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फोर्ड पहली नहीं ये कंपनियां भी छोड़ चुकी हैं देश, जानिये वजह
भारत से विदेशी वाहन निर्माता कंपनियों के पलायन का सिलसिला जारी है।
लखनऊ: भारत से विदेशी वाहन निर्माता कंपनियों के पलायन का सिलसिला जारी है। बोरिया बिस्तर बांधने वालों में लेटेस्ट नाम है अमेरिका की दिग्गज वाहन निर्माता कंपनी फोर्ड मोटर का। जिसने भारत में अपने प्लांट बंद करने का एलान किया है। फोर्ड की कारें अब भारत में नहीं बनेगी बल्कि उनको किसी अन्य देश से इम्पोर्ट करके भारत में बेचा जाएगा। फोर्ड, भारत में फीगो, एस्पायर, फ्रीस्टाइल, इको स्पोर्ट और एंडेवर मॉडल बना रही थी।
विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, डेढ़ अरब के करीब जनसंख्या, विशाल मिडिल क्लास–ये सब भारत को विदेशी कंपनियों के लिए एक बेहद आकर्षक बाजार बनाते हैं। कम्पनियां बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ भारतीय बाजार में प्रवेश करती हैं। लेकिन कई कम्पनियां कुछ ही बरसों में हताश हो कर पैकअप कर लेती हैं। ऑटोमोबाइल सेक्टर में यह अक्सर देखा जा रहा है। बीते कुछ बरसों में कारों के बड़े बड़े ब्रांड्स डगमगाते नजर आये हैं। जबकि किया और एमजी जैसे नवांगतुक कंपनियों ने भारी सफलता दर्ज की है।
दरअसल, भारत का बाजार सबसे अलग है। यहां कार खरीदने वाला आम ग्राहक एक लम्बे समय के लिए गाड़ी खरीदता है। उसे ईंधन की खपत की ज्यादा चिंता होती है। इसके बाद सर्विस भी सस्ती और सर्वसुलभ चाहिए। ग्राहक रीसेल वैल्यू का भी ध्यान रखता है। जो कम्पनियां इन पैमानों पर खरी नहीं उतरतीं उन्हें घाटा सहना पड़ता है। सुजुकी और हुंडई की सफलता का राज इन्हीं पैमानों पर खरा उतरना है।
बीते 5 साल में भारत छोड़ने वाली ऑटोमोबाइल कम्पनियां कुछ इस प्रकार हैं
फोर्ड: अमेरिका की फोर्ड कंपनी ने भारत में 25 साल गुजराने के बाद इसी महीने यानी सितम्बर से भारत स्थित अपने दोनों प्लांट बंद करने की घोषणा की है। बीते दस साल में फोर्ड ने भारत में 2 अरब डॉलर का घाटा उठाया है । उसे आगे हालात सुधरने की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही थी क्योंकि उसकी कारों की डिमांड घटती ही चली जा रही है। इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स के अनुसार फोर्ड को टाटा मोटर्स, हुंडई और किया से तगड़ा कम्पटीशन मिल रहा था।
हार्ले डेविडसन: अमेरिका की टॉप बाइक निर्माता कंपनी हर्ले डेविडसन ने 2011 में हरियाणा में अपना प्लांट लगाया था। अमेरिका के बाहर हार्ले का यह पहला प्लांट था। 9 साल तक भारत में किसी तरह करोबार करने के बाद सितम्बर 2020 में हार्ले डेविडसन ने भारत को अलविदा कह दिया। हार्ले के साथ दिक्कत यह रही कि असेंबल्ड बाइक पर भारी टैक्स के चलते उसका प्रोडक्ट बेहद महँगा पड़ रहा था। कम्पटीशन के आगे हार्ले की बाइक टिक नहीं पा रही थीं।
टैक्स घटाने के लिए अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप तक ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ यह मसला उठाया था। ट्रम्प ने धमकी भी दी थी कि अगर भारत ने टैक्स नहीं घटाया तो भारत से अमेरिका को एक्सपोर्ट होने वाले आइटम्स पर तगड़ा टैक्स ठोंक दिया जाएगा। बहरहाल, हार्ले पर टैक्स कुछ घटाया गया । लेकिन यह कमी उतनी नहीं थी कि दाम आकर्षक हो सकें। टैक्स और ऊपर से कोरोना महामारी, दोनों के चलते अंततः हार्ले ने अपना प्लांट बंद कर दिया।
फ़िएट: भारत में फ़िएट का बहुत पुराना इतिहास रहा है। लेकिन इटली की इस कंपनी ने 2019 में भारत को अलविदा कह दिया। 90 के दशक तक फ़िएट को भारत में बढ़िया सेल मिल रही थी। लेकिन जैसे जैसे प्रतिस्पर्धा बढ़ती गयी, फिएट अपनी जमीन खोता चला गया। फ़िएट ने 1997 में टाटा मोटर्स के साथ संयुक्त ऑपरेशन शुरू किया था । लेकिन वह भी चल नहीं सका। फ़िएट की कारों के साथ दिक्कत उनकी डिज़ाइन और ईंधन की खपत को लेकर थी। फ़िएट ने जनवरी 2019 में ही प्रोडक्शन बंद कर दिया था। पिछले साल मार्च में पूरी तरह भारत को छोड़ दिया। फ़िएट भारत में लिनेया, अर्बन क्रॉस, पुंटो और एवेंचुरा मॉडल की कारें बनाती थी।
जनरल मोटर्स: अमेरिका की टॉप कार कंपनी जनरल मोटर्स भारत में जीएम और शेवरले – दो ब्रांड चलाती थी। इसकी गाड़ियों में ओपल आस्ट्रा, कोरसा, शेवरले बीट, टवेरा,क्रूज़, ट्रेलब्लेजर, एन्जॉय और सेल मॉडल शामिल थे। जनरल मोटर्स ने भारत में 1996 में ओपल ब्रांड की कार के साथ कदम रखा था। काफी हद तक सफलता हासिल की थी। 2003 में शेवरले ब्रांड भी लाया गया। यह ठीक ठाक चल रहा था कि अचानक दिसंबर 2017 में जनरल मोटर्स ने भारत से हाथ खींच लिए। समझा जाता है कि जनरल मोटर्स ने भविष्य के कम्पटीशन की स्थिति को पहले ही समझ लिया था।
यूएम मोटरसाइकिल्स: अमेरिका की एक अन्य कंपनी यूनाइटेड मोटर्स ने भारत में लोहिया ऑटो के साथ मिल कर ऑपरेशन शुरू किया था। यूएम की बाइकों में गुणवत्ता की बहुत शिकायतें रहीं थीं। इसके पुर्जों की क्वालिटी ख़राब होने के कारण कंपनी की साख बहुत जल्दी गिर गयी। यूएम का इरादा रॉयल एनफील्ड से मुकाबला करने का था । लेकिन चीन निर्मित घटिया पुर्जों ने उसकी नैय्या डुबो दी। यूएम ने अक्टूबर 2019 में अपना कारोबार बंद कर दिया और इसकी भनक डीलरों को भी नहीं लग सकी।