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Bihar Floor Test: नीतीश सरकार का फ्लोर टेस्ट आज, स्पीकर का इस्तीफे से इनकार,विधानसभा में भारी हंगामे के आसार

Bihar Floor Test: स्पीकर और सत्ता पक्ष के बीच पैदा हुई इस तनातनी के कारण विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से पहले ही भारी हंगामा होने के आसार हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 24 Aug 2022 9:08 AM IST
Bihar floor test today
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नीतीश सरकार का फ्लोर टेस्ट आज (photo: social media )

Bihar Floor Test: बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में महागठबंधन की नई सरकार के गठन के बाद आज होने वाले विशेष सत्र में अजीबोगरीब संकट पैदा होता दिख रहा है। विधानसभा के स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने अपने खिलाफ दिए गए अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को खारिज कर दिया है और आज नीतीश सरकार के विश्वासमत परीक्षण के दौरान सदन का संचालन करने की घोषणा की है।

दूसरी और सत्ता पक्ष का कहना है कि स्पीकर को संसदीय परंपरा के तहत पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था। उनके इस्तीफा न देने पर सत्ता पक्ष की ओर से दिए गए अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को स्पीकर खुद ही कैसे खारिज कर सकते हैं। स्पीकर और सत्ता पक्ष के बीच पैदा हुई इस तनातनी के कारण विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से पहले ही भारी हंगामा होने के आसार हैं। इस दौरान विधानसभा का माहौल खराब होने की आशंका भी जताई जा रही है।

स्पीकर ने नोटिस को नियमों के खिलाफ बताया

दरअसल बिहार में नीतीश की अगुवाई में नई सरकार के गठन के बाद से ही स्पीकर का इस्तीफा न देना चर्चा का विषय बना हुआ है। स्पीकर सिन्हा ने पहले ही इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था और अब उन्होंने अपने खिलाफ पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को भी खारिज कर दिया है। विधानसभा सचिवालय को भेजे गए नोटिस में स्पीकर पर लोकतांत्रिक और तानाशाही भरे तरीके से काम करने का बड़ा आरोप लगाया गया है।

दूसरी और स्पीकर ने इस नोटिस को नियमों और संसदीय परंपरा के पूरी तरह खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा कि स्पीकर होने के नाते उनका स्वाभाविक दायित्व है कि वे इस नोटिस को खारिज कर दें। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि वे किसी के दबाव में आने वाले नहीं हैं और विधानसभा में अपना पक्ष रखेंगे। उल्लेखनीय है कि विजय कुमार सिन्हा भाजपा के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे थे और नीतीश की अगुवाई में एनडीए सरकार के गठन के बाद उन्हें विधानसभा का स्पीकर चुना गया था मगर राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद उन्होंने स्पीकर पद छोड़ने से इनकार कर दिया था।

बहुमत परीक्षण के दौरान करेंगे अध्यक्षता

उनके इस्तीफा देने से इनकार करने और अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस खारिज करने के बाद विधानसभा में अजीबोगरीब राजनीतिक और संवैधानिक संकट पैदा होता दिख रहा है। स्पीकर ने विधानसभा के नियमों का हवाला देते हुए कहा है कि नियमों के मुताबिक सबसे पहले सरकार का प्रस्ताव दिया जाता है।

स्पीकर के इस बयान से साफ हो गया है कि नीतीश सरकार के बहुमत परीक्षण के दौरान वे सदन की अध्यक्षता करेंगे। दूसरी और सत्तापक्ष को विजय कुमार सिन्हा की अध्यक्षता स्वीकार नहीं है और इसे लेकर सदन शुरू होते ही भारी हंगामा होने के आसार हैं।

नोटिस खारिज करने पर खड़े किए सवाल

जदयू के टिकट पर जीतने के बाद डिप्टी स्पीकर चुने गए महेश्वर हजारी का तर्क है कि स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया जा चुका है और इस कारण उन्हें सदन की अध्यक्षता नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सच्चाई तो यह है कि बहुमत न होने के कारण संसदीय परंपरा का निर्वाह करते हुए स्पीकर को पहले ही अपना पद छोड़ देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि अगर किसी को पागल कुत्ते ने काट लिया है तो हम उसका इलाज नहीं कर सकते। डिप्टी स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को खारिज किए जाने पर भी सवाल उठाए।

उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस में पूरी तरह नियमों का पालन किया गया है और नोटिस के 14 दिनों के बाद विधानसभा का सत्र बुलाया गया है। हजारी ने कहा कि लोकतंत्र में बहुमत की ताकत मानी जाती है और जब बहुमत ही नहीं है तो स्पीकर को अपने पद पर रहने का कोई हक भी नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि स्पीकर खुद कैसे अपने खिलाफ पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को खारिज कर सकते हैं।

स्पीकर को पद से हटाने का ऐलान

इस बीच राजद की ओर से मांग की गई है कि विधानसभा के विशेष सत्र का संचालन डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी को करना चाहिए। स्पीकर के इस्तीफा न देने पर सत्ता पक्ष की ओर से जोरदार हमला किया गया है। विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और संसदीय कार्य और वित्त मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि यदि स्पीकर ने इस्तीफा नहीं दिया है तो उन्हें नियमों के तहत हटाया जाएगा। उन्हें पद से हटाने के लिए नियम उपलब्ध हैं और इन नियमों का उपयोग करते हुए उन्हें स्पीकर के पद से बेदखल किया जाएगा।

संसदीय कार्य मंत्री ने यह भी कहा कि सदन की स्थापित परंपरा और नियमों के मुताबिक सत्र की शुरुआत का सबसे पहला एजेंडा अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस होना चाहिए। अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान स्पीकर खुद सदन का संचालन कतई नहीं कर सकते। संसदीय कार्य मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि स्पीकर की जगह डिप्टी स्पीकर ही विधानसभा के सत्र की अध्यक्षता करेंगे।

भारी हंगामा होने के आसार

बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में महागठबंधन की नई सरकार के गठन के बाद 40 से अधिक विधायकों ने स्पीकर विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया था। नीतीश कुमार की अगुवाई वाले महागठबंधन को 164 विधायकों का समर्थन हासिल है। बहुमत हासिल होने के कारण सत्तापक्ष ने स्पीकर को पद से हटाने का फैसला कर लिया है।

स्पीकर के इस्तीफा न देने पर अड़ जाने के कारण अजीबोगरीब संकट पैदा हो गया है। विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान सिर्फ दो ही कार्य किए जाने हैं। पहला सरकार का बहुमत हासिल करना और दूसरा अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान। जानकारों का कहना है कि स्पीकर के अड़ जाने के कारण आज विधानसभा में भारी हंगामा होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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