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Mathematics Guru RK Srivastava: आरके श्रीवास्तव ने शेयर की खाली क्लास रूम की तस्वीर, ऑनलाइन शिक्षा पर कही बड़ी बात

बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले आरके श्रीवास्तव देश में मैथेमैटिक्स गुरु के नाम से मशहूर हैं।

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Newstrack NetworkPublished By Dharmendra Singh
Published on: 28 May 2021 8:23 PM GMT (Updated on: 28 May 2021 8:25 PM GMT)
RK Srivastava
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 आरके श्रीवास्तव और खाली क्लारूम (काॅन्सेप्ट फोटो: सोशल मीडिया)

Mathematics Guru RK Srivastava: बिहार के प्रसिद्ध शिक्षक आरके श्रीवास्तव ने खाली क्लास रूम की एक तस्वीर शेयर कर कहा कि 1 वर्ष से अधिक हो गये रियल शिक्षा की दुनिया में पढ़ाते हुये, क्या कभी ऑनलाइन शिक्षा इसकी बराबरी कर पायेगा। आरके श्रीवास्तव ने कहा कि जब तक यह धरती रहेगी कभी भी ऑनलाइन शिक्षा, क्लास रूम( रियल शिक्षा) में स्टूडेंट्स के साथ बेहतर महौल में दिये जा रहे शिक्षा की बराबरी नहीं कर पाएगी। आइए जानते हैं आर के श्रीवास्तव ने आखिर ऐसा क्यों कहा?

आरके श्रीवास्तव ने बताया कि माना कि कोरोना एक कारण है जिसके चलते रियल शिक्षा पिछ्ले 1 वर्ष से अधिक समय से बच्चों को नहीं मिल पा रही है क्योंकि सारे शैक्षणिक संस्थाएं बंद पड़ी हैं। लेकिव जिस प्रकार से शिक्षा का व्यवसायीकरण पहले से ही हो चूका है अब ऑनलाइन शिक्षा भी आपके आदतों में शुमार हो जायेगी जैसे सोशल मीडिया ने नई पीढ़ी को अपने चंगुल में कब ले लिया किसी को पता भी नहीं चला, आज सोशल मीडिया के कई फायदे तो हैं जिससे कई लोग बुलंदियो तक पहुंच रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ आज की नई पीढ़ी की संख्या इतनी अधिक हो गई है जो प्रतिदिन 10 से 15 घंटा सोशल प्लेटफॉर्म पर बेकार समय बर्बाद कर रहे हैं, ऐसा बहुत सारे अभिभावक अपने बच्चों को दिन भर बेकार समय बर्बाद करते अपनी आंखो से देखते हैं परन्तु कुछ कर नहीं पाते।
वैसे ही ऑनलाइन शिक्षा भी सोशल मीडिया की एक लत बनकर रह जाएगा। इसके कुछ फायदे तो जरूर हैं परन्तु दूरगामी नहीं है, इसका कारण है "क्यू और कैसे" की शिक्षा बिल्कुल विलुप्त हो जायेगा। शिक्षक के साथ क्लासरुम में स्टूडेंट्स किसी टॉपिक पर जब तर्क करते हैं तो वह आई कॉन्टैक्ट एक अलग अहसास शिष्य और गुरु का होता है, उससे जो प्रश्न का उत्तर निकलता है तो उसका एहसास अलग होता है। पहले जब शिक्षक होम वर्क देते थे तो स्टूडेंट्स रातभर सोच कर उसका हल निकालने की कोशिश करता था, यदि उससे उस प्रश्न का हल न निकले तो वह अपने सीनियर के पास जाकर उस प्रश्न पर तर्क कर उसका हल निकालता था, जिससे उससे मस्तिक का विकास होता था और क्लास में सभी को पता चलता था कि ये स्टूडेंट्स काफी पढ़ने में तेज हैं इसने आज होमवर्क सही बनाया है। परन्तु आज जब शिक्षक होमवर्क देते हैं तो वैसे बहुत सारे स्टूडेंट्स बिना उस प्रश्न पर खुद कोशिश किये ही डायरेक्ट गूगल पर उस प्रश्न को टाइप करते हैं और उस प्रश्न के हल को गूगल से छापकर अगले दिन शिक्षक को दिखा देते हैं। अब आप ही सोचिये की ऐसी मानसिकता से कभी उसके मस्तिक का विकास नहीं हो पायेगा, लेकिन अब सोशल मीडिया भी शिक्षा को ऐसे जकड़ लिया है की हम कुछ कर भी नहीं सकते, हो सकता है गूगल पर प्रश्न टाइप कर शिक्षक को होमवर्क दिखाने वाला आपका बेटा बोर्ड एग्ज़ाम पास कर जाये, परन्तु वह किस लेवल का इंटेलीजेंट है यह उससे बेहतर कौन जान सकता है।
मैं यह नहीं कहता कि ऑनलाइन शिक्षा बिल्कुल खराब है, रियल शिक्षा के अलावा बच्चे चाहे तो इसका उपयोग कर सकते हैं परन्तु 100% ऑनलाइन शिक्षा पर आप डिपेंड हो जायें यह ना उस स्टूडेंट्स के लिये बेहतर होगा ना ही उसके भविष्य के लिये, परन्तु ऑनलाइन शिक्षा कभी भी रियल शिक्षा का जगह नहीं ले सकती। यदि यह व्यवसाय के कारण पूरी तरह रियल शिक्षा का जगह कभी भविष्य में लेती है तो दुनिया से बड़े बड़े रिसर्च होना बंद हो जायेगा, क्योंकि जब दिमाग ही आपका विकसीत नहीं होगा तो बड़े रिसर्च स्टूडेंट्स कहा से दुनिया को दे पायेंगे।

एक रुपया में पढ़ाते हैं आरके श्रीवास्तव, 540 गरीब स्टूडेंट्स को बना चुके हैं इंजीनियर

बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले आरके श्रीवास्तव देश में मैथेमैटिक्स गुरु के नाम से मशहूर हैं। खेल-खेल में जादुई तरीके से गणित पढ़ाने का उनका तरीका लाजवाब है। कबाड़ की जुगाड़ से प्रैक्टिकल कर गणित सिखाते हैं। आर्थिक रूप से सैकड़ों गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई सहित देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में पहुंचाकर उनके सपने को पंख लगा चुके हैं।
इनके द्वारा चलाया जा रहा नाइट क्लासेज अभियान अद्भुत, अकल्पनीय है। स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी के प्रति जागरूक करने लिये 450 क्लास से अधिक बार पूरी रात लगातार 12 घंटे गणित पढ़ा चुके हैं। इनकी शैक्षणिक कार्यशैली की खबरें देश के प्रतिष्ठित अखबारों में छप चुकी हैं, विश्व प्रसिद्ध गूगल ब्वाय कौटिल्य के गुरु के रूप में भी देश इन्हें जानता है।


Dharmendra Singh

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