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Bihar Politics: बिहार में कांग्रेस के रुख को लेकर राजद में बढ़ी बेचैनी, अब राहुल के दौरे पर टिकीं निगाहें
Bihar Politics: बिहार में कांग्रेस के रुख को लेकर राष्ट्रीय जनता दल में बेचैनी दिख रही है। कांग्रेस ने अभी तक सीएम फेस को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं जबकि सीटों को लेकर भी पार्टी की ओर से दबाव बनाने की तैयारी है।
Rahul Gandhi (photo: social media )
Bihar Politics: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बाद अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी बिहार के दौरे पर पहुंचने वाले हैं। राहुल गांधी का तीन महीने के भीतर यह बिहार का तीसरा दौरा होगा। बिहार में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बढ़ती सियासी हलचलों के बीच यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है। पिछले दिनों बिहार कांग्रेस के नेताओं की दिल्ली में बड़ी बैठक हुई थी इस बैठक के बाद राहुल गांधी पहली बार 7 अप्रैल को बिहार पहुंचने वाले हैं।
बिहार में कांग्रेस के रुख को लेकर राष्ट्रीय जनता दल में बेचैनी दिख रही है। कांग्रेस ने अभी तक सीएम फेस को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं जबकि सीटों को लेकर भी पार्टी की ओर से दबाव बनाने की तैयारी है। ऐसे में राहुल गांधी के प्रस्तावित दौरे और पार्टी की चुनावी रणनीति पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं।
अमित शाह के बाद अब राहुल पहुंचेंगे बिहार
बिहार में अक्टूबर-नवंबर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए और विपक्षी महागठबंधन दोनों की ओर से जोरदार तैयारी की जा रही हैं। बिहार में कांग्रेस ने राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन में रहकर ही चुनाव लड़ने का फैसला किया है। पिछले दिनों बिहार कांग्रेस के नेताओं की दिल्ली में हाईकमान के साथ हुई बैठक के दौरान इस बाबत फैसला लिया गया था। दूसरी ओर भाजपा और जदयू का तीन सहयोगी दलों के साथ मिलकर एनडीए की ताकत दिखाने का इरादा है।
चुनावी तैयारी में जुटे एनडीए और विपक्षी महागठबंधन की ओर से एक-दूसरे को पटखनी देने का बड़ा दावा किया जा रहा है। एनडीए की चुनावी रणनीति तय करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शनिवार को दो दिवसीय बिहार दौरे पर पहुंचे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अप्रैल में बिहार का दौरा करने वाले हैं। शाह के इस दौरे के बाद अब राहुल गांधी 7 अप्रैल को पटना पहुंचने वाले हैं। ऐसे में उनका यह दौरा सियासी नजरिए से काफी अहम हो गया है।
कांग्रेस की सियासी जमीन मजबूत बनाने की कोशिश
हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली की चुनावी हार के बाद कांग्रेस बिहार में अपनी सियासी जमीन को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटी हुई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार पर विशेष तौर पर फोकस कर रखा है। वे लगातार राज्य का दौरा करने में जुटे हुए हैं। इससे पहले वे 18 जनवरी और 5 फरवरी को बिहार की दो यात्राएं कर चुके हैं। अब वे 7 अप्रैल को फिर बिहार के दौरे पर पहुंचने वाले हैं।
इस दौरान वे महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह की याद में शहर के श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित होने वाले संविधान सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। अपने पिछले दौरे के समय उन्होंने बिहार के जातिगत सर्वे को खारिज कर दिया था जबकि राजद की ओर से इसे महागठबंधन सरकार की बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रचारित करता रहा है। इसे कांग्रेस और राजद के बीच अनबन के रूप में देखा गया था।
कांग्रेस के रुख से राजद में क्यों है बेचैनी
बिहार में कांग्रेस के रुख को लेकर राजद में बेचैनी दिख रही है। दरअसल पिछले दिनों कांग्रेस हाईकमान की ओर से राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाने वाले अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाकर बिहार में पार्टी की कमान राजेश कुमार को सौंप दी गई थी। दलित बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले राजेश कुमार की यह नियुक्ति राज्य में दलित समीकरण साधने की बड़ी कोशिश मानी जा रही है।
इससे पहले कांग्रेस हाईकमान ने दक्षिण भारतीय कृष्णा अल्लावरु को प्रदेश में पार्टी का प्रभारी बनाया था। कृष्ण अल्लावरु राजद के प्रति बेरुखी दिखाते रहे हैं और बिहार का कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने अभी तक राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव के दरबार में हाजिरी नहीं लगाई है। बिहार में कांग्रेस नेता अभी तक लालू के दरबार में हाजिर होते रहे हैं और ऐसे में कृष्ण अल्लावरु का रुख भी राजद की बेचैनी बढ़ने वाला साबित हो रहा है।
सीएम फेस को लेकर कांग्रेस का रुख साफ नहीं
कांग्रेस ने बिहार में सीएम चेहरे को लेकर अभी तक अपना रुख साफ नहीं किया है। दिल्ली में बिहार कांग्रेस के नेताओं की बैठक के बाद पार्टी के प्रदेश प्रभारी कृष्ण अल्लावरु ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि सीएम पद का मामला समय आने पर देखा जाएगा। दूसरी ओर राजद ने पहले ही सीएम चेहरे के रूप में तेजस्वी यादव का नाम घोषित कर दिया है। राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव ने अगले विधानसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन की बड़ी जीत और उसके बाद तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनने का ऐलान कर रखा है।
ऐसे में कांग्रेस की ओर से अभी तक तेजस्वी के नाम पर मुहर न लगाना हैरानी भरा कदम माना जा रहा है। इसके साथ ही कांग्रेस में सीटों की संख्या को लेकर भी अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। कांग्रेस की ओर से इस बार अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने और जीत की संभावना वाली सीटों को लेकर दबाव बनाने की रणनीति पर काम किया जा रहा है।
ऐसे में राहुल गांधी का प्रस्तावित बिहार दौरा सियासी नजरिए से काफी अहम हो गया है। अब य। देखने वाली बात होगी कि अपनी यात्रा के दौरान राहुल गांधी क्या रुख अपनाते हैं। राज्य में सीएम चेहरे को लेकर भी उनके रुख का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है।