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Bihar Politics: लोजपा संकट में, चाचा-भतीजे चिराग की जंग हुई तीखी, मामला चुनाव आयोग पहुंचने के आसार

Bihar Politics : लोजपा संसदीय दल के नए नेता बने पशुपति पारस ने चिराग पासवान को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया तो इसके तुरंत बाद चिराग पासवान ने भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर पांचों बागी सांसदों को लोजपा से निकाल बाहर किया।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shivani
Published on: 16 Jun 2021 4:36 AM GMT
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Bihar Politics : लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में चिराग पासवान (Chirag Paswan) और उनके खिलाफ बगावत करने वाले पांच सांसदों के बीच शुरू हुआ संघर्ष अब काफी तीखा हो गया है। बागी सांसदों के गुट के नेता पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) और चिराग पासवान (Chirag Paswan Uncle) ने एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

लोजपा संसदीय दल के नए नेता बने पशुपति पारस ने पहले पार्टी की बैठक बुलाकर चिराग पासवान को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया तो इसके तुरंत बाद चिराग पासवान (Chirag Paswan Family) ने भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर पांचों बागी सांसदों को लोजपा (LJP Political Crisis) से निकाल बाहर किया। दोनों गुटों के बीच अब पार्टी पर कब्जे की लड़ाई शुरू हो गई है और माना जा रहा है कि यह मामला अब जल्द ही चुनाव आयोग तक पहुंच सकता है।

काफी दिनों से सुलग रही थी चिंगारी

बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Vidhan Sabha Election) के समय से ही चिराग पासवान के खिलाफ पार्टी में असंतोष की चिंगारी सुलग रही थी। पार्टी के अधिकांश नेता एनडीए (NDA) से बाहर निकलकर चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं थे मगर चिराग पासवान अपनी जिद पर अड़े रहे और उन्होंने 143 विधानसभा सीटों पर लोजपा के प्रत्याशी उतार दिए। चिराग पासवान का यह दांव पूरी तरह फेल रहा क्योंकि पार्टी सिर्फ एक विधानसभा सीट जीतने में कामयाब हुई और पार्टी के एकमात्र विधायक ने भी बाद में जदयू का दामन थाम लिया।


लोजपा को लगे जबर्दस्त झटके के बाद पार्टी में चिराग पासवान के प्रति नाराजगी और बढ़ गई और इस नाराजगी का विस्फोट पार्टी के पांच सांसदों की चिराग के खिलाफ बगावत के रूप में सामने आया। इस गुट ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से अलग ग्रुप की मान्यता देने का अनुरोध किया था।

स्पीकर का फैसला चिराग के लिए बड़ा झटका

लोकसभा अध्यक्ष को दी गई अर्जी में चिराग को बेदखल करते हुए पार्टी के संसदीय दल के नेता को बदलने की मांग की गई थी। स्पीकर ने उस अर्जी को मंजूर करते हुए पशुपति कुमार पारस को लोजपा संसदीय दल का नेता घोषित कर दिया है। स्पीकर की ओर से उठाए गए इस कदम से चिराग को और बड़ा झटका लगा है।

पार्टी पर प्रभुत्व के लिए छिड़ी जंग

लोजपा में दोफाड़ होने के बाद चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के बीच पार्टी पर नियंत्रण स्थापित करने की जंग काफी तेज हो गई है। इस जंग का ही नतीजा है कि पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले गुट ने बैठक करके चिराग को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से बेदखल कर दिया है।
पारस गुट ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह को लोजपा का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। फैसला किया गया है कि पांच दिनों के भीतर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। पारस गुट से जुड़े सूत्रों का कहना है कि एक-दो दिन के भीतर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी बुलाई जा सकती है।

दोनों गुटों ने खोला मोर्चा

दूसरी ओर चिराग पासवान का गुट भी पार्टी पर कब्जे के लिए सक्रिय हो गया है। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में चिराग गुट ने बगावत करने वाले पांच सांसदों को पार्टी से बाहर कर दिया है। चिराग गुट की ओर से दावा किया गया है कि बैठक में पार्टी के सभी पदाधिकारी और कई राज्यों के अध्यक्ष भी मौजूद थे।

चिराग गुट का कहना है कि इन पांचों सांसदों के अलावा संगठन का काम करने वाले अन्य लोग पहले की तरह ही सक्रिय रहेंगे और पार्टी को मजबूत बनाने का काम करेंगे। बैठक में चिराग पासवान ने कहा है कि उनका बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट कार्यक्रम पहले की तरह ही चलता रहेगा और वे बिहार सरकार के खिलाफ आंदोलन को और मजबूत बनाएंगे।

मामला चुनाव आयोग पहुंचने की संभावना

जानकारों का कहना है कि लोजपा बिहार में छह लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब हुई थी। अब इनमें से पांच सांसद चिराग के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। ऐसी स्थिति में चिराग पार्टी में पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए हैं। बागी गुट के नेता चुने गए पारस को पार्टी के अन्य नेताओं का समर्थन भी बताया जा रहा है।
दूसरी ओर चिराग गुट भी पार्टी पर प्रभुत्व बनाए रखने की कोशिश में जुटा हुआ है। दोनों दलों की ओर से पार्टी पर कब्जे के लिए शुरू हुई इस जंग के अब चुनाव आयोग पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। जानकारों के मुताबिक जल्दी कि दोनों गुटों की ओर से इस बाबत आयोग में अर्जी दायर की जा सकती है।
माना जा रहा है कि जल्द ही दोनों गुट आयोग में अर्जी दायर करके खुद को असली साबित करने की कोशिश करेंगे। जानकारों के अनुसार बुधवार को चिराग पासवान प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपना पक्ष पेश करेंगे।
सियासी जानकारों का कहना है कि इन दोनों पक्षों के बीच शुरू हुई जंग में चिराग पासवान लगातार कमजोर पड़ते जा रहे हैं। पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी लगातार कमजोर पड़ती जा रही है और इसके लिए चिराग को ही दोषी ठहराया जा रहा है। ऐसे में हर किसी की नजर अब चिराग पासवान के सियासी दांव पर ही टिकी हुई है।
Shivani

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