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Bihar Me Makhana Ka Business: बिहार में मखाना बोर्ड की स्थापना सिर्फ एक बजट का हिस्सा है या है एक बड़ा चुनावी कदम, आइए जान लेते हैं सुपरफ़ूड मखाने के बारे में

Bihar Me Makhana Ka Business: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यूनियन बजट 2025 को पेश करने के दौरान बिहार में मखाना बोर्ड स्थापित करने की घोषणा की। आइए जानते हैं क्या हैं बिहार में यह बोर्ड स्थापित करने के लाभ।

Shreya
Published on: 1 Feb 2025 4:37 PM IST
Big Budget Gifts For Bihar Makhana Board Ki Sthapna
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Big Budget Gifts For Bihar Makhana Board Ki Sthapna

Bihar Me Makhana Board Ki Sthapna: बिहार के किसानों के लिए एक बड़ी सौगात के रूप में, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने लोकसभा में 2025-26 के लिए बजट पेश करते हुए बिहार में मखाना बोर्ड (Makhana Board) स्थापित करने की घोषणा की। यह कदम मखाना के उत्पादन, मार्केटिंग और प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है। इस पहल से बिहार के किसानों को अधिक लाभ मिलेगा और मखाना उद्योग को एक नई दिशा मिलेगी।

मखाना (Euryale ferox) एक जलीय फसल है, जिसे मुख्यतः बिहार, असम, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश में उगाया जाता है। यह स्वास्थ्यवर्धक होने के कारण भारत में बड़े पैमाने पर खपत किया जाता है और आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी इसका उपयोग होता है। बिहार मखाने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, और यहाँ का मखाना अपनी उच्च गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है।

मखाना बोर्ड के गठन के लाभ (Makhana Board Ke Gathan Ke fayde)

मखाना बोर्ड के गठन से न केवल किसानों को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि मखाना प्रोसेसिंग कंपनियों को भी इससे फायदा मिलेगा। बिहार सरकार मखाना को देशभर की रसोई तक पहुँचाने के लिए प्रयासरत है और इस नए बोर्ड के माध्यम से आधुनिक मशीनों के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा, जिससे मखाना उत्पादन और प्रसंस्करण में वृद्धि होगी। बजट में बिहार के किसानों के लिए मखाना बोर्ड का एलान किया गया है।


केंद्रीय वित्त मंत्री का यह एलान बिहार के मखाना किसानों को राहत पहुंचाएगी। इससे उत्पादन, प्रोसेसिंग, वैल्यू एडिशन और मार्केटिंग का अवसर मिलेगा। जो लोग मखाना निकालने में लगे हैं वे FPO में ऑर्गनाइज किए जाएंगे। साथ ही वित्त मंत्री ने एक और बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि बोर्ड किसानों को ट्रेनिंग और सपोर्ट देगा। साथ ही उन्हें सरकार की तरफ से लाभ मिले, ये भी आश्वस्त करेगा।


मखाने की खेती (Makhana Ki Kheti) पूरे बिहार में नहीं की जाती, बल्कि यह मुख्य रूप से उत्तर और पूर्व बिहार के कुछ जिलों में केंद्रित है। इन जिलों में मधुबनी, दरभंगा, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, अररिया, सीतामढ़ी और किशनगंज शामिल हैं।

राजनीतिक परिप्रेक्ष्य और भविष्य की संभावनाएँ

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, केंद्र सरकार की यह घोषणा किसानों और मखाना उत्पादकों के लिए एक महत्वपूर्ण तोहफा मानी जा रही है। इस पहल से न केवल मखाना उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इसके बाजारीकरण और निर्यात की संभावनाएँ भी मजबूत होंगी। भविष्य में, यह योजना बिहार को मखाना उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाने में सहायक साबित हो सकती है।

मखाने का इतिहास (Makhana Ka Itihas)

मखाने का उत्पादन और उपयोग भारत में प्राचीन काल से हो रहा है। यह मुख्यतः तालाबों और स्थिर जल में उगने वाली फसल है। प्राचीन भारतीय ग्रंथों में मखाने का उल्लेख पोषणयुक्त खाद्य पदार्थ के रूप में किया गया है। यह खाद्य सामग्री सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं बल्कि आयुर्वेद के अनुसार, स्वास्थ्यवर्धक भी मानी जाती है।


बिहार के मिथिला क्षेत्र में मखाने की खेती का विशेष महत्व है। यहाँ इसे पारंपरिक रूप से उगाया जाता है और इसका उपयोग विभिन्न व्यंजनों, प्रसाद और धार्मिक कार्यों में किया जाता है।

