×

Mundra Port: मुंद्रा पोर्ट ने पूरे किए संचालन के 25 साल, राष्ट्रीय खजाने में दिया 2.25 लाख करोड़ रुपये का योगदान

Mundra Port: 7 अक्टूबर, 1998 को अपना पहला जहाज, एमटी अल्फा स्थापित करने के बाद से, पोर्ट ने लगातार एक दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाते हुए अटूट महत्वाकांक्षा और त्रुटिहीन निष्पादन का प्रदर्शन किया है, जिससे पोर्ट को वैश्विक मानचित्र पर प्रमुख और तकनीकी रूप से उन्नत पोर्टस में से एक के रूप में स्थान मिला है।

Network
Newstrack Network
Published on: 8 Oct 2023 4:56 PM GMT
Mundra Port
X

Mundra Port (Pic:Social Media) 

Mundra Port: एक ऐतिहासिक यात्रा की स्मृति के रूप में, मुंद्रा पोर्ट विश्व स्तर पर सबसे बड़े पोर्टस में से एक के तौर पर, अपने विस्तार और विकास को जाहिर करते हुए, 25 साल के पाथ ब्रेकिंग संचालन का जश्न मना रहा है। 7 अक्टूबर, 1998 को अपना पहला जहाज, एमटी अल्फा स्थापित करने के बाद से, पोर्ट ने लगातार एक दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाते हुए अटूट महत्वाकांक्षा और त्रुटिहीन निष्पादन का प्रदर्शन किया है, जिससे पोर्ट को वैश्विक मानचित्र पर प्रमुख और तकनीकी रूप से उन्नत पोर्टस में से एक के रूप में स्थान मिला है।

दुनिया के सबसे बड़े पोर्टस में से एक

एक महत्वपूर्ण ट्रेड गेटवे के रूप में उभरते हुए, मुंद्रा पोर्ट एक मल्टीमॉडल हब के तौर पर विकसित हुआ है जो व्यापार को बढ़ावा देने के साथ साथ आर्थिक प्रगति को मजबूत करता है। अपनी मामूली शुरुआत से लेकर यह महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ा है और पिछले 25 वर्षों में राज्य और राष्ट्रीय खजाने में 2.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दिया है, जो भारत के आर्थिक निर्माण में इसकी मुख्य भूमिका को दर्शाता है। साथ ही, इसने स्थापना के बाद से 7.5 करोड़ मानव दिवस से अधिक रोजगार उत्पन्न किया है।

1998 में मुट्ठी भर टन से, मुंद्रा ने 2014 में 100 एमएमटी का प्रबंधन किया, जो ऐसा करने वाला भारत का पहला पोर्ट था। आज, यह पोर्ट 155 एमएमटी (फिर से भारत में पहला) से अधिक का प्रबंधन करता है, जो भारत के समुद्री कार्गो का लगभग 11% है। मुंद्रा कंटेनर ट्रैफिक के लिए ईएक्सआईएम गेटवे भी है। असल में, भारत का 33% कंटेनर ट्रैफिक एक समर्पित कार्गो कॉरिडोर के माध्यम से मुंद्रा पोर्ट के जरिए बहता है जो उत्तरी भीतरी इलाकों से मुंद्रा तक डबल-स्टैक कंटेनरों की एक अनूठी सुविधा प्रदान करता है।

इस अवसर पर बोलते हुए, अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी ने कहा, "मुंद्रा, मेरे लिए, सिर्फ एक पोर्ट से कहीं अधिक है। यह पूरे अदाणी समूह के लिए संभावनाओं के क्षितिज का समुंद्री तट है। 25 साल पहले, जब हमने इस यात्रा की शुरुआत की थी, इस दौरान, हमने एक ऐसे प्रकाशस्तंभ का सपना देखा था जो भारत के आगे बढ़ने का प्रतिनिधित्व करेगा। इस प्रतिबद्धता की धड़कन न केवल मुंद्रा में, बल्कि पूरे देश में गूंजती है और प्रत्येक स्टेकहोल्डर के विश्वास में गूंजती है, जिन्हे हमारे साथ इस यात्रा पर चलने का भरोसा था। हमारे सिल्वर जुबली के अवसर पर, मुंद्रा वह गवाह है जो सोच, संघटन और एक एकजुट समुदाय का सामंजस्य होने पर क्या अद्भुत चीजें हो सकती हैं, यह दिखाता है। अपने कर्मचारियों और भागीदारों के साथ, हमने केवल एक पोर्ट का निर्माण नहीं किया है; बल्कि, हमने एक वैश्विक उत्कृष्टता का प्रतीक निर्मित किया है, जिसने पूरे क्षेत्र को परिवर्तित किया है और नए नक्शों को तैयार किया है। हमारा आत्मविश्वास कभी भी इतना ऊंचा नहीं था और मुंद्रा वैश्विक कैनवास पर नए मानक स्थापित करते हुए आगे बढ़ना जारी रखेगा।''

