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Bihar Politics: बिहार महागठबंधन में संकट गहराया, नीतीश कुमार का सख्त तेवर, अहम बैठक में राजद कोटे के मंत्रियों को नहीं बुलाया
Bihar Politics: चंद्रशेखर अभी तक अपनी बात पर अड़े हुए हैं और उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया है। राजद नेताओं की ओर से उनकी बात का समर्थन भी किया जा रहा है।
Bihar Politics: बिहार में रामचरितमानस पर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विवादित बयान के बाद जदयू और राजद के बीच तनातनी लगातार बढ़ती जा रही है। जदयू नेताओं चंद्रशेखर के बयान पर आपत्ति जताई है और मांग की है कि उन्हें अपने विवादित बयान को लेकर माफी मांगनी चाहिए। दूसरी ओर चंद्रशेखर अभी तक अपनी बात पर अड़े हुए हैं और उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया है। राजद नेताओं की ओर से उनकी बात का समर्थन भी किया जा रहा है। महागठबंधन के दो प्रमुख दलों में इस मुद्दे को लेकर तनातनी बढ़ने के बाद सियासी हलकों में तरह-तरह की चर्चाएं की जा रही हैं।
इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से बुलाई गई एक महत्वपूर्ण बैठक में राजद मंत्रियों को न बुलाए जाने से महागठबंधन में संकट गहराने के आसार दिख रहे हैं। बिहार के मौजूदा सियासी हालात को देखते हुए जानकारों का मानना है कि महागठबंधन में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है।
राजद कोटे के दोनों मंत्रियों को नहीं बुलाया
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को धान खरीद की समीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बैठक बुलाई थी। राज्य में कृषि और सहकारिता मंत्रालय राजद मंत्रियों के पास है मगर राजद कोटे के दोनों मंत्रियों को इस बैठक में नहीं बुलाया गया। धान खरीद का मुद्दा राज्य के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत और सहकारिता मंत्री सुरेंद्र प्रसाद यादव के मंत्रालय से जुड़ा हुआ था मगर नीतीश ने राजद कोटे के इन दोनों मंत्रियों को इस महत्वपूर्ण बैठक में नहीं बुलाया। धान खरीद का मुद्दा किसानों से जुड़ा हुआ है मगर इस बैठक में राजद मंत्रियों को न बुलाए जाने से साफ हो गया है कि महागठबंधन में तनातनी बढ़ती जा रही है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बैठक में राजद कोटे के मंत्रियों को तो नहीं बुलाया गया मगर दोनों मंत्रालयों के प्रधान सचिव इस बैठक में मौजूद थे। नीतीश कुमार की इस महत्वपूर्ण बैठक में कृषि विभाग के प्रधान सचिव एन सरवन और सहकारिता विभाग की प्रधान सचिव वंदना प्रेयसी ने हिस्सा लिया। हालांकि राजद कोटे के दोनों मंत्रियों को इस बैठक में क्यों नहीं बुलाया गया है, इसे लेकर किसी ने कोई बयान नहीं दिया है।
तेजस्वी भी बैठक से रहे नदारद
मजे की बात यह है कि इस महत्वपूर्ण बैठक में राज्य के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी मौजूद नहीं थे। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि तेजस्वी को इस बैठक में बुलाया गया था या नहीं। राज्य में महागठबंधन की सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से बुलाई जाने वाली समीक्षा बैठकों में अभी तक तेजस्वी जरूर मौजूद रहा करते थे।
तेजस्वी यादव और राजद कोटे के मंत्रियों की अनुपस्थिति के बाद राज्य में सियासी चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है। समीक्षा बैठक में राजद कोटे के मंत्रियों को न बुलाए जाने के कदम को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किसानों से जुड़ी योजनाओं को प्रदेश में सही तरीके से लागू करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही उन्होंने धान खरीद को लेकर भी जरूरी दिशा निर्देश दिए।
शिक्षा मंत्री माफी मांगने को तैयार नहीं
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने पिछले दिनों रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया था। उनका कहना था कि रामचरितमानस में लिखा गया है कि शिक्षा ग्रहण करने के बाद नीच जाति के लोग सांप की तरह जहरीले हो जाते हैं। उनका कहना था कि यह समाज में नफरत को पैदा करने वाला ग्रंथ है। उनका कहना था कि मनुस्मृति में भी समाज के 85 फीसदी तबके को गालियां दी गई हैं। शिक्षा मंत्री के इस बयान पर पूरे देश में तीखी प्रतिक्रिया जताई गई थी। शिक्षा मंत्री ने अपने इस बयान पर माफी मांगने से इनकार कर दिया है।
शिक्षा मंत्री के इस बयान के बाद बिहार की सियासत भी गरमाई हुई है। जदयू नेताओं की ओर से लगातार इस मुद्दे पर शिक्षा मंत्री से माफी मांगने की मांग की जा रही है। दूसरी ओर राजद नेता चंद्रशेखर की तरफदारी में जुटे हुए हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि इस मुद्दे को लेकर महागठबंधन में बढ़ती तकरार आगे चलकर और गंभीर हो सकती है।