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साहित्यकार नीलोत्पल मृणाल को लेकर बोले मैथेमैटिक्स गुरु, ऐसे प्रतिभावान सदियों में एक बार जन्म लेते हैं
Mathematics Guru RK Srivastava: आरके श्रीवास्तव ने बताया की नीलोत्पल की लेखनी ऐसी है की शुरू से आख़िर तक पाठकों को बांधे रखता है,
Mathematics Guru RK Srivastava: देश के चर्चित मैथेमैटिक्स गुरु (Famous Mathematics Guru ) ने कहा की नीलोत्पल मृणाल जैसे प्रतिभा सदियों में एक बार जन्म लेते है, आरके श्रीवास्तव (RK Srivastava) ने बताया की नीलोत्पल मृणाल (nilotpal mrinal ki kavita) की प्रत्येक कविता समाज को नई दिशा देता है उनके द्वारा गाये गीत को सुनकर आंख से आंसू आ जाते हैं क्योंकि आज के भाग दौड़ की जिन्दगी से कही बेहतर गाँव के परिवेश में बिताये बचपन के दिन थे।
आरके श्रीवास्तव ने बताया की नीलोत्पल की लेखनी ऐसी है की शुरू से आख़िर तक पाठकों को बांधे रखता है,नीलोत्पल के प्रत्येक कविता गांव-कस्बों में रहते किरदारों की कहानी , वहां की व्यवस्था की कहानी, जीवन के सार की कहानी होता है जो दिल को छू लेता है। सार यूं कि सामाजिक व्यवस्थाओं पर व्यंग्य से लेकर जीवन के अध्यात्म तक का यह पूरा पैकेज उनके गीत में होता है। इनके पात्र हंसाते हैं लेकिन उनकी व्यंगात्मक शैली वर्तमान पर चोट भी करती है। किसी सीरियल की तरह दिमाग़ में दृश्य बनते जाते हैं और एपिसोड की तरह पलटते पन्नों के साथ दिलचस्पी बढ़ती जाती है।
आरके श्रीवास्तव ने नीलोत्पल मृणाल के कई कविता का जिक्र भी किया जो हमें याद दिलाता है और सिखाता है की हमें अपने सभ्यता संस्कृति को बचा कर रखना है। आप सभी को उनके सारे कविता सुनना चाहिये जो लोगो को जागरूक कर रहे है, एक कविता आप सभी के समक्ष प्रस्तूत है----
#"थोड़ा सा नदी का पानी, मुट्ठी भर रेत रख लो,
धान-गेहूं-सरसों वाले, हरे-हरे खेत रख लो।
रख लो एक बैल भईया, हल से बांध के,
दुअरे पर गाय खड़ी हो, चारा खाए सान के।
पूछेगा जो कोई तो उसको बताएंगे,
आने वाली पीढ़ियों को चल के दिखाएंगे,
कि दुनिया ऐसी हुआ करती थी।
स्कूल के पीछे वाला अमरुद का पेड़ रख लो,
पोखर के पीढ़ खड़ा वो खट्टे-मीठे बेर रख लो।
एक-दो बगिया रखलो, बगिया में फूल रे,
तितली और भौंरे जहां खेलें मिलजुल रे।
पूछेगा जो कोई तो उसको बताएंगे,
आने वाली पीढ़ियों को चल के दिखाएंगे,
कि दुनिया ऐसी हुआ करती थी।
माटी का चूल्हा रखलो, फूस की चुहानी रे,
मिट्टी के एक घड़े में ठंडा-ठंडा पानी रे।
बैठ के जमीन जहाँ हो खाने की छूट रे,
तावे से रोटी लेते गरम-गरम लूट रे।
दादी-नानी के खिस्से, बाबा की डांट रखना,
आंगन में लगने वाली बुढ़िया की खाट रखना।
सोफे तुम लाख लगा लो, बाबा की चौकी रखना,
उसपर एक पतला बिछौना, लोटा और पानी रखना।
रखना वही एक लालटेन, लालटेन में तेल रे,
रात करे जहाँ चाँदनी रौशनी से खेल रे।
पूछेगा जो कोई तो उसको बताएंगे,
आने वाली पीढ़ियों को चल के दिखाएंगे,
