी पार्टी को पूरी तरह से निष्क्रिय नहीं होने दिया। जिसे लेकर जदयू के कई नेताओं ने उनपर पूर्व में सवाल भी उठाए थे।

माना जा रहा है कि राष्ट्रीय लोक जनता पार्टी (रालोजपा) के जरिए कुशवारा एकबार बिहार की राजनीति में नई पारी की शुरूआत करेंगे। 2014 की तरह एकबार फिर उनका बीजेपी के साथ गठबंधन भी हो सकता है। बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकार पटना में उपेंद्र कुशवाहा की आज होने वाली प्रेस कांफ्रेंस को इस लिहाज से काफी अहम मानते हैं।

उपेंद्र कुशवाहा का सियासी सफर

उपेंद्र कुशावाह के सियासी सफर की शुरूआत 1985 में लोकदल से शुरू हुई थी। 1985 से 1993 तक वह युवा लोकदल के महासचिव बने रहे। इसके बाद उन्होंने नीतीश कुमार और जॉर्ज फर्नांडीस की समता पार्टी में महासचिव का पद संभाला। साल 2000 में उन्हें बिहार विधानसभा में समता पार्टी का नेता बनाया गया।

2007 में पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल होने के आरोप में उन्हें नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड से निकला दिया गया। 2009 में कुशवाहा ने अपनी अलग पार्टी राष्ट्रीय समता पार्टी बना ली। हालांकि, उसी साल उन्होंने इसका विलय जदयू में कर दिया था।

2013 में एकबार फिर दोनों नेताओं के बीच खटपट हो गई। उपेंद्र कुशवाहा में बिहार में नीतीश मॉडल को फेल करार देते हुए जदयू छोड़ दी। उन्होंने 3 मार्च 2013 को राष्ट्रीय लोक जनता पार्टी (आरएलएनपी) का गठन किया। अगले साल यानी 2014 में बीजेपी के साथ मिलकर बिहार में तीन सीटों चुनाव लड़े और तीनों जीते। लोकसभा सांसद बने कुशवाह को मोदी मंत्रिमंडल में मंत्री बनाया गया। अगले साल तीन सांसदों वाली उनकी पार्टी दो फाड़ हो गई। जहानाबाद से रालोसपा सांसद अरूण कुमार ने अपना अलग गुट बना लिया।

नीतीश कुमार के फिर से एनडीए में आने के बाद से उपेंद्र कुशवाहा खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे और उनकी बीजेपी से दूरी बढ़ने लगी। अंततः उन्होंने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देकर एनडीए छोड़ दिया। 2019 का लोकसभा चुनाव वे कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए के साथ रहे लेकिन एक सीट भी नहीं जीत पाए।

इसी तरह 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बसपा और ओवैसी की पार्टी के साथ मिलकर डेमोक्रिटिक सेकुलर फ्रंट बनाया था, जो बुरी तरह चुनाव हारी। अगले साल यानी 2021 में कुशवाहा एकबार फिर नीतीश कुमार के साथ हो लिए। नीतीश ने उन्हें जदयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया और पार्टी के कोटे से विधान परिषद भी भेजा। उन दिनों माना जा रहा था कि कुशवाहा संभवतः जदयू में नीतीश के उत्तराधिकारी होंगे। लेकिन ये बात सच्चाई से कोसों दूर निकली।



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Prashant Dixit

Prashant Dixit

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