Bihar Politics: दिनकर की पंक्तियां लिख PK ने क्या किया इशारा? नीतीश से मुलाकात के बाद निकाला जा रहा 'सियासी मतलब'

नीतीश और पीके के मुलाकात की पृष्ठभूमि पूर्व राजनयिक पवन वर्मा ने तैयार की थी। नीतीश से मुलाकात के बाद पवन वर्मा ने प्रशांत किशोर से मुलाकात की और फिर पीके और नीतीश की मुलाकात हुई।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 15 Sep 2022 8:09 AM GMT
prashant kishor answered nitish kumar by ramdhari singh dinkar poem
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प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

Bihar Politics : बिहार के सियासी हलकों में इन दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Election Strategist Prashant Kishor) की मुलाकात खासी चर्चाओं में है। प्रशांत किशोर ने हाल में नीतीश के साथ उनके आवास पर मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों के बीच करीब दो घंटे तक मंथन चला।

इस मुलाकात के बाद दोनों के बीच एक बार फिर 'एका' होने की संभावनाएं जताई जा रही थीं। मगर, प्रशांत किशोर ने प्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh Dinkar) की चर्चित कृति 'रश्मिरथी' (Rashmirathi) की दो पंक्तियां पोस्ट करके कुछ अलग ही संकेत दिया है। पीके की ओर से पोस्ट की गई इन पंक्तियों का अलग सियासी मतलब निकाला जा रहा है।

पीके ने ट्वीट किया- क्या मुख दिखलाऊंगा?

दरअसल, इस मुलाकात के बाद अभी तक प्रशांत किशोर (पीके) की ओर से कोई बयान नहीं जारी किया गया है। पीके ने अपनी भविष्य की रणनीति को लेकर अभी तक कोई खुलासा नहीं किया है। ऐसे में उनकी ओर से ट्वीट की गई दिनकर की दो पंक्तियों को बड़ा संकेत माना जा रहा है। प्रशांत किशोर ने दिनकर की चर्चित कृति रश्मिरथी की दो प्रसिद्ध पंक्तियों को उद्धृत करते हुए लिखा है कि 'तेरी सहायता से जय तो मैं अनायास पा जाऊंगा, आनेवाली मानवता को, लेकिन, क्या मुख दिखलाऊंगा?'

सुलह की जमीन तैयार

पीके की ओर से किए गए इस ट्वीट के बाद माना जा रहा है कि उनके जल्द नीतीश कुमार के साथ हाथ मिलाने की संभावना नहीं है। हालांकि, नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात के बाद बिहार के सियासी हलकों में माना जा रहा था कि 2024 की सियासी जंग से पहले दोनों के बीच सुलह की जमीन तैयार हो गई है।

कभी नीतीश के काफी करीबी थे PK

प्रशांत किशोर किसी जमाने में नीतीश कुमार के काफी करीबी रह चुके हैं। नीतीश ने उन्हें जदयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया था। 2015 के विधानसभा चुनाव में लालू और नीतीश कुमार के बीच गठबंधन में भी प्रशांत किशोर की बड़ी भूमिका बताई जाती है। इस गठबंधन ने एनडीए को बुरी तरह हराया था। हालांकि बाद में नीतीश ने लालू का साथ छोड़ते हुए एक बार फिर भाजपा से हाथ मिला लिया था। अब उन्होंने एक बार फिर भाजपा को झटका देते हुए राजद के साथ हाथ मिला लिया है।

नागरिकता संशोधन विधेयक और एनआरसी का विरोध करने के बाद प्रशांत किशोर से नीतीश कुमार के मतभेद पैदा हो गए थे और नीतीश ने उन्हें जदयू से बाहर कर दिया था। बाद में मीडिया से बातचीत के दौरान नीतीश कुमार का कहना था कि उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के कहने पर प्रशांत किशोर को जदयू की सदस्यता ग्रहण कराई थी। अमित शाह की ओर से इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई गई थी।

मुलाकात की बात नकार गए पीके

नीतीश कुमार से हाल में हुई मुलाकात के बाद पीके ने मीडिया से बातचीत के दौरान मुलाकात की बात को स्वीकार नहीं किया। जन सुराज यात्रा के दौरान इन दिनों बेतिया में पद यात्रा निकाल रहे पीके से जब इस बाबत मीडिया ने सवाल पूछा तो उन्होंने नीतीश से मुलाकात से पूरी तरह इनकार कर दिया। हालांकि, नीतीश कुमार ने इस बात को स्वीकार किया कि उनकी प्रशांत किशोर से मुलाकात हुई है। हालांकि बहुत कुरेदने पर भी नीतीश कुमार ने इस बातचीत के मकसद और बिंदुओं को स्पष्ट नहीं किया। मीडिया के सवालों के जवाब में नीतीश कुमार का कहना था कि इस बाबत उन्हीं से सवाल पूछिए। उनका यह भी कहना था कि प्रशांत किशोर के साथ उनकी सामान्य बातचीत हुई है।

पवन वर्मा ने कराई दोनों की मुलाकात

नीतीश और पीके के मुलाकात की पृष्ठभूमि पूर्व राजनयिक पवन वर्मा ने तैयार की थी। नीतीश से मुलाकात के बाद पवन वर्मा ने प्रशांत किशोर से मुलाकात की थी और फिर पीके और नीतीश की मुलाकात हुई। पवन वर्मा और पीके दोनों को 2020 में जदयू से निष्कासित किया गया था। पवन वर्मा ने बाद में तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली थी मगर उन्होंने हाल ही में टीएमसी से भी इस्तीफा दे दिया है। निष्कासन के बाद प्रशांत किशोर और नीतीश के बीच जुबानी जंग भी चली थी। नीतीश ने तो यहां तक कह डाला था कि पीके को राजनीति की एबीसी तक नहीं पता है।

हालांकि, चुनाव रणनीति के मामले में पीके का लोहा माना जाता रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के लिए चुनावी रणनीति बनाने का काम किया था। इस चुनाव में भाजपा और टीएमसी के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा था, मगर पीके ने साफ तौर पर भविष्यवाणी की थी कि भाजपा को 100 सीटों से ज्यादा कुछ भी हासिल नहीं होगा। आखिरकार पीके की भविष्यवाणी सच साबित हुई थी और भाजपा 77 सीटों पर अटक गई थी।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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