इस मौके पर सीईओ और पूर्णकालिक निदेशक, करण अदाणी ने कहा, “आज, मुंद्रा विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रदर्शन कर रहा है और जो कोई भी मुंद्रा को देखता है वह सहमत होगा कि यह गौतम अदाणी जैसे अग्रणी उद्यमियों की दृष्टि और दृढ़ संकल्प के लिए एक बहुत ही स्पष्ट श्रद्धांजलि है, जिन्होंने बड़ा सोचना और दीर्घकालिक सोचने से इनकार कर दिया। केवल 25 वर्षों में मुंद्रा के इस बहुआयामी परिवर्तन को हम राष्ट्र निर्माण में अदाणी समूह के विनम्र योगदान के रूप में देखते हैं। जो कभी बंजर था वह अब भारत का एक्जिम गेटवे और व्यापार व वाणिज्य के लिए एक असाधारण वैश्विक केंद्र है। मैं बहुत आत्मविश्वास से कहूंगा कि हम भारत के विकास के लिए एक शक्तिशाली उत्प्रेरक बनाने में सफल रहे हैं और मुझे यह भी विश्वास है कि हमारी यात्रा अभी शुरू हुई है।

मुंद्रा पोर्ट निर्बाध मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी के साथ विशाल उत्तरी भीतरी इलाकों में सेवा प्रदान करता है। देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक पोर्ट के रूप में, 35,000 एकड़ में फैला, मुंद्रा सबसे बड़े कोयला, प्राकृतिक गैस और ऑटो टर्मिनलों सहित अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। इसकी गहरी ड्राफ्ट और सभी मौसम की क्षमताएं, कुशल कार्गो निकासी तथा न्यूनतम टर्नअराउंड समय सुनिश्चित करती हैं। इसके रणनीतिक फायदे और बेहतर सुविधाओं ने इसे प्रमुख वैश्विक शिपिंग लाइनों के लिए पसंदीदा विकल्प बना दिया है।

हरित पहल से लेकर टिकाऊ परिचालन तरीकों तक, पर्यावरण के प्रति जागरूक गतिविधियों में मुंद्रा पोर्ट सबसे आगे रहा है। इसने मैंग्रोव वनीकरण और संरक्षण का कार्य किया है जिसमें लगभग 6,000 हेक्टेयर में स्थलीय वनीकरण शामिल है, जिसके अंतर्गत 17.5 मिलियन पौधे लगाए गए हैं। अध्यक्ष गौतम अदाणी के 100 मिलियन पेड़ों के दृष्टिकोण के अनुरूप, 2030 तक अतिरिक्त 4 मिलियन पेड़ लगाने की योजना है।

समुदाय के प्रति अपनी गहरी प्रतिबद्धता के साथ, अदाणी फाउंडेशन आज मुंद्रा के 61 गांवों और कच्छ के विभिन्न हिस्सों के 113 गांवों के निवासियों के जीवन से जुड़ा हुआ है, जिससे 3.53 लाख लोग प्रभावित होते हैं। अदाणी समूह के आने से क्षेत्र में गहरा बदलाव आया है, जिसके तहत अदाणी फाउंडेशन ने शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से कस्बों और गांवों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह समूह के लोकाचार, सामाजिक जिम्मेदारी के साथ साथ व्यापार विकास को दर्शाता है।

कच्छ पहले कृषि, पशुपालन और श्रम पर निर्भर था, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और बुनियादी ढांचे की कमी के कारण कई लोग अन्यत्र अवसरों की तलाश में थे। कौशल-विकास कार्यक्रमों की बदौलत, युवाओं ने अब कई प्रकार के व्यवसायों को अपना लिया है। शैक्षणिक परिदृश्य फला-फूला है, यहां तक कि अदाणी विद्या मंदिर, वंचित बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी प्रदान करता है। स्वास्थ्य देखभाल, जो कभी अल्पविकसित था, अब उन्नत प्रक्रियाओं में सक्षम परिष्कृत अस्पतालों द्वारा सेवा प्रदान करता है। बढ़ी हुई सड़क कनेक्टिविटी, तेजी से बढ़ते रियल एस्टेट क्षेत्र और बढ़ी हुई क्रय शक्ति के कारण जीवन स्तर में सुधार हुआ है। कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी पर जोर देते हुए समग्र विकास, महिला सशक्तिकरण और इंफ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि के बीज बोए हैं, जिससे क्षेत्र के सामाजिक-सांस्कृतिक ताने-बाने को नया आकार मिला है।

Durgesh Sharma

Durgesh Sharma

Next Story