कि दुनिया ऐसी हुआ करती थी।
गाँव में एक मेला रखना, सर्कस और खेला रखना,
चाट और पकौड़ी वाले एक-दो ठेला रखना।
याद रखना झालमुड़ी का मर्चा तूफानी रे,
गुपचुप में पीने वाला इमली का पानी रे।
होली के रंग बचा लो, दिवाली के दीप रे,
भोर की अजानें रखना, छठ वाले गीत रे।
भूल नहीं जाना अपने लोक-व्यवहार रे,
पुरखों से मिले हुए सब तीज-त्यौहार रे।
पूछेगा जो कोई तो उसको बतायेंगे,
आने वाली पीढ़ियों को चल के दिखायेंगे,
कि दुनिया ऐसी हुआ करती थी।"
कौन है आरके श्रीवास्तव जिसने नीलोत्पल मृणाल को बताया आधुनिक युग का प्रेमचंद---
#आरके श्रीवास्तव:---
1 रू गुरुदक्षिणा वाले आरके श्रीवास्तव ( रजनी कांत श्रीवास्तव) बिहार के जाने-माने शिक्षक एवं विद्वान हैं, मैथमेटिक्स गुरु के नाम से मशहूर आरके श्रीवास्तव का जन्म बिहार (RK Srivastava bihar ke Mathematics Guru) राज्य के रोहतास जिले के बिक्रमगंज गांव में हुआ, अपने शुरुआती क्लासेज आरके श्रीवास्तव ने अपने मातृभूमि बिक्रमगंज से पढ़ाना प्रारम्भ किया ,आरके श्रीवास्तव ने अपने गांव के असहाय निर्धन सैकड़ो स्टूडेंट्स को निशुल्क शिक्षा देकर आईआईटी, एनआईटी , बीसीईसीई में सफलता दिलाया, आज ये सैकड़ो निर्धन स्टूडेंट्स अपने गरीबी को काफी पीछे छोड़ अपने सपने को पंख लगा रहे हैं। न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया के इंजीनियरिंग और अन्य प्रतियोगी परीक्षा देने वाले स्टुडेंट्स के बीच एक चर्चित नाम है 1 रूपया में पढ़ाने वाला शिक्षक। कोरोना काल में जब सारे शैक्षणिक संस्थाए बंद था तब आरके श्रीवास्तव ने ऑनलाइन लगातार पूरी रात भार 8 से 12 घंटे लगातार क्लास लेकर स्टूडेंट्स के लिये मददगार सावित हुये, इनके मेहनत को पुरे दुनिया ने सलाम किया।
एक रुपया में पढ़ाते हैं आरके श्रीवास्तव, 559 गरीब स्टूडेंट्स को बना चुके हैं इंजीनियर
बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले आरके श्रीवास्तव देश में मैथेमैटिक्स गुरु के नाम से मशहूर हैं। खेल-खेल में जादुई तरीके से गणित पढ़ाने का उनका तरीका लाजवाब है। कबाड़ की जुगाड़ से प्रैक्टिकल कर गणित सिखाते हैं। आर्थिक रूप से सैकड़ों गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई सहित देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में पहुँचाकर उनके सपने को पंख लगा चुके हैं। इनके द्वारा चलाया जा रहा नाइट क्लासेज अभियान अद्भुत, अकल्पनीय है। स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी के प्रति जागरूक करने लिये 450 क्लास से अधिक बार पूरी रात लगातार 12 घंटे गणित पढ़ा चुके हैं। अन्य राज्यो के शैक्षणिक संस्थाएँ भी इन्हें गेस्ट फैकल्टी के रूप में अपने यहा शिक्षा देने के लिये बुलाते है। इनकी शैक्षणिक कार्यशैली की खबरें देश के प्रतिष्ठित अखबारों में छप चुकी हैं, वर्ल्ड रिकॉर्डस में भी नाम दर्ज है, विश्व प्रसिद्ध गूगल ब्वाय कौटिल्य के गुरु के रूप में भी देश इन्हें जानता है।