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Struggle Story: पिता के गुजरने के बाद संघर्षों से गुजरे दिन, फिर भी नहीं मानी हार, एक बने प्रसिद्ध बिजनेस कोच तो दूसरे फेमस टीचर
Struggle Story: आज हम बात कर रहे हैं मोटिवेशनल स्पीकर विवेक बिंद्रा, प्रसिद्ध शिक्षक आनंद कुमार और आरके श्रीवास्तव (Mathematics Guru RK Srivastava) के बारे में, इन सभी के जीवनी काफी प्रेरणा दायक है।
आज बात कर रहे हैं प्रसिद्ध बिजनेस कोच एवं मोटिवेशनल स्पीकर विवेक बिंद्रा सहित प्रसिद्ध शिक्षक आनंद कुमार और आरके श्रीवास्तव के बारे में, इन सभी के जीवनी काफी प्रेरणा दायक है।
डॉ. विवेक बिंद्रा एक क्रांतिकारी उद्यमी, एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित Motivational Speaker और एक बिजनेस कोच हैं। जो पूरे विश्व में लोगों को उनके बिजनेस लक्ष्यों को हासिल करने में मदद कर रहे हैं। और वे एक बहुत बड़े Youtuber भी हैं। वे Badabusiness.com के Founder और CEO हैं। Bada Business एक ऐसा प्लेटफार्म है जहाँ से सीख कर कोई भी व्यापारी अपने बिज़नेस को बड़ा कर सकता हैं।
डॉ. विवेक बिंद्रा (Dr. Vivek Bindra Motivational Speaker)
डॉ. विवेक बिंद्रा का जीवन बहुत ही संघर्षपूर्ण था। और इनका जन्म लखनऊ में हुआ था इनके जन्म के ढाई साल बाद इसके पिता का देहांत हो गया। इसके बाद इसकी माता ने दूसरी शादी कर ली। और ये तब अपने चाचा और दादा के साथ में दिल्ली रहने लगे थे। और वही पढाई करने लगे। डॉ. विवेक बिंद्रा स्कूल के फीस के लिए रोड पर इंग्लिश की डिक्शनरी बेचने लगा। इसके बाद विवेक बिंद्रा जी यही से BBA और MBA भी किये।
विवेक बिंद्रा अपने स्कूल के फीस के लिए होम टूशन भी शुरू कर दिए और वे कुछ टीचर्स को अपने साथ रखकर अच्छे से टुएशन पढ़ा लेते थे और और स्कूल का फीस और अपना खर्चा निकल लेते थे।
विवेक बिंद्रा जी अपना गीता का ज्ञान लोगो के साथ शेयर करते थे, उनके पास बिज़नेस का ज्ञान और गीता का ज्ञान दोनों ही था और वे अपना समय निकल कर लोगो के साथ अपना ज्ञान शेयर करते थे लेकिन यहाँ सन्यासी के रूप में वे एक सीमा में थे जिससे वे देश और लोगो की सेवा अच्छी से नहीं कर पाते थे।
तब उनके गुरुदेव ने उनसे बोला की आप अपने ज्ञान से लोगो की और देश की सेवा सन्यासी जीवन छोड़कर कर पाएंगे तब डॉ विवेक बिंद्रा अपना सन्यासी जीवन छोड़कर लोगो की और देश की सेवा करना शुरू करना शुरू कर दिये।
तब विवेक बिंद्रा ने ठान लिया की मुझे इस देश के लोगो को और इस देश को बदलना है इसी लक्ष्य से विवेक बिंद्रा केवल भारत में ही सेवा करना स्टार्ट कर दिया वो भी हिंदी भाषा में पूरे देश में बिज़नेस करना शरू कर दिए और ऐसे ही अपने मेहनत और जुनूर से सेवा करते – करते आज विवेक बिंद्रा बहुत बड़े उद्यमी बन चुके हैं। उनकी बातों को सुनने के लिए लाखों लोगों की भीड़ लगता है, उनके यूट्यूब चैनल पर उनकी बातें सुन लोग सफल हो रहे हैं।
आरके श्रीवास्तव के संघर्ष की कहानी (Story of struggle of RK Srivastava)
दूसरी तरफ आपको बताते चलें कि पिता के गुजरने के बाद बिहार के 2 शिक्षक आनंद कुमार और आरके श्रीवास्तव पूरी तरह टूट चुके थे, लेकिन अपने परिश्रम और मेहनत के बल पर आज यह दोनों शिक्षक के शैक्षणिक कार्यशैली को लोग देश-विदेश में पसंद करते हैं , जहां आनंद कुमार सुपर 30 चलाकर आर्थिक रूप से सैकड़ों गरीब स्टूडेंट्स को इंजीनियर बना चुके हैं वहीं दूसरी तरफ आरके श्रीवास्तव सिर्फ ₹1 गुरु दक्षिणा में आर्थिक रुप से सैकड़ों गरीब स्टूडेंट्स को पढ़ाकर इंजीनियर बना चुके हैं ।
दोनों ही गणित के शिक्षक हैं पर इनके संघर्ष भरी जीवन लाखों युवाओं को प्रेरणा देता है। जब आरके श्रीवास्तव 5 वर्ष के थे तो उनके पिता पारसनाथ लाल इस दुनिया को छोड़ कर चले गए वही दूसरी तरफ आनंद कुमार के पिताजी युवावस्था में उन्हें छोड़कर चले गए , पिता के गुजरने के बाद जहां आनंद कुमार पापड़ बेचकर अपने परिवार चलाते थे वही आरके श्रीवास्तव का परिवार ऑटो रिक्शा से होने वाले इनकम से चलता था।
पर एक कहावत सत्य है कि हर अंधेरे के बाद उजाला जरूर होता है इन दोनों शिक्षकों ने अपने कड़ी मेहनत और लगन के बल पर यह साबित कर दिया कि जीतने वाले छोड़ते नहीं और छोड़ने वाले जीतते नहीं, यह दोनों शिक्षक अपने जीवन को आर्थिक रुप से गरीब स्टूडेंट्स की सेवा में लगा चुके हैं।
आनंद कुमार और आरके श्रीवास्तव अब बिहार ही नहीं बल्की पूरी देश की एक बड़ी शख्सियत हैं। आपको बताते चले की बिहार के रोहतास जिले के बिक्रमगंज के रहने वाले वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर आरके श्रीवास्तव सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर सैकड़ों आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी ,एनआईटी, बीसीईसीई सहित देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में सफ़लता दिलाकर उनके सपने को पंख लगा चुके हैं। इससे पहले भी कई बार अलग अलग तरीकों से GK के किताबों और टेस्ट परीक्षाओं में आनंद कुमार और आरके श्रीवास्तव के बारे में प्रश्न पुछे जा चुके हैं।