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Bihar Politics: संसद में मनोज झा की ठाकुर कविता पर सियासी बवाल,आनंद मोहन बोले- मैं सदन में होता तो उनकी जीभ काटकर उछाल देता
Bihar Politics: बाहुबली नेता और ठाकुरों पर मजबूत पकड़ रखने वाले आनंद मोहन और उनके बेटे राजद विधायक चेतन आनंद ने मनोज झा के बयान पर तीखी आपत्ति जताते हुए उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
Bihar Politics: बिहार से राजद सांसद मनोज झा के राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान ठाकुरों के संबंध में सुनाई गई कविता पर बड़ा सियासी बवाल मच गया है। मनोज झा के बयान को लेकर लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद दोफाड़ नजर आ रही है। बाहुबली नेता और ठाकुरों पर मजबूत पकड़ रखने वाले आनंद मोहन और उनके बेटे राजद विधायक चेतन आनंद ने मनोज झा के बयान पर तीखी आपत्ति जताते हुए उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आनंद मोहन ने तो यहां तक कह डाला कि यदि मैं सदन में मौजूद रहता तो मनोज झा की जीभ काट कर आसन की ओर उछाल देता।
मजे की बात यह है कि मनोज झा की ओर से दिए गए भाषण के बाद राजद की ओर से उनके भाषण को बहुत शानदार और जानदार बताया गया था। भाजपा के राजपूत विधायक नीरज बबलू ने भी मनोज झा के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। उन्होंने भी कहा कि अगर मनोज झा मेरे सामने यह बयान देते तो मैं उन्हें पटक कर उनका मुंह तोड़ देता। जदयू ने भी मनोज झा के इस बयान का तीखा विरोध करते हुए कहा कि उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।
ठाकुरों पर अभद्र टिप्पणी बर्दाश्त नहीं
आनंद मोहन के विधायक बेटे चेतन आनंद ने मनोज झा की कविता पर तीखी आपत्ति जताते हुए कहा कि वे लोग ठाकुर हैं और ठाकुर सबको साथ लेकर चलता रहा है। उन्होंने इस बाबत फेसबुक पर अपनी टिप्पणी में कहा कि
इतिहास में सबसे अधिक बलिदान हमारा है! समाजवाद में किसी एक जाति को टारगेट करना समाजवाद के नाम पर दोगलामेपन के अलावा कुछ नही है। जब हम दूसरों के बारे में गलत नही सुन सकते तो अपने (ठाकुरों) पर अभद्र टिप्पणी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने मनोज झा से एक तीखा सवाल भी पूछा है।
अपने बयान के लिए मनोज झा माफी मांगें
उन्होंने मनोज झा से सवाल किया कि क्या उन्होंने कभी ब्राह्मणों को लेकर भी ऐसी कविता सुनाई है। उन्होंने ब्राह्मणों के खिलाफ कभी कोई कविता नहीं पढ़ी क्योंकि उन्हें पता है कि ब्राह्मण फिर उन्हें जीने नहीं देंगे। संसद में यह कविता सुनाने के लिए मनोज झा को जनता से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम लोग चूड़ी पहनकर नहीं बैठे हैं और हम मनोज झा के इस बयान का तीखा विरोध करेंगे।
उनकी जीभ काटकर आसन की ओर उछाल देता
बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन ने भी अपने बेटे की ओर से कही गई बातों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि मनोज झा के भाषण के दौरान यदि मैं राज्यसभा में मौजूद रहता तो उनकी जीभ काटकर आसन की ओर उछाल देता,सभापति के पास। उन्होंने कहा कि यह अपमान किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि हम जिंदा कौम के लोग हैं और इसे सहन नहीं करेंगे।
उन्होंने मनोज झा से सवाल किया गया कि यदि आप इतने बड़े समाजवादी हैं तो अपने नाम के साथ झा क्यों लगाते हैं। जिस सरनेम की आप इतनी आलोचना करते हैं, पहले आप उसे तो छोड़िए। आनंद मोहन ने मनोज झा टर निशाना साधते हुए कहा कि जो यह बयान देते हैं कि अपने अंदर के ठाकुर को मारने की जरूरत है, मैं उनसे कहूंगा कि पहले अपने अंदर के ब्राह्मण को तो मारने का काम करें।
मेरे सामने बयान देते तो पटककर मुंह तोड़ देता
भाजपा के राजपूत विधायक नीरज बबलू ने कहा कि ठाकुरों ने देश की रक्षा करने का बहुत बड़ा काम किया है। यदि ठाकुर नहीं होते तो देश का नाम मुगलिस्तान होता। राजद के कहने पर मनोज झा की ओर से इस तरह का बयान दिया गया है। यदि वे मेरे सामने इस तरह का बयान देते तो उन्हें मैं उन्हें पटक कर उनका मुंह तोड़ देता।
जदयू ने भी किया तीखा विरोध
जदयू की ओर से भी मनोज झा की ओर से संसद में दिए गए बयान का तीखा विरोध किया गया है। जदयू प्रवक्ता सुनील कुमार सिंह ने कहा कि उनका बयान कभी समाजवाद नहीं माना जा सकता। उन्होंने पार्टी के मंच पर यह मुद्दा उठाने की बात भी कहीं।
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि जाति के संबंध में की गई इस टिप्पणी को लेकर मनोज झा को सभी के सामने माफी मांगनी चाहिए। जदयू नेता ने कहा कि जहां तक अंदर के ठाकुर को मारने की बात है तो सबसे पहले अपने भीतर के ब्राह्मण को मारो। उन्होंने मनोज झा के सामाजिक बहिष्कार का भी आह्वान किया।
संसद में इस कविता पर मचा बवाल
महिला आरक्षण बिल पर सदन में अपनी बात रखते हुए मनोज झा ने कहा था कि इस बिल को महिलाओं के लिए दया भाव की तरह पेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दया कभी अधिकार की श्रेणी में नहीं आ सकती। इसी सिलसिले में उन्होंने ओमप्रकाश वाल्मीकि की एक चर्चित कविता भी पढ़ी थी। इस कविता के जरिए उन्होंने सभी से अपने अंदर के ठाकुरों को मारने का आह्वान किया था। इसी कविता को लेकर अब सियासी बवाल मच गया है।
मनोज झा की ओर से पढ़ी गई कविता की पंक्तियां इस प्रकार हैं-
"चूल्हा मिट्टी का, मिट्टी तालाब की, तालाब ठाकुर का.
भूख रोटी की, रोटी बाजरे की, बाजरा खेत का, खेत ठाकुर का।
बैल ठाकुर का, हल ठाकुर का, हल की मूठ पर हथेली अपनी, फसल ठाकुर की।
कुआं ठाकुर का, पानी ठाकुर का, खेत-खलिहान ठाकुर के, गली-मोहल्ले ठाकुर के फिर अपना क्या?