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Patna Exclusive: दिन में तारे दिखना बंद, अगले साल जून तक करना होगा इंतजार
Patna Exclusive: पटना के तारामंडल में नई तकनीकें जोड़े जाने की जानकारी आती रहती हैं, लेकिन अबतक कहीं इसकी सूचना नहीं कि इसके लिए यहां ताला लगा दिया गया है।
Patna Planetarium: बिहार के लोग फिलहाल दिन में तारे नहीं देख पाएंगे। बिहार ही नहीं, बल्कि कई राज्यों से पटना आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा इंदिरा गांधी प्लेनिटोरियम अगले साल जून तक के लिए बंद कर दिया गया है। उद्घाटन के तीन दशक में ऐसा दूसरी बार हो रहा है, जब पटना के तारामंडल पर ताला जड़ा गया है। लॉकडाउन के बाद यह दूसरा मौका है।
खास बात यह भी है कि ताला तो लटका दिया गया है, लेकिन न तो वजह की औपचारिक जानकारी लोगों को दी गई है और न ही प्रवेश से रोकने वाले सुरक्षाकर्मी ही कुछ बता रहे हैं। दरअसल, नई तकनीक और ज्यादा क्षमता के साथ शुरुआत के लिए इसे बंद किया गया है। जर्मनी की कंपनी को इस काम की जिम्मेदारी दी गई है। बिहार में अबतक यह इकलौता तारामंडल है। दूसरा तारामंडल दरभंगा में निर्माणाधीन है, जिसे पहले इस साल मई में शुरू कराने की बात कही जा रही थी लेकिन अब अक्टूबर तक निर्माण पूरा होने का भरोसा दिलाया जा रहा है। इसके अलावा तीनों प्रमुख शहरों भागलपुर, गया और मुजफ्फरपुर में भी तारामंडल बनाने की प्रक्रिया शुरू हो रही है।
स्कूली छात्र और खगोल को समझने वाले आ रहे अब भी
पटना के तारामंडल में नई तकनीकें जोड़े जाने की जानकारी तो बीच-बीच में आती रहती हैं, लेकिन अबतक कहीं इसकी सूचना नहीं कि इसके लिए यहां ताला लगा दिया गया है। अबतक इसका अपना कोई ऑनलाइन बुकिंग साइट भी नहीं बना है। ऐसे में लोगों को ताला बंद होने की जानकारी नहीं है। हर हफ्ते सोमवार को यह बंद रहता है। सोमवार को छोड़ बाकी दिन स्कूली बच्चे और खगोल को समझने वाले भारी संख्या में आकर लौट रहे हैं। इसके अलावा पर्यटन और आउटिंग के लिए निकलने वाले भी यहां पहुंचकर लौट रहे हैं, क्योंकि जिला प्रशासन से लेकर पटना टूरिज्म की जानकारी देने वाली वेबसाइट्स अब भी यहां दिन में तीन शो चलने की जानकारी दे रही हैं। तारामंडल को नए रूप में शुरू करने के लिए बिल्डिंग के इंटीरियर को फाइनल किया गया रहा है। यह काम कोलकाता की कंपनी को दिया गया है। इस दिशा में सबसे पहले दशकों पहले बने वाटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम को सुधारा गया। पूरी बिल्डिंग को अंदर-बाहर से दुरुस्त करते हुए धीरे-धीरे बाकी काम भी किए जा रहे हैं। तारामंडल के शो तो बंद हैं, लेकिन ऑडिटोरियम में विभिन्न संस्थाओं के कार्यक्रम फिलहाल बुकिंग के कारण चल रहे हैं।
क्या हो रहा और आगे क्या होगा…सबकुछ जान लीजिए
देसी और विदेशी कंपनी अपने-अपने स्तर से पटना के तारामंडल को निखारने में लगी हैं। 1993 में उद्घाटन के बाद इस तरह व्यापक रूप से पहली बार काम हो रहा है। अबतक अंदर चलने वाले शो में बदलाव तो किए जाते रहे थे, लेकिन तकनीकी सेटअप में बहुत बड़ा बदलाव नहीं हुआ था। आधुनिक तकनीकों के हिसाब से उपकरणों का काम होना था तो साथ-साथ सीटिंग से लेकर इंटीरियर-फ्लोरिंग आदि के काम को भी निबटाया जा रहा है ताकि दर्शकों को हर तरीके से यह आधुनिक लगे। अबतक लोगों को तारामंडल के शो स्क्रीन पर तारे और उपग्रहों का वीडियो दिखता था, लेकिन नए रूप में सौर मंडल के विश्वस्तरीय शो थ्री-डी रूप में दिखेंगे। अबतक के शो नंगी आंखों से फिल्मों की तरह देखे जाते थे, लेकिन नए तरीके से तैयार होने के बाद यहां थ्री-डी ग्लास लगाकर लोग शो देखेंगे और उन्हें एहसास होगा कि वह ग्रहों-तारों के बीच खुद भी घूम रहे हैं। ऐसे शो के लिए यहां छह नए प्रोजेक्टर लगाए जाएंगे। साउंड सिस्टम में भी बदलाव हो रहा है, जिसके कारण अबतक इस तारामंडल की आवाज से परिचित रहे दर्शकों को कुछ नया सुनने को भी मिलेगा।
संभव है कि इससे पहले दरभंगा में तारामंडल शुरू हो जाए
पटना के अलावा बिहार के तीनों प्रमुख शहरों भागलपुर, मुजफ्फरपुर और गया में भी तारामंडल बनाने की प्रक्रिया शुरू हो रही है, लेकिन अभी इसमें वर्षों समय लगेगा। अच्छी बात यह है कि मिथिलांचल क्षेत्र में दरभंगा शहर के अंदर एक तारामंडल बनाया जा रहा है। यह तारामंडल मई में शुरू करा देने का दावा किया जा रहा था, लेकिन अब निर्माण कार्य कर रही कंपनी ही अक्टूबर अंत तक इसे हैंडओवर करने की बात कह रही है। निर्माण का काम अगर अक्टूबर में पूरा हो गया तो बाकी तकनीकी संसाधनों के साथ 164 करोड़ का यह तारामंडल शायद पटना के तारामंडल के नए रूप में शुरू होने से पहले शो दिखाने लगेगा। पटना के तारामंडल से लगभग आधी सीटों की क्षमता होगी, लेकिन इसके बनने के बाद मिथिलांचल के बच्चों को खगोलीय घटनाओं का शो दिखाने के लिए राजधानी के शैक्षणिक भ्रमण पर ले जाने की जरूरत कम पड़ेगी।