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Adani Green Energy: अदाणी ग्रीन एनर्जी को यूपीपीसीएल से 1,250 मेगावाट एनर्जी स्टोरेज कैपेसिटी का एलओए मिला
Adani Green Energy: यह परियोजना सोनभद्र, उत्तर प्रदेश में स्थापित की जाएगी और इसकी न्यूनतम अवधि 40 वर्ष होगी। इसे अगले छह वर्षों में पूरा करने की योजना है।
Adani Green Energy gets LOA for 1250 MW energy storage capacity from UPPCL (Image From Social Media)
Adani Green Energy: भारत की सबसे बड़ी रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) ने आज घोषणा की कि उसे उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) से 1,250 मेगावाट पंप्ड हाइड्रो स्टोरेज प्रोजेक्ट (पीएसपी) के लिए लेटर ऑफ अवार्ड (एलओए) प्राप्त हुआ है। यह परियोजना सोनभद्र, उत्तर प्रदेश में स्थापित की जाएगी और इसकी न्यूनतम अवधि 40 वर्ष होगी। इसे अगले छह वर्षों में पूरा करने की योजना है।
भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बड़े पैमाने पर एनर्जी स्टोरेज परियोजनाओं की जरूरत है, ताकि रिन्यूएबल एनर्जी को ग्रिड में बेहतर तरीके से शामिल किया जा सके और चौबीसों घंटे स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराई जा सके। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए अदाणी ग्रीन एनर्जी ने अपनी परियोजनाओं में एनर्जी स्टोरेज समाधानों को भी जोड़ा है। कंपनी पहले से ही सौर, पवन और हाइब्रिड ऊर्जा परियोजनाओं पर काम कर रही है।
अदाणी ग्रीन का लक्ष्य 2030 तक 5 गीगावाट हाइड्रो पंप्ड स्टोरेज क्षमता जोड़ने का है। कंपनी पहले से ही आंध्र प्रदेश में चित्रावती नदी पर 500 मेगावाट, महाराष्ट्र के तराली में 1,500 मेगावाट और आंध्र प्रदेश के गांडीकोटा में 1,800 मेगावाट की हाइड्रो पंप्ड स्टोरेज परियोजनाओं का निर्माण शुरू कर चुकी है।
हाइड्रो पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट (पीएसपी) सबसे किफायती, विकसित और विस्तार योग्य तकनीकों में से एक है, जिसमें अपार संभावनाएँ हैं। हाइड्रो पीएसपी सोलर एनर्जी से दिन के समय बिजली उत्पन्न कर पानी को ऊँचाई पर पंप करता है और फिर इसे रात में जरूरत के समय छोड़कर ऊर्जा की आपूर्ति करता है। यह पूरी तरह से सतत और पर्यावरण के अनुकूल तरीका है।
यह तकनीक समय-परीक्षित और घरेलू स्तर पर उपलब्ध होने के साथ-साथ सबसे स्वच्छ और सुरक्षित ऊर्जा भंडारण समाधान भी है। हाइड्रो पीएसपी से ग्रिड स्थिरता, ऊर्जा प्रबंधन में आसान और पीक लोड को कम करने जैसी सुविधाएँ मिलती हैं। इसके अलावा, यह फ्रीक्वेंसी नियंत्रण और बैकअप ऊर्जा उत्पादन में भी मदद करता है, जिससे यह एक मजबूत और विश्वसनीय ऊर्जा संरचना का महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाता है।