बिहार में मखाने का उत्पादन (Makhana Production in Bihar)

बिहार में मखाने की खेती मुख्य रूप से मिथिला क्षेत्र में की जाती है, जिसमें दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, सहरसा, पूर्णिया और कटिहार प्रमुख जिले हैं। इन जिलों में पर्याप्त जल स्रोत उपलब्ध हैं, जिससे मखाने की खेती के लिए उपयुक्त परिस्थितियाँ मिलती हैं।

मखाने की खेती की प्रक्रिया (Kaise Ki Jati Hai Makhana Ki Kheti)

मखाने की खेती करने की प्रक्रिया में कई चरण होते हैं:

बीज चयन और बुवाई: मखाने के बीज (फॉक्स नट्स) को तालाब या स्थिर जल वाले क्षेत्रों में डाला जाता है। इसे फरवरी से मार्च के बीच बोया जाता है।

विकास चरण: बीज से अंकुर निकलने के बाद यह पानी की सतह पर फैल जाता है। इसके पत्ते बड़े और चौड़े होते हैं। यह चरण मई-जून में आता है।


फूल और फलन: जुलाई-अगस्त के दौरान पौधों में फूल आते हैं और इसके फल जल में डूबे रहते हैं।

कटाई और बीज एकत्रीकरण: अक्टूबर-नवंबर के दौरान, फलों को जल से बाहर निकाला जाता है और उनके बीजों को एकत्र किया जाता है।

सूखाने और प्रोसेसिंग: बीजों को धूप में सुखाया जाता है और फिर उन्हें भूनकर मखाने के रूप में तैयार किया जाता है।

बिहार में मखाने की खेती पारंपरिक विधियों से होती थी, लेकिन अब इसमें आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक तरीकों का भी उपयोग किया जा रहा है।

भारत में मखाने की खपत और निर्यात (Makhana Consumption And Export In India)

भारत में मखाने का उपयोग विभिन्न प्रकार से किया जाता है, जैसे कि मिठाइयाँ (मखाने की खीर, लड्डू आदि), नमकीन और स्नैक्स, आयुर्वेदिक और औषधीय उपयोग, धार्मिक अनुष्ठान और प्रसाद आदि।


विदेश में निर्यात और व्यापार

भारत मखाने का एक प्रमुख उत्पादक और निर्यातक देश है। बिहार से मखाने का निर्यात कई देशों में किया जाता है, जिनमें प्रमुख रूप से अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया और चीन शामिल हैं। बिहार से अन्य राज्यों में भी मखाने की आपूर्ति होती है।

भारत सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं। हाल ही में बिहार सरकार ने ‘बिहार मखाना मिशन’ की घोषणा की है, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

सरकारी योजनाएँ और बजट घोषणाएँ

भारत सरकार और बिहार सरकार ने मखाने के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। केंद्रीय बजट 2024-25 में भी मखाने की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं:

बिहार मखाना मिशन: यह योजना किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है और उन्हें आधुनिक खेती तकनीकों से जोड़ती है।

निर्यात संवर्धन योजना: इस योजना के तहत मखाने के निर्यातकों को सब्सिडी और अन्य सुविधाएँ दी जाएँगी।


कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) की पहल: बिहार के कृषि विज्ञान केंद्र मखाने की उन्नत खेती के लिए शोध कार्य कर रहे हैं।

सब्सिडी और वित्तीय सहायता: किसानों को मखाने की खेती के लिए सस्ते दरों पर कर्ज दिया जा रहा है।

नवीन प्रसंस्करण इकाइयाँ: बिहार सरकार ने मखाने के प्रसंस्करण और भंडारण के लिए नई फैक्ट्रियाँ लगाने की घोषणा की है।

मखाने के लाभ (Makhana Khane Ke Fayde)

मखाने को ‘सुपरफूड’ कहा जाता है क्योंकि यह पोषण से भरपूर होता है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट और कम वसा होती है, जो इसे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद बनाती है। मखाने के प्रमुख लाभ हैं:

हृदय स्वास्थ्य में सुधार: यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखता है।

डायबिटीज के लिए फायदेमंद: कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होने के कारण यह मधुमेह रोगियों के लिए उपयुक्त है।


