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ललन सिंह की ताजपोशी से नीतीश ने कई निशाने साधे, दिया बड़ा सियासी संदेश

JDU New National Pesident: ललन सिंह को अध्यक्ष बनवाकर नीतीश ने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है। ललन सिंह को नीतीश का काफी करीबी माना जाता है और वे कई नाजुक मौकों पर नीतीश की मदद करने में हमेशा आगे रहे हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shreya
Published on: 1 Aug 2021 6:01 AM GMT
ललन सिंह की ताजपोशी से नीतीश ने कई निशाने साधे, दिया बड़ा सियासी संदेश
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नीतीश कुमार संग ललन सिंह (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

JDU New National Pesident: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को यूं ही सियासत का माहिर खिलाड़ी नहीं कहा जाता। मोदी मंत्रिमंडल (Modi Cabinet Expansion) में फेरबदल के दौरान केंद्रीय मंत्री बने आरसीपी सिंह (RCP Singh) की जगह राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) को जदयू का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। ललन सिंह के अध्यक्ष चुने जाने में सबसे बड़ी भूमिका मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ही रही।

ललन सिंह को अध्यक्ष बनवाकर नीतीश ने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है। ललन सिंह को नीतीश का काफी करीबी माना जाता है और वे कई नाजुक मौकों पर नीतीश की मदद करने में हमेशा आगे रहे हैं।

नीतीश एक बार फिर अपने सबसे करीबी और संकटमोचक रहे लल्लन सिंह को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनवाने में कामयाब रहे हैं। ललन सिंह की ताजपोशी के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि जदयू सिर्फ पिछड़ों और अति पिछड़ों की ही पार्टी नहीं है। जरूरत पड़ने पर उसे सवर्णों को भी बड़ा मौका देने में कोई परहेज नहीं है।

लवकुश समीकरण साधने वाले नीतीश ने सवर्णों को भी साधने की कोशिश की है। ललन को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने के बाद उन्हें एक बड़ी सियासी जिम्मेदारी सौंपकर नीतीश ने अपने सबसे बड़े करीबी को एक बड़ा इनाम देने की भी कोशिश की है।

ललन सिंह (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मंत्री न बनने की नाराजगी को किया दूर

केंद्रीय मंत्री के रूप में आरसीपी सिंह के शपथ लेने के बाद ही से ही जदयू में नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने चुने जाने की सुगबुगाहट काफी तेज थी। मोदी सरकार में फेरबदल के दौरान जदयू कोटे से दो नेताओं आरसीपी सिंह और ललन सिंह को मंत्री बनाए जाने की चर्चा थी मगर आखिरकार सिर्फ आरसीपी सिंह को ही मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। इसे ललन सिंह के लिए बड़े झटके के रूप में भी देखा जा रहा था।

सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि ललन सिंह इसे लेकर भीतर ही भीतर नाराज भी थे। हालांकि ललन सिंह ने किसी भी प्रकार की नाराजगी की बात से इनकार किया था। अब नीतीश कुमार ने ललन सिंह को अध्यक्ष बनवा कर उनकी नाराजगी दूर करने के साथ ही स्वर्ण मतदाताओं पर भी पार्टी की पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश की है। नीतीश ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि ललन सिंह को कभी पार्टी में दरकिनार नहीं किया जा सकता और उनका पार्टी में अलग ही महत्व है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

नीतीश कुमार के सबसे विश्वासपात्र हैं ललन

जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की शनिवार को नई दिल्ली में हुई बैठक में ललन सिंह को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए नीतीश विशेष रूप से पटना से दिल्ली पहुंचे थे। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार की मौजूदगी में ही आरसीपी सिंह ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया और फिर सभी नेताओं ने ललन सिंह को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने पर अपनी सहमति जताई।

आरसीपी सिंह ने ही ललन को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने का प्रस्ताव रखा जिसका बैठक में मौजूद सभी नेताओं ने समर्थन किया। ललन सिंह को नीतीश कुमार का सबसे करीबी और विश्वासपात्र माना जाता है और वे जदयू की स्थापना के समय से ही नीतीश कुमार के साथ मिलकर पार्टी को मजबूत बनाने की कोशिश करते रहे हैं।

संकट के मौकों पर हमेशा नीतीश के मददगार

मौजूदा समय में ललन सिंह मुंगेर लोकसभा सीट से सांसद हैं और वे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह संकट के कई मौकों पर नीतीश कुमार की मदद करके उन्हें संकट पर जीत हासिल करने में कामयाब भी रहे हैं। वे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में हिस्सा ले चुके हैं और नाजुक मौकों पर नीतीश की खुलकर मदद करते रहे हैं।

नीतीश कुमार के खिलाफ हमलावर रवैया अपनाने वाले चिराग पासवान को सियासी रूप से कमजोर बनाने में भी ललन सिंह की बड़ी भूमिका बताई जाती है। जानकारों के मुताबिक नीतीश कुमार ने ऑपरेशन लोजपा के काम में ललन सिंह को ही लगा रखा था। ललन सिंह ने लोजपा में टूट के लिए पशुपति कुमार पारस और अन्य सांसदों से पटना और दिल्ली में बातचीत की थी।

इस बातचीत के बाद पारस की अगुवाई में पांच सांसदों ने अलग गुट बना लिया जिसके बाद चिराग पासवान अलग-थलग और अकेले पड़ चुके हैं। ललन सिंह चारा घोटाले को लेकर भी काफी मुखर रहे और इस घोटाले की बाद में राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी।

ललन सिंह (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

लोकसभा में नए नेता का होगा चुनाव

ललन सिंह के अध्यक्ष बनाए जाने के बाद अब यह तय माना जा रहा है कि वे जल्द ही लोकसभा में पार्टी के संसदीय दल के नेता के पद से इस्तीफा दे देंगे। दरअसल जदयू में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत अपनाया जाता है और इसी कारण आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद उनकी जगह ललन सिंह को अध्यक्ष चुना गया है। आरसीपी सिंह के अध्यक्ष चुने जाने के बाद उन्हें भी राज्यसभा में संसदीय दल का नेता पद छोड़ना पड़ा था। इसलिए अब माना जा रहा है कि जल्द ही जदयू की ओर से लोकसभा में संसदीय दल के नेता के रूप में ललन सिंह के स्थान पर किसी और को मौका दिया जाएगा।

जदयू में नहीं होगी किसी की उपेक्षा

अध्यक्ष चुने जाने के बाद ललन सिंह ने साफ कर दिया है कि पार्टी में किसी की उपेक्षा नहीं की जाएगी और सबकी सहमति से पार्टी को चलाने की कोशिश की जाएगी। उनका कहना है कि वे पार्टी में कोई भी बड़ा फैसला लेने से पूर्व अन्य नेताओं से चर्चा करेंगे। उन्होंने बिहार के गांवों तक पार्टी का मजबूत जनाधार बनाने का भी एलान किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में बहुत अच्छा काम किया है और सरकार के अच्छे कामों को जदयू कार्यकर्ता आम लोगों तक पहुंचाने की पूरी कोशिश करेंगे। पार्टी में सभी नेताओं को उचित सम्मान मिलेगा और किसी की राय की अनदेखी की कोशिश नहीं की जाएगी।

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Shreya

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