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आनंद कुमार के बाद अब Super 30 के जनक अभयानंद और "1 रुपया गुरु दक्षिणा" में पढ़ाने वाले RK श्रीवास्तव को पद्मश्री देने की मांग
Padma Shri Award RK Srivastava Mathematics Guru: आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स और अभिभावकों के तरफ से मांग उठ रही की आनंद कुमार के बाद भारत सरकार को अभयानंद और आरके श्रीवास्तव को पद्म पुरस्कार से सम्मानित करना चाहिए।
Padma Shri Award: गरीब बच्चों के सपने पूरा कराने के सफर पर निकले शिक्षक आनंद कुमार, अभयानंद और मैथमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव देश में बड़ा नाम बन चुके हैं। इनके शैक्षणिक कार्यशैली के तहत काफी जरूरतमंद बच्चे अपने सपने को साकार कर रहे है। अभयानंद और आनंद कुमार दोनों एक साथ मिलकर Super 30 नामक संस्था की स्थापना की था।शुरुआत में कुछ वर्षो तक दोनो साथ मिलकर पढ़ाते थे और प्रत्येक वर्ष आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स IIT और NIT कॉलेजों में पहुंचाकर इंजीनियर बनने का अपना सपना साकार करने लगे। किसी कारणवश अभयानंद और आनंद कुमार दोनों अलग हो गए और Super 30 दो भागों में बट गया। आनंद सुपर 30 और अभयानंद सुपर 30, दोनों को अलग होने के बाद भी गरीब स्टूडेंट्स के सपने आज भी साकार होते आ रहे है। Super 30 के माध्यम से आनंद कुमार और अभयानंद राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे रहे है।
आनंद कुमार को तो उनके बेहतर कार्य के लिए फल मिल चुका है यानी भारत सरकार के द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। लेकिन जब आनंद कुमार और अभयानंद दोनों की कार्यशैली एक जैसी, दोनों का उद्देश्य बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाना। जोकि अभयानंद अभी तक कर रहे हैं। पर इसके बाद भी अभयानंद को किसी कारणवश इस वर्ष पद्मश्री पुरस्कार नहीं मिला।
ऐसे में आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स और अभिभावकों के तरफ से मांग उठ रही है कि आनंद कुमार के बाद भविष्य में भारत सरकार को अभयानंद और आरके श्रीवास्तव को पद्म पुरस्कार से सम्मानित करना चाहिए।
कौन है "1 रुपया में पढ़ाने वाला" आरके श्रीवास्तव
RK Srivastava Mathematics Guru
एक गरीब परिवार में जन्मे आरके श्रीवास्तव की पूरी जिंदगी संघर्षों से भरी है। आज इसी कड़ी में आइए जानते हैं, एक गणितज्ञ के " 1 रुपया गुरु दक्षिणा" प्रोग्राम के जरिये एक ऐसा शिक्षक बनने की कहानी, जिसने जो कहा-कर दिखाया है।
1 रुपए फीस लेकर 500 छात्रों को इंजीनियर बनाया
बिहार में एक ऐसे मैथमेटिक्स गुरु हैं जो गरीब बच्चों को महज 1 रुपए में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करवाते हैं। यही नहीं करीब 450 से अधिक स्टूडेंट्स को अब तक इंजीनियर भी बना चुके हैं। हम बात कर रहे हैं रोहतास जिले के बिक्रमगंज निवासी आरके श्रीवास्तव की। वे गूगल बॉय नाम से प्रसिद्ध कौटिल्य में भी पढ़ाते हैं। महज 35 की उम्र में वे देश और दुनिया भर में प्रसिद्ध हो चुके हैं।
आरके श्रीवास्तव 2008 से ही इंजीनियरिंग और अन्य प्रवेश परीक्षा की पढ़ाई करा रहे हैं। उन्होंने अपना नाम ऐसा बनाया कि गूगल पर मैथमेटिक्स गुरु सर्च करने पर सबसे ऊपर उनका नाम आता है। आरके अपना एक इंस्टीट्यूट बिक्रमगंज में '1 रुपए गुरु दक्षिणा प्रोग्राम' चलाते हैं। वहीं सैकड़ों गरीब बच्चे मात्र 1 रुपए देकर पढ़ाई कर रहे हैं। उनके इस संस्थान में और भी शिक्षक हैं जिसे आरके श्रीवास्तव ने नौकरी पर रखा है।
कई रिकॉर्ड्स में नाम हो चुका है दर्ज
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स सहित कई रिकॉर्ड बुक में है नाम दर्ज, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी इनके शैक्षणिक कार्यशैली को प्रशंसा कर चुके हैं।
1 रुपए से कैसे चलता है इनका परिवार?
बहुत से लोगों में मन में सवाल आता होगा कि शिक्षक श्रीवास्तव का परिवार और जीवनयापन उस 1 रुपए में कैसे चलता है। जब हमने उनसे बातचीत की और इस बारे में जाना तो शिक्षक ने बताया कि वे गरीब बच्चों को 1 रुपए में पढ़ाने के साथ देश भर के सम्मानित संस्थाओं में भी गेस्ट फैकल्टी के तौर पर पढ़ाते हैं, उसी से उन्हें पैसे मिलते हैं।