वजन घटाने में सहायक: यह कम कैलोरी वाला सुपरफूड है।

एंटी-एजिंग गुण: इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं।

हड्डियों की मजबूती: कैल्शियम की अधिकता के कारण यह हड्डियों को मजबूत बनाता है।

मखाना उत्पादन के आँकड़े (Makhana Production Statistics)

मखाने की खेती लगभग 30 से 35 हजार हेक्टेयर में की जाती है। कुल 40 से 45 लाख क्विंटल मखाना का उत्पादन होता है। परंपरागत बीज से प्रति हेक्टेयर 10-12 क्विंटल उत्पादन होता है। आधुनिक बीज से प्रति हेक्टेयर 30 से 32 क्विंटल उत्पादन संभव है।


1 क्विंटल बीज से 40-45 प्रतिशत मखाना पॉप प्राप्त होता है। किसानों के लिए मखाना बाजार लगभग 250 करोड़ रुपये का है। कुल मखाना बाजार 550 करोड़ रुपये का है।

मखाना उत्पादन की लागत और लाभ (Cost and Profit of Makhana Production)

तालाब क्षेत्र में उत्पादन लागत प्रति हेक्टेयर 47,130 रुपये होती है और फील्ड क्षेत्र में उत्पादन लागत: प्रति हेक्टेयर 53,351 रुपये होती है । तालाब क्षेत्र में मखाना उत्पादन पर किसानों को 13,688 रुपये का लाभ मिलता है।फील्ड क्षेत्र में मखाना उत्पादन करने पर 66,780 रुपये का लाभ होता है।प्रति हेक्टेयर लगभग डेढ़ लाख रुपये तक का मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है।


मखाने की खेती किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिससे खेती को घाटे का सौदा मानकर छोड़ने वाले किसान फिर से कृषि की ओर लौट सकते हैं। बिहार के दरभंगा और मधुबनी की तरह, देवरिया जिला भी मखाने के उत्पादन में एक प्रमुख हब के रूप में उभर सकता है। इसके साथ ही, बेकार पड़ी जलमग्न जमीनों का भी प्रभावी उपयोग किया जा सकेगा।

मखाना की बढ़ती माँग और निर्यात (Demand And Export of Makhana)

देश में मखाने की माँग तेजी से बढ़ रही है, जिससे किसानों और व्यापारियों को अच्छा लाभ मिल रहा है।

निर्यात के लिहाज से भी मखाना एक महत्वपूर्ण उत्पाद बन गया है। भारत हर साल मखाने के निर्यात से 25 से 30 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा अर्जित करता है।


मखाने को अनाज नहीं माना जाता है, इसलिए यह व्रत के दौरान भी लोकप्रिय खाद्य पदार्थ बना हुआ है।

परंपरागत मखाना खेती में कृषि रसायनों का न्यूनतम प्रयोग किया जाता है, जिससे यह एक जैविक (ऑर्गेनिक) भोजन के रूप में भी जाना जाता है।

भारत में मखाना उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्य

मखाने की खेती मुख्य रूप से बिहार में की जाती है, लेकिन इसके अलावा अन्य राज्यों में भी इसका उत्पादन बढ़ रहा है। प्रमुख राज्यों में शामिल हैं:

बिहार: देश में मखाना उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र।

पश्चिम बंगाल: यहाँ भी सीमित मात्रा में मखाने की खेती होती है।

उत्तर प्रदेश: कुछ जिलों में मखाना उत्पादन हो रहा है, विशेष रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश में।


असम: यहाँ की जलवायु मखाने की खेती के लिए उपयुक्त है।

त्रिपुरा: उत्तर-पूर्वी राज्यों में मखाने का उत्पादन धीरे-धीरे बढ़ रहा है।

सरकार की ओर से मखाने की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ लागू की जा रही हैं। यदि सही नीति और निवेश किया जाए, तो बिहार और अन्य राज्यों के किसान मखाना उत्पादन के जरिए अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।

बिहार मखाने का प्रमुख उत्पादक राज्य है और इसकी खेती वहाँ की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सरकार द्वारा दी जा रही सहायता, बढ़ते निर्यात अवसर और आधुनिक तकनीकों के उपयोग से मखाने की खेती और व्यापार को और अधिक बढ़ावा मिलेगा। मखाना सिर्फ एक खाद्य सामग्री नहीं, बल्कि एक आर्थिक संपदा है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो रही है और भारत के कृषि क्षेत्र को एक नया आयाम मिल रहा है।

भविष्य में यदि सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर इस उद्योग को और विकसित करें, तो बिहार मखाने का वैश्विक हब बन सकता है।



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