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Bihar News: बिहार में लालू करेंगे सियासी धमाका! 11 जून को जन्मदिन पर पटना पहुंचने का बेसब्री से इंतजार

Bihar News: 11 जून को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का जन्मदिन है और सियासी गलियारों में इस चर्चा ने काफी तेजी पकड़ रखी है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Vidushi Mishra
Published on: 4 Jun 2021 10:11 PM IST
RJD supremo Lalu Prasad Yadavs birthday is on June 11 and the discussion in the political corridors
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लालू प्रसाद यादव (फोटो: सोशल मीडिया)

Bihar News: बिहार की सियासत में 11 जून का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। दरअसल 11 जून को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का जन्मदिन है और सियासी गलियारों में इस चर्चा ने काफी तेजी पकड़ रखी है कि इस दिन लालू प्रसाद यादव पटना आ सकते हैं।

चारा घोटाले के एक मामले में जमानत मिलने के बाद लालू की जेल से रिहाई हो चुकी है और फिलहाल वे दिल्ली में स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। हाल के दिनों में उन्होंने राजद नेताओं से मुलाकात और संवाद का सिलसिला शुरू किया है जो उनकी सियासी गतिविधियां बढ़ने का संकेत देता है।

सियासी अटकलों के बीच पहुंचेंगे लालू

राजद सुप्रीमो लालू के पटना आने की चर्चाओं ने ऐसे समय में जोर पकड़ा है जब हम पार्टी के मुखिया जीतन राम मांझी और वीआईपी के मुखिया मुकेश सहनी की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराजगी राज्य में सियासी उलटफेर का संकेत मानी जा रही है।

इसलिए राजद के साथ ही अन्य विपक्षी दलों के नेताओं को भी लालू के पटना पहुंचने का बेसब्री से इंतजार है। माना जा रहा है कि लालू की बिहार वापसी से सूबे की सियासत में बड़ा भूचाल आ सकता है।

मांझी और सहनी नीतीश से नाराज

दरअसल बिहार की सियासत में इन दिनों मांझी और सहनी की नाराजगी और दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद सियासी अटकलों का दौर शुरू हो गया है। सियासी जानकारों का कहना है कि एनडीए सरकार में हो रही अनदेखी से दोनों नेता भीतर ही भीतर काफी नाराज हैं। मांझी के करीबी नेता ने भी गठबंधन से उनकी नाराजगी की पुष्टि की है।

दोनों नेताओं की शिकायत है कि सरकार के प्रमुख फैसलों में उनकी अनदेखी की जा रही है। अपनी इसी उपेक्षा के कारण ये दोनों नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज बताए जा रहे हैं। हालांकि दोनों नेताओं ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं मगर उनकी नाराजगी की चर्चा सियासी गलियारों में हर जगह तैर रही है।

नीतीश कुमार (फोटो-सोशल मीडिया)

हालांकि मांझी ने अपनी पार्टी की बैठक के बाद एनडीए के साथ होने की बात कही है मगर उनके ढुलमुल रवैये को देखते हुए उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। वे सियासी पलटी मारने में काफी माहिर माने जाते हैं।

दोनों नेता जता चुके हैं नाराजगी

मांझी ने पिछले दिनों आरोप लगाया था कि बिहार में गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया जा रहा है। पूर्व सांसद पप्पू यादव की गिरफ्तारी के समय भी दोनों नेताओं ने खुलकर नाराजगी जताई थी और इस कदम को लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया था।

उन्होंने पप्पू यादव की रिहाई की भी मांग की थी। हालांकि नीतीश कुमार ने उनकी इस मांग पर गौर नहीं फरमाया था। हाल में दोनों नेताओं की मुलाकात को बिहार में सियासी खिचड़ी पकने का संकेत माना जा रहा है।

राजद की टिप्पणी के सियासी निहितार्थ

मांझी और सहनी की मुलाकात के बाद राजद ने भी सियासी टिप्पणी करके माहौल को गरमा दिया है। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि एनडीए की सरकार में मांझी और सहनी की उपेक्षा की जा रही है और नीतीश सरकार के किसी भी फैसले में दोनों से कोई सलाह नहीं ली जाती।

उन्होंने यह भी दावा किया कि मांझी और सहनी की मुलाकात का सियासी असर दिखेगा और इस बरसात में एनडीए की नाव में डूब जाएगी। राजद की ओर से की गई इस टिप्पणी के सियासी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।

राजद नेताओं को लालू के बिहार पहुंचने का बेसब्री से इंतजार है। माना जा रहा है कि लालू के बिहार पहुंचने के बाद सियासी गतिविधियां और तेज होंगी और कोई बड़ा सियासी उलटफेर हो सकता है।


यूं खुल सकती है महागठबंधन की राह

यदि बिहार विधानसभा के गणित को देखा जाए तो मौजूदा समय में नीतीश सरकार को 127 विधायकों का समर्थन हासिल है। इनमें भाजपा के 74 जदयू के 43 (मेवालाल चौधरी के निधन से एक सीट रिक्त) और मांझी और सहनी की पार्टी क्रमश: हम और वीआईपी के 4-4 विधायकों का समर्थन हासिल है। एक निर्दलीय विधायक ने भी नीतीश सरकार को समर्थन दे रखा है।

दूसरी ओर विपक्षी महागठबंधन में राजद के 75, कांग्रेस के 19 और वाम दलों के 16 विधायक शामिल हैं। इस तरह महागठबंधन के पास 110 विधायकों की ताकत है जो कि बहुमत से मात्र 12 सीट दूर है। इस बार विधानसभा में एआईएमआईएम के पांच विधायक जीतकर पहुंचे हैं। इन विधायकों ने महागठबंधन को समर्थन देने का संकेत भी दे रखा है।

ऐसे में अगर मांझी और सहनी ने पलटी मारी तो महागठबंधन के लिए सत्ता की राह खुल सकती है। देखने वाली बात यह होगी कि लालू की बिहार वापसी के बाद राज्य की सियासत किस करवट बैठती है।

जदयू-भाजपा का एकजुटता का दावा

हालांकि जदयू और भाजपा की ओर से दावा किया जा रहा है कि नीतीश सरकार को किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है। दोनों पार्टियों का यह भी दावा है कि एनडीए पूरी तरह एकजुट है। जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह का कहना है कि मांझी पूरी तरह एनडीए के साथ हैं और उनकी नीतीश कुमार में पूरी आस्था है।

दूसरी ओर भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद का कहना है कि मांझी और सहनी एनडीए छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले। बिहार के विकास के लिए दोनों एनडीए के साथ मजबूती से जुड़े रहेंगे।



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Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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