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Migration from Bihar: सुशासन बाबू के शासनकाल में भी बिहार में पलायन बदस्तूर क्यों जारी?
Migration from Bihar: बिहार के समाज सुधारक मुख्यमंत्री और देश का प्रधानमंत्री बनने की चाह रखने वाले नीतीश कुमार के कार्यकाल में भी राज्य से पलायन बदस्तूर जारी हैं।
Migration from Bihar: बिहार के समाज सुधारक मुख्यमंत्री और देश का प्रधानमंत्री बनने की चाह रखने वाले नीतीश कुमार के कार्यकाल में भी राज्य से पलायन बदस्तूर जारी हैं।असफल शराबबंदी को एक बड़ी सफलता मानने वाले सुशासन बाबू लंबे कार्यकाल के बाद भी बिहार में पलायन को नहीं रोक सके। पलायन की वजह से बिहार की एक बडी आबादी को दिल्ली पंजाब इत्यादि जगहों में जाकर काम करना पडता है। छा़त्रों को अच्छी शिक्षा के लिए भी अपना राज्य छोडना पड़ता है। ये एक ऐसा दंश है जो बिहार सदियों से झेलता आ रहा है, लेकिन इसका कोई भी ठोस उपाय अभी तक निकलकर सामने नहीं आया है।
किसी भी राज्य से पलायन रोकने के लिए जरूरी है कि वहां कमाई के साधन उपलब्ध कराए जाए और शिक्षा व्यवस्था को उच्च स्तरीय बनाया जाए। कमाई के साधन के विकल्प उद्योग लगने से बढ़ते है, जोकि बिहार में नदारद है। वहीं शिक्षा व्यवस्था की बात करें तो आज भी बिहार में विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय और संस्थान की कमी है। दूसरी ओर नीतीश कुमार का ध्यान समाज सुधारक बनने की ओर है। एक आदर्श समाज के लिए यह अच्छी बात हो सकती है कि आपका समाज संस्कारी बने ,लेकिन जीवन स्तर उठाने और समृद्धि लाने के लिए पूंजी का प्रवाह जरूरी है।
आइए पलायन के पीछे की वजह की पडताल करते हैं.
ढुलमुल सरकारी नीति: किसी भी राज्य में उद्योग लगाने के लिए बिजली, अच्छी सडक और सस्ते मजदूर ये तीनों साधन अति आवश्यक हैं। बिहार में ये तीनों उपलब्ध है। नीतीश कुमार ने अपने पहले कार्यकाल में ही इन चीजों को बहुत बेहतर कर दिया था। लोगों को उम्मीद थी कि अब राज्य में नए उद्योग आएंगे। बावजूद इसके यहां इतने सालों में कोई उद्योग नहीं लग सका। साथ ही नीतीश कुमार ने क्राइम पर भी लगाम लगाने में काफी सफलता हासिल की है, लेकिन फिर भी वह उद्योगपतियों को राज्य आने के लिए नहीं मना सके। इसे सरकार की नाकामी ही माना जा सकता है कि कोरोना की वजह से कभी परदेस न आने की कसम खाने वाले मजदूरों को वापस बिहार में काम की कमी की वजह से पलायन करना पडा।
उच्चस्तरीय शिक्षा का अभाव
बिहार में शिक्षा के क्षे़त्र में पहले की तुलना में काफी सुधार हुआ है, लेकिन विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय का आज भी अभाव है। अधिकांश प्रोफेशनल संस्थान बिहार के बाहर हैं, जिससे छा़त्रों को पढाई के लिए राज्य से बाहर जाना पडता है और नौकरी भी राज्य से बाहर ही मिलती है और उनका घर छूट जाता है। फिर वे कभी कभार ही घर आ पाते हैं। यूपीएससी वगैरह की कोचिंग के लिए भी बिहार से हजारों छात्रों को दिल्ली आते हैं।
नीतीश कुमार का रूझान समाज सुधार की ओर ज्यादा
नीतीश कुमार राज्य में शराबबंदी, जल जंगल हरियाली जैसे योजनाओं को बढावा देते हैं और इस तरह के समाज सुधार योजनाओं में उनका ध्यान अधिक रहता है, लेकिन राज्य में उद्योग लाने, उद्योग मेला, इंवेस्टर्स मीट इत्यादि करने मे उनकी दिलचस्पी कम ही दिखती हैं। वहीं बिहार से सटे यूपी में उद्योग लगे हैं, सैमसंग जैसी बडी कंपनियों ने यहां प्लांट लगाए हैं। और भी कई कंपनियां यहां आने वाली है।
अत्याधुनिक कृषि तकनीक का अभाव
प्रति हेक्टेयर उत्पादन में कमी आज भी बिहार में कृषि क्षे़त्र की एक बडी समस्या है इसकी वजह अत्याधुनिक कृषि तकनीक का अभाव है। किसान आज भी यहां परम्परागत कृषि तकनीक से काम चला रहे हैं, जिससे उत्पादन कम होता है और कृषि फायदे का सौदा नहीं बन पाता। पंजाब जैसे राज्यों में कृषि पूरी तरह से तकनीक पर निर्भर है , जिससे कृषि से वहां अच्छी खासी इनकम हो जाती है । इस चीज में सरकार को आगे आना होगा और कृषि क्षे़त्र में नई तकनीक सब्सिडी के तहत किसानों को देना होगा, जिससे कृषि से आमदनी होगी और पलायन पर कुछ हद तक लगाम लग सकेगा।