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Railway Recruitment: बिहार में रेलवे के प्रतियोगी अभ्यर्थी क्यों भड़के, जानें यहां सब कुछ
बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर इन दिनों बड़ी संख्या में नाराज युवाओं ने सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया है। जिस के कुछ उदाहरण उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और बिहार के पटना में देखने को मिले हैं।
देश के दो बड़े राज्य बिहार और उत्तर प्रदेश में 2 दिनों से छात्र सड़क और रेलवे ट्रैक पर आकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कई जगह तो प्रदर्शन इतना उग्र हुआ कि छात्रों को हटाने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। यह सभी छात्र सरकार से रोजगार की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्रों के इस प्रदर्शन में किसी भी राजनीतिक दल या किसी भी नेता का कोई संबंध नहीं है। यह सभी छात्र रोजगार ना मिलने तो हाल के वर्षों में हुई परीक्षाओं और उनके परिणामों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
पिछले 2 साल से भारत मैं कोरोना वायरस के कारण प्राइवेट सेक्टर में नौकरियों का बुरा हाल हुआ है। वहीं बीते कुछ सालों में सरकारी नौकरियां भी मांग के हिसाब से नहीं मिली हैं। परीक्षा पेपर लीक, परीक्षा होने के बाद सही तरीके से कॉपी जांच होने या किसी अन्य कारण से भर्ती प्रक्रिया पूरी ना हो सकी। कुछ वैकेंसी तो परीक्षा हो जाने के बाद सही तरीके से परिणाम ना आने के कारण कोर्ट में लंबित हैं। जिसके कारण प्रदेश के युवाओं को पूरी मेहनत और पूरी तैयारी करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रहा है। इसी कारण से इन दिनों उत्तर प्रदेश और बिहार में छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
बता दें बीते 2 दिन से बिहार के अलग-अलग जनपदों में छात्रों ने सरकार के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किया है। पटना और सीतामढ़ी में तो छात्रों ने ट्रेन के पटरी पर बैठ कर विरोध प्रदर्शन किया जिसके कारण इन रूटों पर चलने वाली कई ट्रेनों को रद्द करना पड़ा तो कई ट्रेनों की रफ्तार पर असर पड़ा है। छात्र अपनी मांग को लेकर अभी भी कई जगह विरोध प्रदर्शन करते हुए डटे पड़े हैं। बिहार के पटना में तो इन छात्रों को काबू में करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले भी चलाये हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में भी बहुत से छात्रों ने राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है। जिसके बाद पुलिस ने छात्रों पर लाठी चार्ज किया है।
बिहार और उत्तर प्रदेश में इन छात्रों का प्रदर्शन तब शुरू हुआ जब रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड द्वारा एनटीपीसी 2019 के परीक्षा परिणामों का घोषणा किया गया। परीक्षा परिणाम आने के बाद छात्रों ने रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं। आइए जानते हैं कि आखिर यह छात्र किन-किन बातों से नाराज होकर इस कदर उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं।
पहले भी करना पड़ा था आंदोलन
हाल ही में रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड द्वारा एनटीपीसी के परीक्षा परिणामों का घोषणा किया गया है। एनटीपीसी के परीक्षा परिणाम आने के तुरंत बाद ही छात्रों ने रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड पर एनटीपीसी परीक्षा में धांधली का आरोप लगा दिया। बता दें एनटीपीसी के इस भर्ती के लिए 2019 में कुल 37000 पदों पर वैकेंसी निकली थी। फॉर्म भरने के 1 साल बाद तक भी जब इन पदों पर भर्ती के लिए परीक्षाएं नहीं हुई तो छात्रों ने आंदोलन किया था। जिसके बाद 2021 में रेलवे भर्ती बोर्ड ने परीक्षा का आयोजन करवाया और अभी 14 जनवरी 2022 को ही एनटीपीसी का परिणाम घोषित हुआ है।
इंटरमीडिएट के सीट पर ग्रेजुएशन वालों का कब्जा
छात्रों का कहना है कि इस परीक्षा परिणाम में ग्रेजुएशन पास छात्रों ने इंटर पास छात्रों का हक मार लिया है। क्योंकि वैकेंसी के वक्त नोटिफिकेशन में यह साफ तौर से बताया गया था कि कौन सा पद ग्रेजुएशन पास छात्रों के लिए होगा और कौन सा पद इंटरमीडिएट पास छात्रों के लिए। लेकिन जब परीक्षा परिणाम आया तो इनमें ज्यादातर इंटरमीडिएट वाले छात्रों के सीट पर ग्रेजुएशन वाले छात्रों ने कब्जा जमा लिया था जिसके कारण इंटरमीडिएट पास रिजल्ट छात्र डिसक्वालिफाइड हो गए।
पेपर एक पर कटऑफ अलग
इस मामले को लेकर कई अध्यापकों का कहना है कि इस परीक्षा में रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड ने इंटरमीडिएट पास स्टूडेंट और ग्रेजुएशन पास स्टूडेंट्स को एक ही तरह का पेपर दिया था लेकिन परीक्षा परिणाम आने के बाद ग्रेजुएशन वाले छात्रों का कटा 73 नंबर तो वही इंटरमीडिएट वाले छात्रों का कट ऑफ 92 नंबर दिया गया यही सबसे बड़ा कारण है कि एनटीपीसी के परीक्षार्थी रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड पर धांधली का आरोप लगा रहे हैं।
हालांकि देश के दो बड़े राज्यों में इस तरह के बड़े स्तर पर परीक्षार्थियों द्वारा प्रदर्शन किए जाने के बाद रेलवे ने छात्रों को आश्वासन दिया है। कि परीक्षा परिणामों में किसी भी प्रकार का धांधली नहीं होगा जो उम्मीदवार पात्र होंगे उन्हें उनके शैक्षिक योग्यता के अनुसार नौकरी जरूर प्रदान की जाएगी।