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Bihar Politics: ललन के दुश्मन थे, नीतीश से लड़ पड़े, RJD का इलाज करने वाले थे..निपट गए विजय सिन्हा

Bihar Politics: बिहार विधानसभा के अध्यक्ष पद से विजय कुमार सिन्हा ने इस्तीफा दे दिया है। नई सरकार में राजद के 'चौधरी' को ये पद मिल सकता है। हालांकि, जदयू वाले भी चर्चा में हैं।

Shishir Kumar Sinha
Published on: 11 Aug 2022 3:23 PM IST (Updated on: 11 Aug 2022 6:39 PM IST)
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Vijay Kumar Sinha

Bihar Political Drama: कोई एक घर छोड़कर तो चलना ही चाहिए, लेकिन एनडीए (NDA) की पिछली सरकार में जब विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha ) को बिहार विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी मिली तो उन्होंने किसी को नहीं छोड़ा। सत्तारूढ़ दल छोड़िए, राज्य के मुखिया नीतीश कुमार को भी गरम मिजाज में सीख देते रहे। नतीजा सामने है। मुखिया वही, मगर सरकार नई…। इसके पीछे के कई कारणों में एक विजय कुमार सिन्हा भी थे।

मंगलवार को बिहार में जैसे ही एनडीए की सरकार गिरी और महागठबंधन का दावा हुआ, तय हो गया कि मंत्रियों के साथ विधानसभा अध्यक्ष की भी फाइल बंद होगी। गुरुवार को अंतत: विजय कुमार सिन्हा ने बिहार विधानसभा के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया। इस त्यागपत्र के साथ ही सदन में मुख्यमंत्री के साथ उनकी हुई पुरानी बहस का वीडियो भी वायरल होने लगा।


जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से दुश्मनी चर्चित

विजय कुमार का 'सिन्हा' भले टाइटल है, लेकिन वह हैं भूमिहार जाति से। इसी तरह राजीव रंजन सिंह (Rajeev Ranjan Singh) उर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) का भी टाइटल भले सिंह है, लेकिन यह भी भूमिहार जाति से हैं। दोनों का प्रभावी क्षेत्र एक ही है। दोनों के बीच कभी दोस्ती रही हो, ऐसा किसी ने नहीं सुनी। राजनीतिक दुश्मनी ऐसी कि दोनों एक चुनाव में भले न उतरें, लेकिन सामने वाले को हराने की हर कोशिश कर लेते हैं। घर तक में घुसकर।

कभी अनंत सिंह से ललन को थी परेशानी

पिछले विधानसभा चुनाव में विजय कुमार सिन्हा लखीसराय से चुनाव लड़ रहे थे और सांसद ललन सिंह के लोग कथित तौर पर सिन्हा को हराने के लिए गुटों में बंटकर काम कर रहे थे। कई जगह सिन्हा को खदेड़ा गया, तो आरोप ललन सिंह पर ही लगा। यह पहली बार नहीं था और न ही अंतिम बार। भूमिहार जाति बाहुल्य क्षेत्र में इसी जाति के दो धुरंधरों के बीच दुश्मनी लंबे समय से चली आ रही है। जब तक बाहुबली अनंत सिंह (Bahubali Anant Singh) मैदान में थे, ललन सिंह ज्यादा परेशान थे। लेकिन, अब उनके सामने विजय सिन्हा अकेले हैं।


जेडीयू के निशाने पर थे विजय कुमार सिन्हा

इस बार बिहार में एनडीए सरकार गिरने में भाजपाई विधायक से विधानसभा अध्यक्ष बने विजय कुमार सिन्हा की बड़ी भूमिका थी। विजय कुमार सिन्हा ने भरे सदन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बहुत तीखे शब्द कहे थे, जिसके बाद जदयू अध्यक्ष ललन सिंह से जुड़े लोगों के साथ ही सत्तारूढ़ दल के सभी लोगों ने विधानसभा अध्यक्ष को 'टारगेट' कर रखा था। बीजेपी के लोग भी विजय कुमार सिन्हा से ऐसे ही व्यवहार के कारण गुस्से में थे। जदयू के साथ अपनी भी पार्टी के विधायकों का सिन्हा को साथ नहीं मिलना तय था। इसलिए विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी जाना भी तय ही था।

मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष को कहा था- यह मंजूर नहीं है

बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के साथ उनके क्षेत्र लखीसराय में पुलिस अधिकारियों की बदसलूकी की जांच चल रही थी। इसकी रिपोर्ट समिति के रास्ते कोर्ट में जानी थी, लेकिन बार-बार बीजेपी विधायक सदन में इस पर सरकार को घेर रहे थे। इस साल मार्च में इस पर मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष को पहले हल्के तरीके से कहा, कि जब जांच चल रही है तो इस तरह मामले को बार-बार नहीं उठाया जाए। इस पर विजय सिन्हा भी चुप नहीं रहे। उन्होंने अध्यक्ष की कुर्सी का हवाला देकर कहा, कि उनकी बात सुनी जाए। बार-बार एक ही बात दोहराए जाने से मुख्यमंत्री ने सीधे तौर पर उन्हें चेताया था कि इस तरह का व्यवहार मंजूर नहीं होगा। सदन में विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के बीच हुई इस तीखी बहस का वीडियो अब एक बार फिर वायरल हो रहा है, जब विजय कुमार सिन्हा का इस्तीफा आ गया।


RJD के 18 विधायकों की सदस्यता के लिए खतरा थे विजय

सत्तारूढ़ दल से होते हुए अपने ही साथी विधायकों के साथ मुख्यमंत्री को नाराज करने वाले विजय कुमार सिन्हा ने विपक्षियों को भी नहीं बख्शा था। सदन में तेजस्वी समेत राजद-कांग्रेस के नेताओं से उनकी बहस होती रहती थी। सदन में विधानसभा अध्यक्ष से दुर्व्यवहार में अनुशासन समिति ने राजद के 18 विधायकों को दोषी करार दिया था। एनडीए सरकार में विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा इनकी विधायकी निरस्त करने की तैयारी में थे। मंगलवार को जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, उस समय तक भाजपा के अंदर यह बात चल रही थी। अगर ऐसा हो गया होता तो भारतीय जनता पार्टी सदन में सबसे बड़ी पार्टी हो जाती। महागठबंधन के साथ सरकार बनाने की तैयारी कर रहे जदयू के नेताओं को इसका आभास था, इसलिए बहुत तेजी से राजनीतिक घटनाक्रम बदला और बीजेपी के केंद्रीय नेताओं की बात सुने बगैर ही जदयू के दिग्गज नेताओं ने एनडीए से निकल महागठबंधन की सरकार बनाने का फैसला लिया।


राजद वाले चौधरी का दावा मजबूत, दावेदार जदयू वाले भी

बिहार विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके जदयू के विजय कुमार चौधरी एनडीए की अभी गई सरकार में शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग को बतौर मंत्री संभाल रहे थे। अभी महागठबंधन की सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार बाकी है। ऐसे में महागठबंधन में शामिल दलों के बीच मंत्रिमंडल के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर भी संतुलन का गणित बैठाया जा रहा है। चूंकि, मुख्यमंत्री जदयू से हैं। इसलिए विधानसभा अध्यक्ष राजद से देने की संभावना ज्यादा है। इसमें अवध बिहारी चौधरी (Awadh Bihari Chowdhary) का नाम लगभग तय माना जा रहा है। क्योंकि, पिछली बार राजद ने उन्हें विजय कुमार सिन्हा से मुकाबले के लिए तब उतारा था, जब संख्या बल के हिसाब से हार तय थी। इस बार महागठबंधन की सरकार (Mahagathbandhan Government) है और राजद उसमें शामिल सबसे ज्यादा विधायकों वाला दल। इसलिए, कहा जा रहा है कि लालू प्रसाद के जमाने के राजद नेता अवध बिहारी चौधरी को यह कुर्सी मिल जाएगी।



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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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